लखनऊ: प्रदेश के अस्पतालों में फिनाइल की जगह गोमूत्र से बने गोनाइल का इस्तेमाल किया जाएगा. उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग ने प्रदेश के स्वास्थ्य एवं नगर विकास विभाग को पत्र लिखकर गोबर और गोमूत्र से बने उत्पादों को खरीदने की बात कही है. इसमें श्मशान घाटों पर गोबर के कंडे की जगह गोबर से बना लठ्ठा, फिनाइल की जगह गोनाइल, मच्छर भगाने के लिए गोबर से बना क्वाइल और रूम फ्रेशनर तक उपलब्ध हैं.
गोशालाओं में गोमूत्र से बनने वाले उत्पाद मल्टीनेशनल कंपनियों को तो वहीं गोबर से बनने वाली गणेश-लक्ष्मी समेत अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां चीनी मूर्तियों को कड़ी टक्कर देंगी.
यूपी की गोशालाएं बनेंगी आत्मनिर्भर
गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आयोग ने सरकारी विभागों को पत्र लिखा है कि वह सभी विभाग गोशालाओं में बनने वाले गोमूत्र और गोबर के उत्पादों की खरीद बढ़ाएं, ताकि इससे गोशालाओं का लाभ हो सके. सरकार का छुट्टा जानवरों को कम करने पर पूरा फोकस है. प्रदेश सरकार सभी जिलों में पहले से ही गोशालाओं का निर्माण करवा रही है, जिसमें छुट्टा जानवरों को रखा जाएगा. इसके साथ ही अब गोसेवा आयोग सक्रिय हो गया है. आयोग ने इस बार गोमूत्र और गोबर से बने उत्पादों की बिक्री पर खासा जोर दिया है.
दरअसल प्रदेश की तमाम गोशालाओं में गोमूत्र और गोबर से उत्पाद पहले से ही बन रहे हैं, लेकिन बिक्री के लिए उचित प्लेटफार्म नहीं मिलने की वजह से उन्हें ज्यादातर घाटा ही उठाना पड़ता था. आयोग ने सरकारी विभागों को पत्र लिखकर इन उत्पादों की खरीद के लिए कहा है. अगर विभाग सक्रियता दिखाएंगे तो इन सभी गोशालाओं की आमदनी बढ़ेगी. सरकार के ऊपर निर्भर होने के बजाय गोशालाएं आत्मनिर्भर बनेंगी.
गोबर से निर्मित होंगी देवी-देवताओं की आकर्षक मूर्तियां
भगवान गणेश और हनुमान जी समेत अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां की गोबर से बनाई जा रही हैं. यह मूर्तियां जहां वजन में हल्की हैं, वहीं देखने में भी काफी आकर्षक हैं. किसी भी पूजन में गौरी गणेश गाय के गोबर से ही बनाए जाते हैं. अगर ऐसे में गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां उचित मात्रा में उपलब्ध होती हैं, तो निश्चित तौर पर बड़ी-बड़ी कंपनियों को टक्कर देने में यूपी की गोशालाएं सफल साबित होंगी.
गोसेवा आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर श्याम नंदन सिंह ने कहा कि गोशालाओं के पास पर्याप्त मात्रा में गोमूत्र और गोबर है. इन दोनों चीजों से बनने वाले उत्पादों को बेचने के लिए सरकारी विभागों को पत्र लिखा गया है. उन्होंने कहा कि गोशालाओं में गोमूत्र से बने फिनायल की उपयोगिता के लिए स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखकर कहा गया है कि सरकारी अस्पतालों में फिनाइल की जगह गोनाइल खरीदें, जिससे गोशालाएं लाभान्वित हों.
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गोबर से बने लठ्ठों के लिए नगर विकास विभाग को पत्र लिखा गया है कि सभी शहरी क्षेत्रों में नगर निगमों, नगरपालिका क्षेत्रों में श्मशान घाटों पर इसकी खरीद को अनिवार्य किया जाए. साथ ही गोबर के गमले भी बनाए जा रहे हैं, जिसकी खरीद के लिए उद्यान विभाग को पत्र लिखा गया है. अगर गो उत्पादों को प्रमोट किया जाएगा तो इससे गोशालाओं की आमदनी निश्चित तौर पर बढ़ेगी.
-प्रोफेसर श्याम नंदन सिंह, अध्यक्ष, गोसेवा आयोग