लखनऊ : मुख्तार अंसारी को 3 मामलों में बरी करने के मामले में एमपी-एमएलए की विशेष अदालत के फैसलों के खिलाफ राज्य सरकार की ओर से दाखिल 3 अलग-अलग अपीलों पर बुधवार को सुनवाई नहीं हो सकी. कोर्ट ने ये तीनों अपीलों को 10 दिनों के बाद प्रमुखता से सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई 25 जुलाई को हो सकती है.
राज्य सरकार की ओर से दायर अपीलों में कहा गया है कि मुख्तार अंसारी के खिलाफ गवाह ने अपने मुख्य पक्ष में पर्याप्त गवाही दी थी. लेकिन विचारण अदालत ने उक्त गवाही को न मानकर मुख्तार अंसारी को बरी करके गलती की है. गैंगस्टर के एक अन्य मामले में बरी करने के फैसले को चुनौती देते हुए कहा गया है कि पत्रावलियों पर उपलब्ध साक्ष्यों को विचारण अदालत ने ठीक से परीक्षित नहीं किया. कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को बरी करके गलती की है.
दरअसल एमपी-एमएलए की विशेष अदालत ने 23 दिसंबर 2020 को जेलर से गाली-गलौज व जानमाल की धमकी देने तथा तत्कालीन अपर महानिरीक्षक कारागार को धमकी देने के एक दूसरे मामले में साक्ष्य के अभाव में मुख्तार अंसारी को बरी कर दिया था. विशेष अदालत ने थाना हजरतगंज से संबंधित गैंगेस्टर के एक मामले में साक्ष्य के अभाव में अभियुक्त मुख्तार अंसारी को बरी करने का आदेश दिया था. अभियोजन के मुताबिक 28 अप्रैल 2003 को लखनऊ के जेलर एसके अवस्थी ने थाना आलमबाग में मुख्तार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी.
एफआईआर के अनुसार जेल में मुख्तार अंसारी से मिलने आए लोगों की तलाशी लेने का आदेश देने पर उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई थी. साथ ही उनके साथ गाली गलौज करते हुए मुख्तार ने उन पर पिस्तौल भी तान दी थी. जबकि एक मार्च 1999 को तत्कालीन अपर महानिरीक्षक कारागार एसपी सिंह पुंढीर ने थाना कृष्णा नगर में दर्ज कराई थी. जिसके मुताबिक अभियुक्त द्वारा उन्हें धमकी दी गई थी. विशेष अदालत ने मुख्तार अंसारी को इन दोनों मामलों के अलावा थाना हजरतगंज से संबंधित गैंगेस्टर एक्ट के एक मुकदमे में भी बरी किया था.