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हवालात में मौतों पर यूपी सरकार सख्त, निगरानी के लिए हर जिले में बनेगी कमेटी

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Published : Dec 21, 2022, 5:42 PM IST

उत्तर प्रदेश में सफाई कर्मचारी अरुण और कानपुर में व्यापारी बलवंत की पुलिस हिरासत में मौत के बाद शासन ने कड़ा रुख अख्तियार किया है (deaths in police lockup). गृह विभाग ने जेल और थानों की हवालातों की सुरक्षा व्यवस्था फुलप्रूफ करने के लिए एक कमेटी बनाने के निर्देश दिए हैं. चार विभागों के राजपत्रित अधिकारियों की यह कमेटी हर महीने जेल और थानों के हवालातों की सुरक्षा व्यवस्था की जांच करेंगी.

Etv Bharat deaths in police lockup
Etv Bharat deaths in police lockup

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने डीजीपी, जिलों के पुलिस कप्तान और पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर जिलों की जेल व हवालातों की सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबंद करने के लिए निर्देश दिए हैं (UP government strict on deaths in police lockup). प्रमुख सचिव ने हर जिले में चार सदस्यीय कमेटी बनाने को कहा है. इस कमेटी में जेल विभाग, स्वास्थ्य विभाग , पुलिस व जिला प्रशासन का एक-एक राजपत्रित अधिकारी शामिल होगा. यह कमेटी जेलों और हवालात में सुरक्षा के मानकों की मॉनिटरिंग करेगी और हर महीने रिपोर्ट तैयार करेगी. जांच के बाद कमेटी के सदस्य डीएम, पुलिस कमिश्नर या एसपी को रिपोर्ट सौंपेंगे. रिपोर्ट के आधार पर जेल और हवालातों की कमियां दूर की जाएंगी.

हवालात के लिए बने हैं रूल्स : पूर्व डीजीपी ए के जैन के मुताबिक हवालात और जेल में सुरक्षा व्यवस्था के लिए बाकायदा रूल्स एवं मैनुअल हैं, जिसके तहत कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है. पूर्व डीजीपी के मुताबिक, हवालात में ऐसी कोई वस्तु नहीं होगी, जो बंदी के आत्महत्या करने में मदद करे. जेल और हवालात का रोशनदान इतना ऊंचा हो, ताकि बंदी वहां तक पहुंच नहीं सके. रोशनदान इस तरह से बना होना चाहिए, जिससे कोई रस्सी अंदर न डाली जा सके. हवालात में बंद रहने के दौरान बंदी को दिए जाने वाले खाद्य सामग्री में जहर न हो, यह जिम्मेदारी थाना प्रभारी की होती है. हवालात में बिजली का कोई उपकरण नही होना चाहिए.

12 दिसंबर को कानपुर देहात के शिवली थाने में व्यापारी बलवंत सिंह की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी (kanpur dehat balwant death case). पुलिस ने बताया था कि बलवंत की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई जबकि बलवंत के शरीर के जख्म कुछ और ही सच्चाई बयां कर रहे थे. बलवंत के पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया था कि बलवंत को थर्ड डिग्री इस्तेमाल दी गई थी. मामला तूल पकड़ने पर दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया. हवालात में बलवंत की मौत कोई पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी आगरा में सफाई कर्मी अरुण और कासगंज में अल्ताफ समेत कई लोगों की मौत हवालात में हो चुकी है.

यूपी में सबसे अधिक हिरासत में हुई मौतें : जुलाई 2022, को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के सांसद अब्दुस्समद समदानी के सवाल का जवाब देते हुए बताया था कि अकेले उत्तर प्रदेश में साल 2021-22 के दौरान हिरासत में कुल 501 मौतें हो हुई थीं (death in police lockup in Uttar Pradesh). इससे पहले 2020-21 में हिरासत में मौत के 451 मामले दर्ज किए गए थे. यूपी के बाद पश्चिम बंगाल और फिर मध्य प्रदेश का नंबर आता है. वहीं देश भर में 2021-22 में हिरासत में हुई मौतों का आंकड़ा 2544 है जबकि 2020-21 में यह संख्या 1940 था.(custodial death in Uttar Pradesh)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने डीजीपी, जिलों के पुलिस कप्तान और पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर जिलों की जेल व हवालातों की सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबंद करने के लिए निर्देश दिए हैं (UP government strict on deaths in police lockup). प्रमुख सचिव ने हर जिले में चार सदस्यीय कमेटी बनाने को कहा है. इस कमेटी में जेल विभाग, स्वास्थ्य विभाग , पुलिस व जिला प्रशासन का एक-एक राजपत्रित अधिकारी शामिल होगा. यह कमेटी जेलों और हवालात में सुरक्षा के मानकों की मॉनिटरिंग करेगी और हर महीने रिपोर्ट तैयार करेगी. जांच के बाद कमेटी के सदस्य डीएम, पुलिस कमिश्नर या एसपी को रिपोर्ट सौंपेंगे. रिपोर्ट के आधार पर जेल और हवालातों की कमियां दूर की जाएंगी.

हवालात के लिए बने हैं रूल्स : पूर्व डीजीपी ए के जैन के मुताबिक हवालात और जेल में सुरक्षा व्यवस्था के लिए बाकायदा रूल्स एवं मैनुअल हैं, जिसके तहत कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है. पूर्व डीजीपी के मुताबिक, हवालात में ऐसी कोई वस्तु नहीं होगी, जो बंदी के आत्महत्या करने में मदद करे. जेल और हवालात का रोशनदान इतना ऊंचा हो, ताकि बंदी वहां तक पहुंच नहीं सके. रोशनदान इस तरह से बना होना चाहिए, जिससे कोई रस्सी अंदर न डाली जा सके. हवालात में बंद रहने के दौरान बंदी को दिए जाने वाले खाद्य सामग्री में जहर न हो, यह जिम्मेदारी थाना प्रभारी की होती है. हवालात में बिजली का कोई उपकरण नही होना चाहिए.

12 दिसंबर को कानपुर देहात के शिवली थाने में व्यापारी बलवंत सिंह की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी (kanpur dehat balwant death case). पुलिस ने बताया था कि बलवंत की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई जबकि बलवंत के शरीर के जख्म कुछ और ही सच्चाई बयां कर रहे थे. बलवंत के पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया था कि बलवंत को थर्ड डिग्री इस्तेमाल दी गई थी. मामला तूल पकड़ने पर दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया. हवालात में बलवंत की मौत कोई पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी आगरा में सफाई कर्मी अरुण और कासगंज में अल्ताफ समेत कई लोगों की मौत हवालात में हो चुकी है.

यूपी में सबसे अधिक हिरासत में हुई मौतें : जुलाई 2022, को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के सांसद अब्दुस्समद समदानी के सवाल का जवाब देते हुए बताया था कि अकेले उत्तर प्रदेश में साल 2021-22 के दौरान हिरासत में कुल 501 मौतें हो हुई थीं (death in police lockup in Uttar Pradesh). इससे पहले 2020-21 में हिरासत में मौत के 451 मामले दर्ज किए गए थे. यूपी के बाद पश्चिम बंगाल और फिर मध्य प्रदेश का नंबर आता है. वहीं देश भर में 2021-22 में हिरासत में हुई मौतों का आंकड़ा 2544 है जबकि 2020-21 में यह संख्या 1940 था.(custodial death in Uttar Pradesh)

पढ़ें : पुलिस हिरासत में बलवंत की मौत पर खुलासा, शरीर पर गंभीर चोटों के 31 निशान मिले

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