लखनऊ: अपने बेजोड़ आर्किटेक्चर, खूबसूरत डिज़ाइन और कमाल की टेक्नोलॉजी के चलते लखनऊ के घंटाघर की अलग पहचान है.राजधानी के हुसैनाबाद क्षेत्र में स्थित घड़ी मीनार या घंटा घर दुनिया के नायाब निर्माणों में एक है. 221 फीट ऊंची और 20 वर्ग फीट चौड़ाई में बनी यह इमारत कई कारण से लोगों के कौतूहल का कारण रही है. इस क्लॉक टावर को देखने के लिए हर रोज़ बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं.
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घंटाघर की ख़ासियत
हुसैनाबाद ट्रस्ट के तत्कालीन ट्रस्टी लेफ्टिनेंट कर्नल नारमन टी हार्डकोट ने इस घंटा घर के निर्माण की योजना बनाई थी, जबकि इसका डिजाइन कलकत्ता के आर बाइन द्वारा तैयार किया गया था. 221 फीट ऊंचे और 20 वर्ग फीट चौड़े इस घंटा घर में एक विशाल घड़ी लगाई गई थी, जिसे लंदन से मंगवाया गया था. इस घड़ी के सूइयां व अन्य पुर्जे गन मेटल के बने हुए हैं. इसे देश की सबसे विशाल घड़ी माना जाता है. इस घंटा घर से चारों ओर 13 फीट व्यास वाली चार घड़ियां लगाई गई हैं. इन घड़ियों की बड़ी सूइयां छह फीट लंबी और छोटी चार फीट लंबी हैं. घंटाघर के ऊपरी हिस्से को स्थानीय वास्तुकला से मेल के लिए एक बेहतरीन गुंबद का निर्माण भी कराया गया है. कहा जाता है कि यह गुंबद लखनऊ की इमारतों की तरह न होकर हैदराबाद की कुतुबशाही की इमारतों की तरह बना है.
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घंटाघर को बनाने में खर्च
लाल ईंटों से 1881 में बनवाए गए इस घंटा घर के निर्माण में उस समय एक लाख सत्रह हजार रुपये खर्च हुए थे.हालांकि इस निर्माण में अंग्रेजों ने अपने पास से एक भी पैसा खर्च नहीं किया था, बल्कि नवाबों द्वारा बनवाए गए इमामबाड़ों आदि की देखरेख के लिए जमा किए गए हुसैनाबाद ट्रस्ट के सैंतीस लाख रुपये के सूद से इस इमारत का निर्माण कराया गया था.
जब घंटाघर की घड़ी बंद हो गई?
1984 में इस घंटाघर की ऐतिहासिक घड़ी खराब हो गई, जिसे करीब 28 साल बाद लाखों रुपये खर्च कर 2012 में दोबारा शुरू कराया गया. इस घंटाघर की आवाज़ दूर दूर तक सुनाई देती है. यहां के लोगों का इस घंटाघर से गहरा लगाव भी है. इसीलिए जब 27 साल बाद ये घड़ी फिर चली तो लखनऊ वालों की खुशी का ठिकाना न रहा. इस घड़ी में चाबी भरनी पड़ती है. एक बार चाबी भरने पर घड़ी एक हफ्ते तक चलती है. चाबी भरने के लिए खास एक्सपर्ट को रखा गया है.
पिछले दिनों यह घंटा घर सीएए और एनआरसी विवाद में आंदोलनकारियों का ठौर बन गया. यहां तमाम आंदोलनकारी एकत्रित होकर महीनों जमे रहे. अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री रहते इस क्षेत्र में काफी काम किया था.