लखनऊ : उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण (संशोधन) विधेयक 2021 को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने संशोधित करने के लिए वापस कर दिया है. इस आशय की जानकारी विधानसभा की कार्य सूची में शामिल थी, मगर इस विषय में कोई चर्चा न होने पर विपक्ष ने आज सरकार को घेरा है.
इस मामले में कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि 'बहुत कम ही ऐसे मौके होते हैं कि जब राज्यपाल किसी बिल को वापस कर दें, वह भी एक टिप्पणी के साथ. उसका कोई उल्लेख सदन में ना किया जाए, यह बहुत गलत बात है. आराधना मिश्रा मोना ने सरकार पर आरोप लगाया कि इस विधेयक की कमियों को छुपाने का प्रयास किया जा रहा है, दूसरी ओर सभापति सतीश महाना ने इस बिल के जो भी संशोधन राज्यपाल की ओर से सुझाए गए हैं उसकी जानकारी सदन में साझा करने से इनकार कर दिया. उन्होंने स्पष्ट कहा कि जब राज्यपाल ने इसको वापस कर दिया है तो इस पर कोई चर्चा नहीं की जा सकती.'
कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने कहा कि राज्यपाल की ओर से 2021 में पारित किया गया बिल वापस कर दिया गया है. गुंडा नियंत्रण अधिनियम बिल के तहत गुंडा एक्ट लगने की ताकत पुलिस कमिश्नर को भी निहित की जा रही थी. जिसको लेकर राज्यपाल ने स्पष्ट कर दिया है कि यह शक्ति जिलाधिकारी को ही निहित रहेगी. इसके बाद में इस सूचना को कल विधानसभा की कार्य सूची में शामिल किया गया था. कांग्रेस विधान मंडल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत करने के दौरान बताया कि उन्होंने इस मुद्दे को उठाया, लेकिन सभापति ने इस मुद्दे पर चर्चा से इनकार कर दिया और ना ही राज्यपाल की ओर से की गई, टिप्पणी का कोई उल्लेख किया गया है. उन्होंने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण विषय है जिस पर सदन में चर्चा की जानी चाहिए. उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने इस मुद्दे पर कोई सीधी टिप्पणी नहीं की, लेकिन उन्होंने यह जरूर कहा कि उत्तर प्रदेश में गुंडों को समाप्त करने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है और इसमें किसी भी तरह के संशोधन को भी स्वीकार किया जाएगा.