लखनऊ : यूपी का 25 साल का कुख्यात माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला ने 90 के दशक में 6 करोड़ रुपये में उत्तर प्रदेश के पूर्व CM कल्याण सिंह की सुपारी ले ली थी. इस खबर से हड़कंप मच गया था. फिर श्रीप्रकाश के खात्मे के लिए पूर्व CM कल्याण सिंह ने उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (UP STF) का गठन किया गया था, जिसने उसे बाद में ठिकाने लगाया था. पूर्व सीएम कल्याण सिंह ने प्रदेश के 50 सुपरकॉप पुलिस अधिकारियों को इसमे भर्ती करने का निर्देश दिया था.
उत्तर प्रदेश एसटीएफ (UP STF) के पहले DSP रहे रिटायर्ड राजेश पांडेय ने बीती यादों को साझा करते हुए बताया कि वैसे तो उत्तर प्रदेश और बिहार में एक से बढ़कर एक माफिया और अपराधी हुए हैं. जिनके नाम का सिक्का ऐसा चलता था कि लोग आज भी उनके नाम से कांपते हैं. लेकिन पूर्वांचल के माफियाओं की बात करें तो उस लिस्ट में जिस बदमाश को टॉप पर आज भी लिया जाता है, वो है श्रीप्रकाश शुक्ला का. यह वही बदमाश है जिसने तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की हत्या की सुपारी 6 करोड़ रुपये में ली थी. कुख्यात श्रीप्रकाश शुक्ला ने बिहार सरकार के मंत्री बृज बिहारी प्रसाद को भून डाला था. जबकि, लखनऊ में बाहुबली राजनेता वीरेंद्र शाही को दिनदहाड़े मौत के घाट उतार दिया था.
कल्याण सिंह की ली 6 करोड़ की सुपारी !
रिटायर्ड DSP ने बताया कि, पूर्व CM कल्याण सिंह की हत्या की सुपारी लेने की जानकारी होते ही अचानक सीएम आवास में हड़कंप मच गया. पूर्व सीएम कल्याण ने देर रात ADG लॉ एंड ऑर्डर अजय राज शर्मा को मिलने के लिए बुलाया. उन्हें जानकारी मिली थी, श्रीप्रकाश ने उन्हें मारने की सुपारी ली है. लेकिन वह नहीं चाहते थे कि यह बात बाहर फैले और जनता में भय का माहौल बने. सीएम से मिलकर निकले एडीजी ने तत्काल मीटिंग बुलाई. मीटिंग में तय हुआ कि किसी भी कीमत पर श्रीप्रकाश को खत्म करना जरूरी हो गया है. मीटिंग में एक ऐसे फोर्स बनाने पर चर्चा हुई, जो जिला पुलिस के बिना स्वतंत्र रूप से कोई भी ऑपरेशन कर सके. यहीं से एसटीएफ की पहली नींव पड़ी.
UP STF का गठन
यूपी पुलिस के तत्कालीन एडीजी अजयराज शर्मा ने इसके बाद 4 मई 1998 को राज्य पुलिस के बेहतरीन 50 जवानों को चुनकर स्पेशल टास्क फोर्स (STF) बनाई. इस फोर्स का एकमात्र उद्देश्य था श्रीप्रकाश शुक्ला को जिंदा या मुर्दा पकड़ना. एसटीएफ को पता चला कि श्रीप्रकाश दिल्ली में अपनी किसी गर्लफ्रेंड से मोबाइल पर बातें करता है. एसटीएफ ने उसके मोबाइल को सर्विलांस पर ले लिया, लेकिन श्रीप्रकाश को शक हो गया. उसने मोबाइल की जगह पीसीओ से बात करना शुरू कर दिया, लेकिन उसे यह नहीं पता था कि पुलिस ने उसकी गर्लफ्रेंड के नंबर को भी सर्विलांस पर रखा है.
श्रीप्रकाश शुक्ला का जन्म गोरखपुर में हुआ था
श्रीप्रकाश शुक्ला का जन्म गोरखपुर के मामखोर गांव में हुआ था. उसके पिता एक स्कूल में टीचर थे. कहा जाता है कि साल 1993 में शुक्ल ने राकेश तिवारी नाम के एक व्यक्ति की हत्या कर दी, क्योंकि वह शुक्ल की बहन को देखकर सीटी मार रहा था. यह शुक्ल के द्वारा की गई पहली हत्या थी. इसके बाद तो उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा. इस कांड के बाद श्रीप्रकाश बैंकॉक भाग गया था. वहां से वापस आने के बाद वह बिहार में सूरजभान गैंग में शामिल हो गया था.
काफी तेज था श्रीप्रकाश का नेटवर्क
एसटीएफ के DSP रहे राजेश पांडेय ने बताया कि वाकया मई, 1998 का है. एसटीएफ के गठन के कुछ दिनों बाद पहचान छुपाने के लिए हम लोग (वह और तत्कालीन एडिशनल एसपी सत्येंद्रवीर सिंह) फिएट कार से चलते थे. एक दिन हम दोनों पुलिस लाइंस से निकलकर कैसरबाग की तरफ जा रहे थे. रास्ते में पेट्रोल भराने के लिए जैसे ही गाड़ी रोकी, श्रीप्रकाश का फोन आया. उस समय तक न तो पुलिस के पास उसकी पहचान थी और न ही कोई नंबर. फोन कटने के बाद सर्विलांस से पता चला कि किसी पीसीओ के जरिए उसने फोन किया था. लेकिन इस फोन से एक बात तो पुष्ट हो गई कि उसका नेटवर्क बहुत तेज था. उसका कोई आदमी हमारा पीछा कर उसे हमारी गाड़ी और कपड़ों तक की जानकारी दे रहा था.
STF ने कई अपराधियों का किया खात्मा
एसटीएफ का पहला गुडवर्क था रामू द्विवेदी की गिरफ्तारी. इसके बाद एसटीएफ की मुठभेड़ यूपी और दिल्ली बॉर्डर पर मुन्ना बजरंगी से हुई. इसमें मुन्ना का साथी सत्येंद्र गुर्जर मारा गया, लेकिन 9 गोली लगने के बाद भी मुन्ना बजरंगी बच गया. एसटीएफ ने पुलिस महकमे में इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस की शुरुआत की और इसी के बल पर 21 सितंबर 1998 को गाजियाबाद में श्रीप्रकाश शुक्ला और उसके दो साथियों को मार गिराया.
एसटीएफ की सफलता में सर्विलांस का बड़ा योगदान
एसटीएफ के गठन के पीछे मुख्य पांच उद्देश्य थे. पहला, संगठित माफिया गिरोहों के बारे में सारी जानकारी एकत्र करना और फिर इंटेलिजेंस पर आधारित जानकारियों से उन गिरोहों के खिलाफ ऐक्शन लेना. दूसरा, आईएसआई एजेंट्स, राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त अपराधियों और बड़े अपराधियों पर शिकंजा कसना शामिल है. तीसरा, जिला पुलिस के साथ समन्वय करके लिस्टेड गिरोहों के खिलाफ ऐक्शन लेना. चौथा, डकैतों के गिरोह और खासकर अंतरराज्यीय डकैतों के गिरोहों पर शिकंजा कसके उन पर प्रभावी कार्रवाई करना है. पांचवां और सबसे अहम था... श्रीप्रकाश शुक्ला पर शिकंजा कसना.
इस पूरी कवायद में एसटीएफ ने सर्विलांस के सहारे हमेशा अपराधियों को ट्रैक और ट्रेस किया. अब तक एसटीएफ की सफलता में सर्विलांस का बहुत योगदान है. इसके लिए एसटीफ ने अपनी टीम में जांबाज अधिकारियों के साथ टेक्निकल एक्सपर्ट की टीम को भी पूरा सम्मान दिया.