लखनऊ : त्रिपुरा सीमा से बांग्लादेश, म्यांमार और उत्तर भारत की गरीब महिलाओं और नागरिकों की अवैध घुसपैठ कराने वाले गैंग की यूपी, दिल्ली, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में गहरी पैठ है. गैंग के सदस्य बांग्लादेश और म्यांमार के अलावा मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय सहित कई राज्यों से लाई गई महिलाओं और युवकों को इन राज्यों में बेचते हैं.
आतंकवाद निरोधक दस्ता (ATS) सूत्रों की मानें तो तस्करी कर लाए गए महिलाओं और युवकों को 20 से 30 हजार रुपये में बेचा जेता हैं. ATS को इनपुट मिला है कि, ये महिलाओं और युवकों की तस्करी केवल देह व्यापार या घरेलू कामकाज के लिए ही नहीं हो रही. बल्कि, खाड़ी देशों में इनके शरीर के महत्वपूर्ण अंग भी निकालकर बेचे जा रहे हैं. तस्करों की टीम में कई महिलाएं भी शामिल हैं, जो खुद कभी इसका शिकार बन चुकी हैं. अब ATS मानव तस्करी की जांच में जुट गई है.
ADG लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार की मानें तो गिरफ्त में आए मानव तस्करी के गैंग के सरगना नूर उर्फ नूरुल इस्लाम की उत्तर प्रदेश के कई जिलों में जबरदस्त पैठ है. नूर के गैंग ने अभी तक 150 से अधिक महिलाओं को अपना शिकार बनाया है. कस्टडी रिमांड पर लाए गए आरोपियों से पूछताछ में इसका खुलासा हुआ है. पूछताछ में जानकारी मिली कि तस्करों के एजेंट गांव के मुखिया या प्रधानों से संपर्क बनाते हैं, जिनके जरिये वो जाल में फंसी लड़कियों के परिजनों को उन्हें नौकरी दिलाने या उनकी शादी करवाने का झांसा देते हैं. अपने सरपंच की बातों पर लोग आसानी से भरोसा कर लेते हैं.
पहले देह व्यापार, घरेलू काम कराते फिर उम्र दराज होने पर बेच देते हैं शरीर का अंग
UP ATS को पुलिस कस्टडी रिमांड पर आरोपियों से अहम सुराग मिले हैं. नौकरी का झांसा देकर म्यांमार, बांग्लादेश और उत्तर भारतीय राज्यों के गरीब परिवारों की महिलाओं और युवकों को नौकरी और शादी का झांसा देकर जाल में फंसाकर यहां लाते हैं. फिर तस्कर उन्हें उनका या उनके शरीर के अंगों का सौदा करते हैं. इन्हें खाड़ी देशों में बेचा जा रहा है. वहां कुछ समय तक इनसे देह व्यापार और घरेलू नौकर के तौर पर बंधक बनाकर काम करवाया जाता है. इसके बाद उम्रदराज होने पर इनके शरीर अंग निकाल लिए जाते हैं. इन्हें जाल में फसाने वाले तस्करों के एजेंटों को मोटा कमीशन मिलता गया.
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ATS ने पकड़ा था गैंग
एटीएस ने बीते 27 जुलाई को बांग्लादेश निवासी मुहम्मद नूर उर्फ नूरुल इस्लाम, म्यांमार के निवासी रहमतउल्ला व शबीउर्रहमान उर्फ शबीउल्लाह को गिरफ्तार किया था. एटीएस ने उनके कब्जे से दो रोहिंग्या किशोरियों और एक युवक को मुक्त भी कराया था. नूर के उन मददगारों की भी पड़ताल की जा रही है, जिनकी मदद से वह फर्जी दस्तावेज बनवाकर रोहिंग्या की पहचान बदलवाता था. अब तक पकड़े गए रोहिंग्या से भी नूर के रिश्ते खंगाले जा रहे हैं. आरोपित रहमत उल्ला करीब सात वर्षों से जम्मू में रह रहा था. जम्मू में किशोरी को बेचने के लिए रहमत करीब 20 हजार रुपये एडवांस भी ले चुका था. वहीं हैदराबाद में इस्माइल नाम के व्यक्ति से किशोरी का सौदा तय हुआ था.