लखनऊ: हजारों करोड़ के ग्रीन कॉरिडोर प्रोजेक्ट के लिए शासन की तरफ से एक भी रुपये का बजट नहीं दिया गया है. इसके चलते पिछले एक साल से ग्रीन कॉरिडोर कागज से बाहर नहीं निकल पाया है. कहा गया है कि प्राधिकरण खुद इस प्रोजेक्ट के लिए भूमि अर्जित कर संपत्ति बिक्री कर बजट जुटाए. प्राधिकरण इस कोशिश में लगा है. मगर बीते एक साल से अभी तक इस प्रोजेक्ट का काम आगे नहीं बढ़ सका है. ऐसे में राजधानी को एक सिरे से दूसरे सिरे तक जोड़ने वाला प्राधिकरण का यह प्रोजेक्ट कैसे बनेगा, यह बड़ा सवाल है. पिछले एक साल में ग्रीन कॉरिडोर प्रोजेक्ट केवल फाइलों में चल रहा है. मुख्य सचिव से लेकर कई स्तरों पर बैठकें हो रहीं हैं. मगर योजनाएं पूरी नहीं हो पा रहीं हैं.
गौरतलब है कि इस योजना में ग्रीन कॉरिडोर 20.70 किमी रूट पर विकास किया जाना है. 817 करोड़ रुपये की लागत से फेज-1 का निर्माण होना है. ग्रीन कॉरिडोर प्रोजेक्ट के अंतर्गत गोमती नदी के दोनों किनारों पर प्रथम फेज आईआईएम रोड से शहीद पथ तक नया बांध और उसके चौड़ीकरण के साथ उसके ऊपर सड़क निर्माण किया जाना है. परियोजना के कार्यों को शीघ्र प्रारंभ करने के लिए फेज-1 के कार्यों को तीन भागों में विभाजित किया गया था. इनमें आईआईएम रोड से लाल ब्रिज तक, लाल ब्रिज से पिपराघाट तक और पिपराघाट से शहीद पथ तक बांटा गया था.
आईआईएम रोड से लाल ब्रिज तक गोमती नदी के दोनों किनारों पर लगभग सात किलोमीटर लंबा बांध निर्माण/चौड़ीकरण और उसके ऊपर फोरलेन सड़क का निर्माण प्रस्तावित है. इसके अलावा गऊघाट पर 270 मीटर लंबाई का पुल, कुड़ियाघाट से लाल ब्रिज तक 1050 मीटर लंबाई का फ्लाई ओवर और खदरा से लाल ब्रिज तक 660 मी. लंबाई का फ्लाई ओवर निर्माण प्रस्तावित है. इस कॉरिडोर प्रोजेक्ट में आईआईएम रोड और लाल ब्रिज के अतिरिक्त कैटल कालोनी (बुद्धेश्वर मार्ग), गऊघाट, प्रबन्ध नगर योजना और फैजुल्लागंज पर प्रवेश और निकास का प्रस्ताव है.
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लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अक्षय कुमार त्रिपाठी का कहना है कि ग्रीन कॉरिडोर प्रोजेक्ट के लिए बजट जुटाना एक जटिल प्रक्रिया है. इसमें भूमि अर्जित कर संपत्ति बिक्री कर बजट जुटाना है. इसे लेकर कोशिशें जारी हैं. जल्द ही इस योजना को जमीन पर उतारा जाएगा.
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