लखनऊ: उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने केंद्र व राज्य सरकार से मनरेगा संबंधी नीतियों पर सवाल किया है. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में भाजपा सरकार बनने के बाद से उसके बजट व रोजगार देने में गिरावट दर्ज हो रही है. इससे चालू वर्ष में रोजगार घटा है और भ्रष्टाचार बढ़ा है. मनरेगा श्रमिकों के भुगतान में भी संकट आ रहा है.
अजय कुमार लल्लू ने अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि ग्रामीण परिवारों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट विकरालता की तरफ जा रहा है. उनकी क्रयशक्ति कम होने के कारण खर्च कम करने की वजह से आर्थिक मंदी बढ़ रही है. ग्रामीणों को अनेक दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है. सरकार रोजगार व मनरेगा के मुद्दे पर लगातार झूठ के सहारे गुमराह कर सवालों के जवाब देने से बच रही है.
घोषणाएं पूरी तरह झूठी साबित हुईं
यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह जो कुछ भी देने का वादा करते हैं, वही जनता से छीन लेते हैं. कोरोना संकट काल में कुशल व अकुशल कामगारों की अपने गृह प्रदेश में वापसी पर मनरेगा में काम देने की घोषणाएं पूरी तरह झूठी साबित हुई हैं. स्थिति यह है कि आवंटित बजट में पिछले वर्ष की तुलना में 35 फीसद की कटौती कर ग्रामीण रोजगार को संकट ग्रस्त बनाने में कोई कसर नही छोड़ी. आज यही कारण है कि मनरेगा बेहाल होकर लोगों को काम देने में असमर्थ हुई है, जिनको काम मिल भी रहा है उनके भुगतान समय से नहीं हो रहे हैं. केंद्र सरकार ने कोरोना संकट काल में ग्रामीण विकास मंत्रालय के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को कमजोर कर दिया. उन्होंने कहा कि किसान, मजदूर और बेरोजगार विरोधी भाजपा सरकार ने अर्थव्यवस्था की स्थिति और उसके हिसाब से ग्रामीण क्षेत्रों में आमदनी और मांग बढ़ाए जाने की जरूरत पर गम्भीरता दिखाने के स्थान पर सब कुछ उलट कर दिया.
ग्रामीणों की भलाई के लिए कुछ नहीं करना चाहती सरकार
उन्होंने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के धन में हुई कटौती से ग्रामीण रोजगार में भारी गिरावट आई है. एक बड़ी आबादी के समक्ष बर्बादी का दरवाजा खोलकर चंद औद्योगिक घरानों के हवाले धन के केन्द्रीयकरण का मार्ग खोल दिया है. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में पिछले वर्ष के 19 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान के मुकबाले 14,070 करोड़ करना यह साबित करता है कि ग्रामीणों की भलाई के लिए वह कुछ नहीं करना चाहती. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी में सरकार रोजगार देने में पूरी तरह विफल साबित हो चुकी है. वह ग्रामीणों को रोजगार नही देना चाहती. सरकार की ग्रामीण विरोधी नीतियों पर हमला करते हुए कहा कि वह जनविरोधी नीतियों से बाज आकर रोजगार देने की दिशा में काम करे.
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प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में मामूली बढ़ोतरी
इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र में सड़कों का जाल बिछाने के लिए चल रही योजना प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में मामूली बढ़ोतरी की गई है. साल 2019-20 के बजट में पीएमजीएसवाई के लिए 19 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था, लेकिन बाद में संशोधित अनुमान 14,070 करोड़ रुपए कर दिया गया. अब 2020-21 के लिए 19,500 करोड़ रुपए के खर्च का अनुमान लगाया गया है. पंचायती राज संस्थानों के बजट में भी मामूली सी वृद्धि की गई है. 2019-20 में पंचायती राज संस्थानों के लिए 871 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया गया था. अब नए बजट में इसे बढ़ाकर 900 करोड़ कर दिया गया है. हालांकि पिछले साल का संशोधित अनुमान सिर्फ 500 करोड़ रुपए ही था.