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विपक्ष में भगदड़ मचाने की तैयारी में बीजेपी, सपा-बसपा भी निशाने पर !

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Published : Jun 9, 2021, 8:16 PM IST

बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के लिए सियासी दांव आजमाना शुरू कर दिया है. इस कड़ी में सबसे पहले जितिन प्रसाद को पार्टी में शामिल कर कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है. सूत्र बताते हैं अभी तो यह शुरूआत है. इस कड़ी में कांग्रेस के अलावा बहुजन समाजवादी पार्टी और समाजवादी पार्टी के नेताओं को बीजेपी में शामिल कराने की तैयारी चल रही है.

बीजेपी विधानसभा चुनाव की तैयारी में
बीजेपी विधानसभा चुनाव की तैयारी में

लखनऊ: विधानसभा चुनाव 2022 के लिए बीजेपी ने पहले से आजमाई हुई रणनीति पर अमल करना शुरू कर दिया है. रणनीति में से एक है, विपक्ष के खेमे में सर्जिकल स्ट्राइक. भाजपा चुनाव से पहले ऐसे नेताओं को पार्टी में शामिल करती है, जिनके पास जनाधार हो या विपक्षी पार्टी का एक चर्चित चेहरा हो. कभी राहुल गांधी के करीबी रहे जितिन प्रसाद का बीजेपी में आना इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. बीजेपी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के नेताओं पर नजर गड़ाए बैठी है. चुनाव आते-आते ऐसे नेताओं की जमघट बीजेपी में दिख सकती है.

क्या बीजेपी में आएंगे बीएसपी से निकाले गए रामअचल राजभर ?

अपनी रणनीति के तहत बीजेपी साफ-सुथरी छवि वाले उन नेताओं पर भी फोकस कर रही है, जो चुनाव में जीतने का माद्दा रखते हैं. साथ ही, जिनकी जातीय राजनीति में विशेष पहचान है और गठबंधन छोड़कर जाने वाले नेताओं के वोटबैंक में सेंध लगा सकते हैं. पिछले चुनाव में सुभासपा के नेता ओमप्रकाश राजभर गठबंधन के साथी थे. अब वह कांग्रेस और एआईएआईएम के करीब जाते दिख रहे हैं. चर्चा है कि राजभर वोटों की भरपाई के लिए बसपा से निकाले गए. अचल राजभर को बीजेपी पार्टी में शामिल कराने की तैयारी की जा रही है. अगर अचल राजभर बीजेपी में शामिल होते हैं तो आंबेडकर नगर में भी बीजेपी को फायदा हो सकता है.

विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारी में बीजेपी
विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारी में बीजेपी

फिलहाल रामअचल राजभर ने अटकलों को खारिज किया

हालांकि रामअचल राजभर ऐसी अटकलों को खारिज कर रहे हैं. राम अचल राजभर का कहना है कि उन्होंने बहन मायावती के साथ लंबे समय तक काम किया है. उनके ऊपर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के जो आरोप लगे हैं, वह निराधार हैं. वह मायावती से मिलकर सफाई देना चाहते हैं. हालांकि राजभर ने कहा कि वह किसी भी दल में अकेले नहीं जाएंगे और न ही उनका अकेले का निर्णय होगा. वह क्षेत्र की जनता को विश्वास में लेकर ही कोई कदम उठाएंगे.

पिछड़ा और दलित नेताओं पर बीजेपी की खास नजर

राजनीतिक विश्लेषक पी.एन. द्विवेदी का कहना है कि ऐसे बड़े नेताओं के टूटने से विपक्षी दलों में जहां माहौल खराब होगा, वहीं भाजपा को सकारात्मक माहौल बनाने में मदद मिलेगी. भाजपा के एजेंडे में दलित और पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं को साधना शामिल है. इस रणनीति के तहत पिछड़े समाज के वोटरों को बांधे रखना और दलितों को जोड़ने की सारी कवायद की जाएगी. भाजपा इसी रणनीति के तहत सपा और बसपा के नेताओं को तोड़ने की जुगत में है. कई नेता खुद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से संपर्क साध रहे हैं. पंचायत चुनाव के दौरान यह बात कही गयी कि निर्दलीय और दूसरे दलों के समर्थन से जीते जिला पंचायत सदस्य भाजपा के सम्पर्क में हैं.

सर्वे के आधार पर टारगेट किए जाएंगे जनाधार वाले नेता

पार्टी सूत्रों का कहना है कि दूसरे दलों के नेताओं को भाजपा में शामिल कराने के लिए एक रोडमैप तैयार किया गया है. भारतीय जनता पार्टी प्रदेश भर में विधानसभा स्तर पर सर्वे करा रही है. इस सर्वे की एक रिपोर्ट के आधार पर विधानसभा क्षेत्र के प्रभावी नेताओं पर नजर रखी जा रही है. भाजपा के वर्तमान विधायकों की रिपोर्ट भी नेतृत्व के पास है. इस अंदरुनी रिपोर्ट में विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्य, विधायक का जनता के बीच उपस्थिति, विवादित बयान, विवाद, कार्यकर्ताओं की मदद करने जैसी चीजों को आधार बनाया गया है. दूसरी रिपोर्ट तय करेगी कि किस विधानसभा में दूसरे दलों से नेताओं को तोड़ने की जरूरत है.

इसे भी पढ़ें- जितिन प्रसाद ने थामा भाजपा का दामन, कहा - कांग्रेस व्यक्ति विशेष का दल

लखनऊ: विधानसभा चुनाव 2022 के लिए बीजेपी ने पहले से आजमाई हुई रणनीति पर अमल करना शुरू कर दिया है. रणनीति में से एक है, विपक्ष के खेमे में सर्जिकल स्ट्राइक. भाजपा चुनाव से पहले ऐसे नेताओं को पार्टी में शामिल करती है, जिनके पास जनाधार हो या विपक्षी पार्टी का एक चर्चित चेहरा हो. कभी राहुल गांधी के करीबी रहे जितिन प्रसाद का बीजेपी में आना इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. बीजेपी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के नेताओं पर नजर गड़ाए बैठी है. चुनाव आते-आते ऐसे नेताओं की जमघट बीजेपी में दिख सकती है.

क्या बीजेपी में आएंगे बीएसपी से निकाले गए रामअचल राजभर ?

अपनी रणनीति के तहत बीजेपी साफ-सुथरी छवि वाले उन नेताओं पर भी फोकस कर रही है, जो चुनाव में जीतने का माद्दा रखते हैं. साथ ही, जिनकी जातीय राजनीति में विशेष पहचान है और गठबंधन छोड़कर जाने वाले नेताओं के वोटबैंक में सेंध लगा सकते हैं. पिछले चुनाव में सुभासपा के नेता ओमप्रकाश राजभर गठबंधन के साथी थे. अब वह कांग्रेस और एआईएआईएम के करीब जाते दिख रहे हैं. चर्चा है कि राजभर वोटों की भरपाई के लिए बसपा से निकाले गए. अचल राजभर को बीजेपी पार्टी में शामिल कराने की तैयारी की जा रही है. अगर अचल राजभर बीजेपी में शामिल होते हैं तो आंबेडकर नगर में भी बीजेपी को फायदा हो सकता है.

विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारी में बीजेपी
विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारी में बीजेपी

फिलहाल रामअचल राजभर ने अटकलों को खारिज किया

हालांकि रामअचल राजभर ऐसी अटकलों को खारिज कर रहे हैं. राम अचल राजभर का कहना है कि उन्होंने बहन मायावती के साथ लंबे समय तक काम किया है. उनके ऊपर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के जो आरोप लगे हैं, वह निराधार हैं. वह मायावती से मिलकर सफाई देना चाहते हैं. हालांकि राजभर ने कहा कि वह किसी भी दल में अकेले नहीं जाएंगे और न ही उनका अकेले का निर्णय होगा. वह क्षेत्र की जनता को विश्वास में लेकर ही कोई कदम उठाएंगे.

पिछड़ा और दलित नेताओं पर बीजेपी की खास नजर

राजनीतिक विश्लेषक पी.एन. द्विवेदी का कहना है कि ऐसे बड़े नेताओं के टूटने से विपक्षी दलों में जहां माहौल खराब होगा, वहीं भाजपा को सकारात्मक माहौल बनाने में मदद मिलेगी. भाजपा के एजेंडे में दलित और पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं को साधना शामिल है. इस रणनीति के तहत पिछड़े समाज के वोटरों को बांधे रखना और दलितों को जोड़ने की सारी कवायद की जाएगी. भाजपा इसी रणनीति के तहत सपा और बसपा के नेताओं को तोड़ने की जुगत में है. कई नेता खुद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से संपर्क साध रहे हैं. पंचायत चुनाव के दौरान यह बात कही गयी कि निर्दलीय और दूसरे दलों के समर्थन से जीते जिला पंचायत सदस्य भाजपा के सम्पर्क में हैं.

सर्वे के आधार पर टारगेट किए जाएंगे जनाधार वाले नेता

पार्टी सूत्रों का कहना है कि दूसरे दलों के नेताओं को भाजपा में शामिल कराने के लिए एक रोडमैप तैयार किया गया है. भारतीय जनता पार्टी प्रदेश भर में विधानसभा स्तर पर सर्वे करा रही है. इस सर्वे की एक रिपोर्ट के आधार पर विधानसभा क्षेत्र के प्रभावी नेताओं पर नजर रखी जा रही है. भाजपा के वर्तमान विधायकों की रिपोर्ट भी नेतृत्व के पास है. इस अंदरुनी रिपोर्ट में विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्य, विधायक का जनता के बीच उपस्थिति, विवादित बयान, विवाद, कार्यकर्ताओं की मदद करने जैसी चीजों को आधार बनाया गया है. दूसरी रिपोर्ट तय करेगी कि किस विधानसभा में दूसरे दलों से नेताओं को तोड़ने की जरूरत है.

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