लखनऊ : विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने पत्रकारों से वार्ता के दौरान कहा कि यूपी विधानसभा की नियमावली बदलने का मुख्य कारण पूर्व में जिस प्रकार की आवश्यकताएं थीं उसी प्रकार की व्यवस्थाएं थीं, लेकिन 65 साल के बाद देश में बहुत परिवर्तन देखने को मिला है. नई-नई तकनीक के चलते अब कई अवसरों पर समय की बचत होती है. जिससे पुराने नियमों का महत्व कम हो गया है. लोकतंत्र में सहमति और असहमति दोनों होती है. द्वंद्व भी रहते हैं, लेकिन उसकी मर्यादा रहनी चाहिए. लोकतंत्र में एक पक्ष की बात नहीं होनी चाहिए. प्रतिपक्ष का भी अपना महत्व होता है. सरकार का अपना रोल होता है तो दोनों मिलाकर जिस समय चलते हैं उस समय प्रदेश के हित की बात होती है.
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि मेरा मानना है कि संस्थानों की गरिमा एवं सम्मान बना रहना चाहिए. संवैधानिक संस्थाओं को उनकी मर्यादा और सम्मान के साथ उसकी प्रगति भी होती रहनी चाहिए. जब विधायकों की रुचि विधायी कार्य में होगी तो स्वाभाविक रूप से उसका लाभ प्रदेश की जनता को मिलेगा. पहले यह एक विश्वास का था कि विधानसभा में बात उठाने से क्या फर्क पड़ता है, लेकिन अब धारणा में बदलाव आया है. हमने पूर्व में ही इस बात की घोषणा की थी कि जो भी समस्याएं विधानसभा में रखी जाएंगी वो सिर्फ रजिस्टर में अंकित होकर पुस्तकालय तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि वह सम्बन्धित विभाग में जाएंगी. विधानसभा में लाए गए विषयों के ऊपर सरकार के द्वारा काम किया जा रहा है. इसका लाभ यह रहा कि अब विधायक सदन की कार्यवाही में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. जिस समय मुख्यमंत्री ने विधानसभा में कहा था कि सभी विधायक यहां अपनी समस्या उठाएं. इस पर पर मुख्यमंत्री से चर्चा की थी. इसके बाद से विधानसभा में बहुत बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है.
ये 13 विधेयक हुए प्रस्तुत | |
1: उत्तर लेडीज दण्ड विधि (अपराधों का शमन और विचारणों का उपशमन) (संशोधन) विधेयक 2023 2: उत्तर प्रदेश नागर स्थानीय स्वायत्त शासन विधि (संशोधन) विधेयक 2023 3: उत्तर प्रदेश नगर पालिका (संशोधन) विधेयक 2023 4: उत्तर प्रदेश कृषि उत्पादन मण्डी (संशोधन)विधेयक 2023 5: उत्तर प्रदेश नगर योजना और विकास (संशोधन)विधेयक 2023 6: उत्तर प्रदेश माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक 2023 7: उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2023 | 8: उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (द्वितीय संशोधन) विधेयक-2023 9: उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग विधेयक-2023 10: उत्तर प्रदेश कृषि एवं प्रौद्यौगिकी विश्वविद्यालय (संशोधन)विधेयक 2023 11: उत्तर प्रदेश जगद्गुरू रामभद्राचार्य दिव्यागं राज्य विश्वविद्यालय विधेयक 2023 12: उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय (तृतीय संशोधन)विधेयक 2023 13: उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय प्रयागराज (संशोधन) विधेयक 2023 |
29 घंटे 23 मिनट चली सदन की कार्यवाही : उत्तर प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बार की सदन की कार्यवाही के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश की 18वीं विधान सभा का द्वितीय सत्र शुक्रवार को अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गया. इस बार सदन की कार्यवाही, दो बार 40 और 20 मिनट स्थगित होने के बाद कुल 29 घण्टे 23 मिनट चली. कार्यवाही के दौरान कुल 3348 प्रश्न प्राप्त हुए. जिनमें स्वीकृत तारांकित प्रश्न 361, अतारांकित प्रश्न 2666 थे. इनमें कुल 988 प्रश्नों का उत्तर दिया गया. 2082 प्रश्न (62.20 प्रतिशत) ऑनलाइन प्राप्त हुए. सरकार से वक्तव्य मांगने वाले नियम-51 के अन्तर्गत 608 सूचनाएं प्राप्त हुईं. इनमें वक्तव्य के लिए 17, केवल वक्तव्य के लिए छह, ध्यानाकर्षण के लिए 311 सूचनाएं आईं. 274 सूचनाएं अस्वीकार की गई.
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि सात अगस्त से शुरू हुए 18वीं विधान सभा के वर्ष-2023 के द्वितीय सत्र में नियम-300 के तहत कुल प्राप्त सूचनाओं की संख्या 13 थी. इसमें चार सूचनाएं स्वीकृत हुईं और नौ अस्वीकृत रहीं. नियम-301 के तहत कुल 450 सूचनाएं प्राप्त हुईं जिनमें 279 स्वीकृत और 171 अस्वीकृत हुई. नियम-311 के अर्न्तगत कुल प्राप्त सूचनाओं की संख्या पांच थी जो सभी अस्वीकृत हुईं. नियम-56 के अन्तर्गत कुल 85 सूचनाएं प्राप्त हुईं, 12 ग्राहयता के लिए सुनी गईं और 11 सूचनाओं पर ध्यानाकर्षण किया गया. नियम-103 के अंतर्गत कुल प्राप्त 18 प्रस्तावों में ग्राह्य प्रस्ताव 16 और दो आग्राह्य प्रस्ताव रहे. सदन में प्रस्तुत कुल प्रस्तावों की संख्या सात रही. जिनमें वापस लिए गए प्रस्तावों की संख्या तीन थी. सदन में प्रस्तुतिकरण के समय प्रस्ताव देने वाले सदस्य के उपस्थित न रहने के कारण व्यपगत प्रस्तावों की संख्या चार और सदन में प्रस्तुतिकरण के लिए लम्बित प्रस्तावों की संख्या दी रही. पिछले सत्रों के चर्चाधीन प्रस्तावों की संख्या 17 रही.
विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि इस सत्र में कुल-524 याचिकाएं प्राप्त की गईं. जिसमें 387 ग्राह्यता के बाद स्वीकार की गई. नियम के अन्तर्गत न होने के कारण अग्राह्य 95, व्यपगत और विलम्ब से प्राप्त याचिकाओं की संख्या 42 रही. कुल 13 विधेयक विचारण और पारण के लिए प्रस्तुत किए गए. इस उपवेशन में हुई कार्यवाही के दौरान संसदीय कार्य व वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने विपक्ष की तरफ से उठाए गए नियम 51, 56, 301 और अन्य सूचनाओं, बिलों के पारण और बहसों पर समाधानपरक उत्तर देकर सदन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया.
यह भी पढ़ें : दिल्ली विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र आज से, हंगामेदार शुरुआत के आसार