ETV Bharat / state

UP Election 2022: परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा - vip politicians in up

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के परिणाम आज आने वाले हैं, जिसको लेकर आज सुबह 8.00 बजे से ही मतगणना जारी है. इससे पहले आइए जानते हैं उन दिग्गजों के बारे में जो यूपी ही नहीं केंन्द्र तक की राजनीति में दखल देते हैं.

परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा
परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा
author img

By

Published : Mar 10, 2022, 8:44 AM IST

लखनऊ : यूपी विधानसभा चुनाव 2022 की वोटिंग 7 चरणों में खत्म हो चुकी है, चुनाव के परिणाम आज आने वाले हैं. जिसको लेकर आज सुबह 8.00 बजे से ही मतगणना जारी है. अब सभी पार्टियों को यूपी चुनाव के परिणामों का बेसबरी से इंतजार है. यूपी चुनाव में शामिल ऐसे कई बड़े नाम हैं, जिनकी नींव सिर्फ यूपी में न होकर केंन्द्र की राजनीति तक जाती है. इस चुनाव में ऐसे कई नेता हैं, जिनकी प्रतिष्ठा दांव पर है. यूपी से होकर केंन्द्र की राजनीति को प्रभावित करने वाले कुछ दिग्गजों पर एक नजर.

पार्टी - भारतीय जनता पार्टी

योगी आदित्यनाथ : सीएम योगी का नाम वैसे तो कई बार सुर्खियों में आया, लेकिन सबसे ज्यादा उनको सुर्खियों में तब देखा गया जब उनका नाम यूपी के मुख्यमंत्री के रूप घोषित किया गया. सन 19 मार्च 2017 को उन्होंने यूपी के सीएम की शपथ ली थी. योगी आदित्यनाथ ने महज 26 वर्ष की उम्र में वर्ष 1998 में लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद के रूप में शपथ ली थी.

परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा
परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा

योगी आदित्यनाथ का जन्म 05 जून 1972 को उत्तराखंड के पौढ़ी गढ़वाल जिले के पंचूर गांव में एक गढ़वाली क्षत्रिय परिवार में हुआ था. योगी आदित्यनाथ का मूल नाम अजय सिंह बिष्ट है. इनके पिता का नाम आनंद सिंह बिष्ट है, जो फॉरेस्ट रेंजर थे. योगी आदित्यनाथ तीन बहने और तीन भाई हैं, जिसमें योगी पांचवें नंबर पर हैं. योगी आदित्यनाथ गोरखपुर शहर विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी हैं.

शिक्षा : गणित और विज्ञान में स्नातक, गणित में एमएससी.

राजनीतिक कैरियर :

  • वर्ष1998 में पहली बार गोरखपुर से लोकसभा चुनाव जीते.
  • वर्ष 1998 से 2017 तक लगातार 05 बार सांसद रहे.

पार्टी - भारतीय जनता पार्टी
केशव प्रसाद मौर्य : बीजेपी ने केशव प्रसाद मौर्य को कौशांबी जिले की सिराथू विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है. केशव प्रसाद मौर्य आरएसएस-बीजेपी का मौर्य चेहरा हैं. वह हिन्दुत्व की राजनीति का हिस्सा हैं, इसके अलावा केशव प्रसाद मौर्य बीजेपी के लिए ओबीसी वोट को साधने का बड़ा चेहरा हैं. शुरुआत के दिनों में केशव प्रसाद मौर्य आरएसएस और विश्व हिन्दू परिषद से जुड़े थे. उन्होंने लगभग 18 साल तक विश्व हिन्दू परिषद के लिए प्रचार किया.

परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा
परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा

केशव प्रसाद मौर्य ने आरएसएस में बाल स्वयंसेवक से शुरुआत की और नगर कार्यवाह तक पहुंचे. इसके अलावा वीएचपी में संगठन मंत्री रहे. केशव प्रसाद मौर्य का जन्म 7 मई सन 1969 में कौशांबी जिले के सिराथू में एक किसान परिवार में हुआ था. केशव प्रसाद मौर्य के घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए वह बचपन में चाय और अखबार बेंचते थे.

शिक्षा : हिंदी साहित्य में स्नातक

राजनीतिक कैरियर :

वर्ष 2004 में पहली बार बाहुबली अतीक अहमद के प्रभाव वाली सीट इलाहाबाद पश्चिम से लड़ा और हार हुई. वर्ष 2007 में उन्होंने फिर से चुनाव लड़ा और हार हुई. इसके बाद केशव प्रसाद मौर्य ने वर्ष 2012 में कौशांबी की सिराथू सीट से चुनाव लड़ा और जीत हुई. इसके बाद वर्ष 2014 में लोकसभा का चुनाव लड़ा और फूलपुर से सांसद बने. 8 अप्रैल 2016 को बीजेपी ने केशव प्रसाद मौर्य को यूपी का प्रदेश अध्यक्ष बनया. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व का भरपूर फायदा मिला और पार्टी की भारी मतों से जीत हुई. 2017 की जीत के बाद केशव प्रसाद मौर्य ने यूपी के डिप्टी सीएम की सपथ ली.

पार्टी - भारतीय जनता पार्टी

सिद्धार्थनाथ सिंह : उत्तर प्रदेश की स‍ियासत (Uttar Pradesh Politics) के कई बड़े चेहरे हैं. इसमें एक नाम स‍िद्धार्थ नाथ स‍िंह का भी है. सिद्धार्थनाथ सिंह पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नाती हैं. अपने सियासी करियर के लिए उन्होंने बीजेपी को चुना. पार्टी का चर्चित चेहरा बनने से पहले सिद्धार्थनाथ सिंह ने काफी समय तक बीजेपी में संगठन का काम किया.

परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा
परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा

सिद्धार्थनाथ सिंह पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माने जाते हैं. उनके चाचा नौनिहाल सिंह यूपी की एनडी तिवारी और वीपी सिंह सरकार में कद्दावर मंत्री थे. यूपी की स‍ियासत में आने से पहले वह कई राज्‍यों में बीजेपी के प्रभारी रह चुके हैं. सिद्धार्थनाथ सिंह बीजेपी से इलाहाबाद पश्चिम सीट से प्रत्याशी हैं.

इनका जन्म 1 अक्टूबर 1963 को नई दिल्ली में हुआ था. सिद्धार्थनाथ सिंह के पिता का नाम विजय नाथ सिंह और माता का नाम सुमन शास्त्री था. इनकी मां पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की सबसे छोटी बेटी थीं. सिद्धार्थ नाथ सिंह पढ़ाई के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ गए थे. यहीं से उन्‍होंने अपना स‍ियासी सफर शुरू क‍िया है.

शिक्षा : अर्थशास्त्र में बीए ऑनर्स

राजनीतिक कैरियर :

  • वर्ष 1998 में दिल्ली प्रदेश के बीजेपी युवा मोर्चा में राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्य बनाए गए.
  • वर्ष 2000 में बीजेपी युवा मोर्चा में राष्ट्रीय कार्यसमिति का सदस्य और मीडिया सचिव बनाया गया.
  • वर्ष 2002 में बीजेपी की केंद्रीय मीडिया सेल का सह संयोजक बनाया गया.
  • वर्ष 2009 में बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और लोकसभा चुनाव का समन्वयक बनाया गया.
  • वर्ष 2010 में पश्चिम बंगाल के सह प्रभारी के तौर पर काम किया. इसके अलावा 2012 में गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान उन्हें केंद्रीय समन्वय बनाया गया.
  • वर्ष 2017 में प्रयागराज पश्चिम सीट से विधायक बने.
  • यूपी में बीजेपी सरकार बनने के बाद प्रदेश सरकार के अधिकारिक प्रवक्ता बने.

पार्टी - भारतीय जनता पार्टी

श्रीकांत शर्मा : बीजेपी नेता व मथुरा विधानसभा सीट से प्रत्याशी श्रीकांत शर्मा का नाम बड़े नेताओं में शामिल है. राजनीति में आने से पहले वह क्रिकेटर बनना चाहते थे. लेकिन, समय के साथ-साथ उनकी रूचि सामाजिक मुद्दों और राजनीतिक मामलों में बढ़ गई. पढ़ाई के दौरान ही वह राजनीति की ओर अग्रसर हो गए और उन्होंने एबीवीपी(ABVP) ज्वाइन की. छात्र राजनीति के समय उन्होंने संगठन में मजबूत पकड़ बनाई. श्रीकांत शर्मा का जन्म 1 जुलाई 1970 को यूपी के मथुरा जिले में हुआ था.

शिक्षा : राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएशन.

परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा
परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा

राजनीतिक कैरियर :

  • दिल्ली विधानसभा चुनाव 1993 के दौरान बीजेपी ने कई अहम जिम्मेदारी दीं.
  • साल 2012 में उत्तर प्रदेश और गुजरात में हुए चुनाव में बीजेपी की मीडिया प्रबंधन का कार्यभार संभाला.
  • साल 2014 में हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव में भी मीडिया प्रबंधन की जिम्मेदारी निभाई.
  • जुलाई 2014 में बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव और राष्ट्रीय मीडिया सेल की जिम्मेदारी मिली.
  • साल 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव में मथुरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत मिली.
  • यूपी में बीजेपी की सरकार बनने के बाद योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में ऊर्जा मंत्री का पदभार मिला.

पार्टी - भारतीय जनता पार्टी

राजेश्वर सिंह : बीजेपी ने लखनऊ की सरोजनीनगर सीट से राजेश्वर सिंह को टिकट दिया है. राजेश्वर सिंह ईडी के पूर्व ज्वाइंट डायरेक्टर हैं. हाल ही में उन्होंने अपनी सेवा से वीआरएस लिया है. जिसके बाद वह राजनीति में सक्रिय हुए. राजेश्वर सिंह मूल रूप से सुल्तानपुर के पखरौली के रहने वाले हैं.

UP Election 2022: परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा
UP Election 2022: परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा

राजेश्वर सिंह ने इंजीनियरिंग की है. इसके अलावा उन्होंने लॉ और ह्यूमन राइट्स में भी डिग्री ली है. साल 1996 में वह पीपीएस अफसर चयनित हुए. राजेश्वर सिंह के पिता स्वर्गीय रण बहादुर सिंह भी भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी थे.

शिक्षा : पीपीएस अधिकारी,1996 बैच, इंजीनियरिंग, लॉ और ह्यूमन राइट्स में डिग्री.

कैरियर : साल 1996 में पीपीएस अधिकारी बने. लखनऊ में डिप्टी एसपी के रूप में तैनात हुए. डिप्टी एसपी के पदभार को संभालते समय राजेश्वर सिंह एनकाउंटर स्पेशलिस्ट नाम से प्रसिद्ध हुए, उनके नाम 13 एनकाउंटर दर्ज हैं.

कई बड़े घोटालों की जांच की : ईडी में रहते हुए उन्होंने कई अहम घोटालों की जांच की. जिसके बाद वह चर्चा में आए. राजेश्वर सिंह 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला, अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर डील, एयरसेल मैक्सिस घोटाला, आम्रपाली घोटाला, नोएडा पोंजी स्कीम घोटाला, गोमती रिवर फ्रंट समेत कई बड़े मामलों की जांच में शामिल रहे हैं.

पार्टी - समाजवादी पार्टी

अखिलेश यादव : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मैनपुरी की करहल सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. अखिलेश यादव वर्ष 2012 से 2017 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं. उनका नाम उत्तर प्रदेश के इतिहास में सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री के रूप में भी जाना जाता है.

UP Election 2022: परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा
UP Election 2022: परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा

अखिलेश यादव का जन्म 01 जुलाई 1973 को इटावा जिले के सैफई में हुआ था. वह समाजवादी पार्टी के संरक्षक व पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के बेटे हैं. अखिलेश यादव की स्कूली शिक्षा इटावा के सेंट मैरी स्कूल में हुई. इसके बाद उन्होंने राजस्थान के धौलपुर मिलिट्री स्कूल में भी पढ़ाई की.

इसके बाद वह पर्यावरण इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर डिग्री के लिए ऑस्ट्रेलिया गए. अखिलेश यादव का विवाह 24 नवंबर 1999 को डिंपल यादव के साथ हुआ. अखिलेश यादव क्रिकेट और फुटबॉल में रुचि है. इसके अलावा उन्हें किताबें पढ़ने, गाना सुनने और फिल्में देखने का भी शौक है.

शिक्षा : पर्यावरण इंजीनियरिंग में पीजी

राजनीतिक कैरियर :

  • वर्ष 2000 में कन्नौज लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए.
  • वर्ष 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में कन्नौज से सांसद निर्वाचित हुए.
  • वर्ष 2012 में समाजवादी साइकिल यात्रा निकालकर अखिलेश यादव ने प्रदेश भर में समाजवादी पार्टी के पक्ष में माहौल बनाया.
  • 15 मार्च 2012 को महज 38 वर्ष की उम्र में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने.
  • अखिलेश यादव 5 साल तक यूपी के मुख्यमंत्री रहे.
  • 01 जनवरी 2017 को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने.

पार्टी - समाजवादी पार्टी-प्रगतिशील समाजवादी पार्टी गठबंधन

शिवपाल सिंह यादव : प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में सपा से गठबंधन करके साइकिल के सिंबल पर इटावा जिले की जसवंत नगर विधानसभा सीट से प्रत्याशी हैं. समाजवादी पार्टी परिवार में हुए झगड़े के बाद उन्होंने 2018 में खुद की नई पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन किया था.

शिवपाल सिंह यादव सपा संरक्षक व पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई हैं. उनका जन्म 6 अप्रैल 1955 को इटावा जिले के सैफई में हुआ था. शिवपाल सिंह यादव मुलायम के सबसे करीबी रहकर राजनीति में सक्रिय रहे. मुलायम सिंह यादव की परछाई की तरह उन्होंने सपा को मजबूत करने का काम किया.

UP Election 2022: परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा
UP Election 2022: परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा

शिवपाल सिंह यादव की प्रारंभिक शिक्षा सैफई के ही प्राथमिक विद्यालय में हुई. इसके बाद उन्होंने मैनपुरी के करहल से इंटरमीडिएट किया. शिवपाल सिंह यादव का विवाह 23 मई 1981 को हुआ था. शिवपाल सिंह यादव की एक बेटी डॉ. अनुभा यादव व एक बेटा आदित्य यादव हैं. आदित्य यादव राजनीति में सक्रिय हैं और प्रसपा के महासचिव हैं.

शिक्षा : स्नातक, B.Ed

राजनीतिक कैरियर :

  • सहकारिता आंदोलन से राजनीति की शुरूआत की.
  • वर्ष1988 में इटावा में सहकारिता बैंक के अध्यक्ष का चुनाव लड़ा और जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष बने.
  • वर्ष 1995 में इटावा से जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हुए.
  • वर्ष 1996 में इटावा की जसवंत नगर विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत हुई.
  • नवंबर 2007 में सपा का कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया.
  • वर्ष 2009 में सपा के पूर्णकालिक प्रदेश अध्यक्ष बने.
  • उत्तर प्रदेश में 2007 से 2012 में बसपा सरकार के दौरान विरोधी दल के नेता रहे.
  • वर्ष 2012 से 2016 तक सपा की सरकार में मंत्री रहे, 2016 में इस्तीफा दे दिया.
  • वर्ष 2017 में समाजवादी पार्टी के सिंबल पर जसवंत नगर से चुनाव लड़ा और जीत हुई.
  • वर्ष 2018 में खुद की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन किया.
  • वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गए.

पार्टी - कांग्रेस (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)

आराधना मिश्रा "मोना" : कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा 'मोना' पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी की बेटी हैं. राजनीतिक दांवपेच उन्होंने अपने पिता से ही सीखे हैं. आराधना मिश्रा "मोना" प्रतापगढ़ की रामपुर खास विधानसभा सीट से प्रत्याशी हैं.

परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा
परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा

कांग्रेस नेता आराधना मिश्रा 'मोना' का जन्म यूपी के प्रयागराज में 20 अप्रैल 1974 को एक राजनीतिक परिवार में हुआ था. प्रतापगढ़ की रामपुर खास सीट से आराधना मिश्रा के पिता प्रमोद तिवारी लगातार 9 बार विधायक रहे हैं. उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है.

शिक्षा : बैचलर ऑफ कॉमर्स, MBA

राजनीतिक कैरियर :

  • आराधना मिश्रा "मोना" ने जमीनी स्तर से राजनीति की शुरुआत की थी. प्रतापगढ़ जिले से रामपुर संग्रामगढ़ ब्लॉक प्रमुख पद के लिए 2001-2006, 2006 से 2011 और 2011 से 2014 तक लगातार निर्वाचित हुईं.
  • आराधना मिश्रा "मोना" साल 2000 में कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़ गईं.
  • वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने मीडिया समिति के सक्रिय सदस्य और राहुल गांधी की मीडिया रणनीतिकार बनीं.
  • वर्ष 2014 में प्रमोद तिवारी के राज्यसभा सांसद बनने के बाद रामपुर खास विधानसभा सीट पर उपचुनाव में हिस्सा लिया और जीतकर विधायक बनीं.
  • वर्ष 2017 में वह रिकॉर्ड मतों से जीतीं.
  • अक्टूबर 2019 में उन्हें कांग्रेस विधायक दल का नेता बनाया गया.
  • वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भी प्रतापगढ़ की रामपुर खास सीट से विधायक बनीं.

पार्टी - कांग्रेस (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)

अजय राय : उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में वाराणसी की पिंडरा विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय चुनावी मैदान में हैं. पिंडरा के रणक्षेत्र में ताल ठोक रहे अजय राय का राजनीतिक करियर भारतीय जनता पार्टी से शुरू हुआ था. इसके बाद वे समाजवादी पार्टी में रहे और आखिर में उन्होंने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ली है.

परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा
परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा

अजय राय मझे हुए राजनेता हैं. जनता के बीच उनकी लोकप्रियता है इसीलिए निर्दलीय भी वे विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं. सिर्फ विधानसभा ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने कांग्रेस पार्टी के लोकसभा प्रत्याशी के तौर पर भी अजय राय चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि यहां पर उन्हें बड़ी पराजय का सामना करना पड़ा. अजय राय का जन्म साल 1969 में वाराणसी में हुआ था. राय उत्तर प्रदेश की राजनीति में बाहुबली के रूप में भी जाने जाते हैं.

राजनीतिक कैरियर :

  • अजय राय ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी के छात्र विंग के सदस्य के रूप में की थी.
  • वर्ष 1996 में बीजेपी के टिकट पर पहली बार कोलास्ला(पिंडरा) विधानसभा सीट से निर्वाचित हुए थे.
  • वर्ष 1996 से लेकर 2007 तक वह लगातार 3 बार विधायक रहे.
  • वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव लड़ा और हार हुई.
  • वर्ष 2009 में कोलास्ला(पिंडरा) विधानसभा से उपचुनाव लड़ा और जीत हुई.
  • वर्ष 2012 में वह कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए, परिसीमन के बाद कोलास्ला सीट समाप्त हो गई और इसकी जगह पिंडरा विधानसभा सीट बन गई.
  • वर्ष 2012 में अजय राय ने इसी सीट से कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत हुई.

पार्टी - बहुजन समाज पार्टी
अमनमणि त्रिपाठी : महाराजगंज की नौतनवा विधानसभा सीट से अमन मणि त्रिपाठी बसपा से उम्मीदवार हैं. वर्ष 2017 के चुनाव में वह नौतनवा सीट पर निर्दलीय विधायक चुने गए थे.

UP Election 2022: परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा
UP Election 2022: परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा

राजनीतिक विरासत उन्हें अपने पिता से मिली है. उनके पिता बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी लक्ष्मीपुर विधानसभा क्षेत्र से 4 बार विधायक रहे हैं. अमरमणि त्रिपाठी उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं. पिता के निष्कासन के बाद 19 वें साल में अमनमणि त्रिपाठी को बसपा में इंट्री मिली. अमनमणि त्रिपाठी का जन्म12 जनवरी 1982 को गोरखपुर में हुआ था.

शिक्षा : स्नातक

राजनीतिक कैरियर :

  • अमन मणि त्रिपाठी ने राजनीति की यात्रा की शुरुआत 16वीं विधानसभा चुनाव से की थी.
  • वर्ष 2012 में नौतनवा विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और हार गए.
  • वर्ष 2017 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और जीत मिली.

पार्टी - अपना दल (के)

कृष्णा पटेल : यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के मैदान में प्रतापगढ़ जिले की सदर सीट से अपना दल (कमेरावादी) पार्टी की प्रमुख कृष्णा पटेल प्रत्याशी हैं. इस बार के चुनाव में कुर्मी वोटर्स को साधने के लिए सपा और अपना दल (कमेरावादी) ने गठबंधन किया है. सपा का अपना दल (कमेरावादी) पार्टी से गठबंधन एक बड़ा दांव माना जा रहा है. कृष्णा पटेल भाजपा के सहयोगी दल अपना दल (एस) पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल व कुर्मी समाज के बड़े नेता रहे दिवंगत सोनेलाल पटेल की पत्नी हैं.

UP Election 2022: परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा
UP Election 2022: परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा

राजनीतिक कैरियर : अपना दल (कमेरावादी) पार्टी की अध्यक्ष कृष्णा पटेल के पति सोने लाल पटेल कांशीराम के बेहद करीबी नेताओं में से एक थे. कृष्णा पटेल की पार्टी अपना दल से वर्ष 2002 में पहला विधायक अतीक अहमद चुना गया. वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव व 2009 के लोकसभा चुनाव में पार्टी अपना दल खाता नहीं खुला.

वर्ष 2012 में अपना दल को कामयाबी मिली, कृष्णा पटेल की बेटी अनुप्रिया पटेल वाराणसी की रोहनिया सीट से चुनाव जीतीं. कृष्ण पटेल ने 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन किया. वर्ष 2016 में कृष्णा पटेल और उनकी बेटी अनुप्रिया पटेल ने अलग-अलग पार्टियां बनाई. कृष्णा पटेल ने पार्टी का नाम अपना दल (कमेरावादी) रखा और अनुप्रिया पटेल ने अपनी पार्टी का नाम नाम अपना दल (सोनेदल) रखा.

पार्टी - जनता दल यूनाइटेड

धनंजय सिंह : जौनपुर जिले की मल्हनी विधानसभा सीट से जनता दल (यूनाइटेड) ने बाहुबली माफिया धनंजय सिंह को प्रत्याशी बनाया है. यूपी के पूर्वांचल क्षेत्र में धनंजय सिंह दो दशकों से अपने बाहुबल से राजनीति में पैर पसारे हुए हैं. धनंजय सिंह का जन्म 16 जुलाई 1975 को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में हुआ था. वर्ष 1990 में उनका परिवार यूपी के जौनपुर आ गया.

UP Election 2022: परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा
UP Election 2022: परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा

राजनीतिक कैरियर : धनंजय सिंह का नाम टॉप बाहुबली माफियाओं में सुमार है. वह 2 बार विधायक व 1 बार सांसद रह चुके हैं. वर्ष 2009 के बाद से वह किसी भी चुनाव में नहीं जीते हैं.

  • वर्ष 2002 में धनंजय सिंह जौनपुर की रारी(मल्हनी) विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े और जीत मिली.
  • वर्ष 2007 में वह जनता दल यूनाइटेड के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत मिली.
  • वर्ष 2008 में धनंजय बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में शामिल हुए.
  • वर्ष 2009 में बसपा के टिकट पर जौनपुर से सांसद चुने गए. 2011 में मायावती ने उन्हें 'पार्टी के खिलाफ काम करने की वजह से बसपा से निष्कासित कर दिया.
  • वर्ष 2012 के चुनाव में धनंजय ने अपनी पूर्व पत्नी डॉक्टर जागृति सिंह को निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर खड़ा किया, लेकिन वह हार गईं.
  • वर्ष 2014 में धनंजय सिंह ने लोकसभा और 2017 में विधानसभा में भी जौनपुर से हाथ आजमाया लेकिन हर बार हार का सामना करना पड़ा.

पार्टी - जनसत्ता दल लोकतांत्रिक

रघुराज प्रताप सिंह 'राजा भैय्या' : उत्तर प्रदेश की राजनीति में जब बाहुबली और कद्दावर नेताओं की चर्चा होती है, तो उसमें रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैय्या का नाम सबसे ऊपर दिखता है. राजा भैया प्रतापगढ़ की कुंडा सीट से निर्दलीय विधायक हैं. इस बार वह खुद की पार्टी जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) से कुंडा सीट पर चुनावी ताल ठोक रहे हैं.

UP Election 2022: परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा
UP Election 2022: परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा

राजा भैया जिस कुंडा से छह बार विधायक रह चुके हैं, उनकी इस सीट में पकड़ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2007 के विधान सभा चुनाव में बसपा लहर, 2012 के चुनाव में सपा की लहर और 2017 में भाजपा की लहर को नाकान कर इन्होंने चुनाव जीता. राजा भैया का जन्म 31 अक्टूबर 1969 को कोलकाता में हुआ था. उनके पिता उदय प्रताप सिंह प्रतापगढ़ की तत्कालीन भदरी रियासर के राजा थे.

राजा भैया के दादा पंत नगर कृषि विश्वविद्यालय के संस्थापक वाइस चांसलर थे. वह हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी रहे. राजनीति को अपना करियर बनाने वाले राजा भैया अपने परिवार के पहले व्यक्ति हैं. राजा भैय्या घुड़सवारी और निशानेबाजी के शौकीन हैं.

शिक्षा : बैचलर इन लॉ की डिग्री, मिलिट्री साइंस और भारतीय मध्यकालीन इतिहास में स्नातक.

राजनीतिक कैरियर : राजा भैया ने 1993 में हुए विधानसभा चुनाव से कुंडा की राजनीति में कदम रखा था, तब से वह लगातार अजेय बने हुए हैं.

  • वर्ष 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में रघुराज प्रताप सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर कुंडा सीट से चुनाव लड़ा और जीते.
  • इसके बाद भी 2007 व 2012 के विधानसभा चुनाव में राजा भैया निर्दलीय विधायक के रूप में चुनाव जीते.
  • वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत हांसिल की.
  • वर्ष 2018 में उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी का गठन किया और उसका नाम जनसत्ता दल लोकतांत्रित रखा.
  • वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में राजा भैय्या ने अपनी पार्टी से दो प्रत्याशी मैदान में उतारे.

इसे पढ़ें- UP Assembly Election 2022 Counting LIVE: यूपी विधानसभा चुनाव की मतगणना थोड़ी में होगी शुरू, जानिए इस चुनाव की खास बातें

इसे पढ़ें - यूपी विधानसभा चुनाव 2022: मतगणना से पहले बोले मंत्री बृजेश पाठक, प्रदेश में बन रही है BJP की सरकार

लखनऊ : यूपी विधानसभा चुनाव 2022 की वोटिंग 7 चरणों में खत्म हो चुकी है, चुनाव के परिणाम आज आने वाले हैं. जिसको लेकर आज सुबह 8.00 बजे से ही मतगणना जारी है. अब सभी पार्टियों को यूपी चुनाव के परिणामों का बेसबरी से इंतजार है. यूपी चुनाव में शामिल ऐसे कई बड़े नाम हैं, जिनकी नींव सिर्फ यूपी में न होकर केंन्द्र की राजनीति तक जाती है. इस चुनाव में ऐसे कई नेता हैं, जिनकी प्रतिष्ठा दांव पर है. यूपी से होकर केंन्द्र की राजनीति को प्रभावित करने वाले कुछ दिग्गजों पर एक नजर.

पार्टी - भारतीय जनता पार्टी

योगी आदित्यनाथ : सीएम योगी का नाम वैसे तो कई बार सुर्खियों में आया, लेकिन सबसे ज्यादा उनको सुर्खियों में तब देखा गया जब उनका नाम यूपी के मुख्यमंत्री के रूप घोषित किया गया. सन 19 मार्च 2017 को उन्होंने यूपी के सीएम की शपथ ली थी. योगी आदित्यनाथ ने महज 26 वर्ष की उम्र में वर्ष 1998 में लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद के रूप में शपथ ली थी.

परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा
परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा

योगी आदित्यनाथ का जन्म 05 जून 1972 को उत्तराखंड के पौढ़ी गढ़वाल जिले के पंचूर गांव में एक गढ़वाली क्षत्रिय परिवार में हुआ था. योगी आदित्यनाथ का मूल नाम अजय सिंह बिष्ट है. इनके पिता का नाम आनंद सिंह बिष्ट है, जो फॉरेस्ट रेंजर थे. योगी आदित्यनाथ तीन बहने और तीन भाई हैं, जिसमें योगी पांचवें नंबर पर हैं. योगी आदित्यनाथ गोरखपुर शहर विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी हैं.

शिक्षा : गणित और विज्ञान में स्नातक, गणित में एमएससी.

राजनीतिक कैरियर :

  • वर्ष1998 में पहली बार गोरखपुर से लोकसभा चुनाव जीते.
  • वर्ष 1998 से 2017 तक लगातार 05 बार सांसद रहे.

पार्टी - भारतीय जनता पार्टी
केशव प्रसाद मौर्य : बीजेपी ने केशव प्रसाद मौर्य को कौशांबी जिले की सिराथू विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है. केशव प्रसाद मौर्य आरएसएस-बीजेपी का मौर्य चेहरा हैं. वह हिन्दुत्व की राजनीति का हिस्सा हैं, इसके अलावा केशव प्रसाद मौर्य बीजेपी के लिए ओबीसी वोट को साधने का बड़ा चेहरा हैं. शुरुआत के दिनों में केशव प्रसाद मौर्य आरएसएस और विश्व हिन्दू परिषद से जुड़े थे. उन्होंने लगभग 18 साल तक विश्व हिन्दू परिषद के लिए प्रचार किया.

परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा
परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा

केशव प्रसाद मौर्य ने आरएसएस में बाल स्वयंसेवक से शुरुआत की और नगर कार्यवाह तक पहुंचे. इसके अलावा वीएचपी में संगठन मंत्री रहे. केशव प्रसाद मौर्य का जन्म 7 मई सन 1969 में कौशांबी जिले के सिराथू में एक किसान परिवार में हुआ था. केशव प्रसाद मौर्य के घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए वह बचपन में चाय और अखबार बेंचते थे.

शिक्षा : हिंदी साहित्य में स्नातक

राजनीतिक कैरियर :

वर्ष 2004 में पहली बार बाहुबली अतीक अहमद के प्रभाव वाली सीट इलाहाबाद पश्चिम से लड़ा और हार हुई. वर्ष 2007 में उन्होंने फिर से चुनाव लड़ा और हार हुई. इसके बाद केशव प्रसाद मौर्य ने वर्ष 2012 में कौशांबी की सिराथू सीट से चुनाव लड़ा और जीत हुई. इसके बाद वर्ष 2014 में लोकसभा का चुनाव लड़ा और फूलपुर से सांसद बने. 8 अप्रैल 2016 को बीजेपी ने केशव प्रसाद मौर्य को यूपी का प्रदेश अध्यक्ष बनया. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व का भरपूर फायदा मिला और पार्टी की भारी मतों से जीत हुई. 2017 की जीत के बाद केशव प्रसाद मौर्य ने यूपी के डिप्टी सीएम की सपथ ली.

पार्टी - भारतीय जनता पार्टी

सिद्धार्थनाथ सिंह : उत्तर प्रदेश की स‍ियासत (Uttar Pradesh Politics) के कई बड़े चेहरे हैं. इसमें एक नाम स‍िद्धार्थ नाथ स‍िंह का भी है. सिद्धार्थनाथ सिंह पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के नाती हैं. अपने सियासी करियर के लिए उन्होंने बीजेपी को चुना. पार्टी का चर्चित चेहरा बनने से पहले सिद्धार्थनाथ सिंह ने काफी समय तक बीजेपी में संगठन का काम किया.

परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा
परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा

सिद्धार्थनाथ सिंह पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माने जाते हैं. उनके चाचा नौनिहाल सिंह यूपी की एनडी तिवारी और वीपी सिंह सरकार में कद्दावर मंत्री थे. यूपी की स‍ियासत में आने से पहले वह कई राज्‍यों में बीजेपी के प्रभारी रह चुके हैं. सिद्धार्थनाथ सिंह बीजेपी से इलाहाबाद पश्चिम सीट से प्रत्याशी हैं.

इनका जन्म 1 अक्टूबर 1963 को नई दिल्ली में हुआ था. सिद्धार्थनाथ सिंह के पिता का नाम विजय नाथ सिंह और माता का नाम सुमन शास्त्री था. इनकी मां पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की सबसे छोटी बेटी थीं. सिद्धार्थ नाथ सिंह पढ़ाई के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़ गए थे. यहीं से उन्‍होंने अपना स‍ियासी सफर शुरू क‍िया है.

शिक्षा : अर्थशास्त्र में बीए ऑनर्स

राजनीतिक कैरियर :

  • वर्ष 1998 में दिल्ली प्रदेश के बीजेपी युवा मोर्चा में राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्य बनाए गए.
  • वर्ष 2000 में बीजेपी युवा मोर्चा में राष्ट्रीय कार्यसमिति का सदस्य और मीडिया सचिव बनाया गया.
  • वर्ष 2002 में बीजेपी की केंद्रीय मीडिया सेल का सह संयोजक बनाया गया.
  • वर्ष 2009 में बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और लोकसभा चुनाव का समन्वयक बनाया गया.
  • वर्ष 2010 में पश्चिम बंगाल के सह प्रभारी के तौर पर काम किया. इसके अलावा 2012 में गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान उन्हें केंद्रीय समन्वय बनाया गया.
  • वर्ष 2017 में प्रयागराज पश्चिम सीट से विधायक बने.
  • यूपी में बीजेपी सरकार बनने के बाद प्रदेश सरकार के अधिकारिक प्रवक्ता बने.

पार्टी - भारतीय जनता पार्टी

श्रीकांत शर्मा : बीजेपी नेता व मथुरा विधानसभा सीट से प्रत्याशी श्रीकांत शर्मा का नाम बड़े नेताओं में शामिल है. राजनीति में आने से पहले वह क्रिकेटर बनना चाहते थे. लेकिन, समय के साथ-साथ उनकी रूचि सामाजिक मुद्दों और राजनीतिक मामलों में बढ़ गई. पढ़ाई के दौरान ही वह राजनीति की ओर अग्रसर हो गए और उन्होंने एबीवीपी(ABVP) ज्वाइन की. छात्र राजनीति के समय उन्होंने संगठन में मजबूत पकड़ बनाई. श्रीकांत शर्मा का जन्म 1 जुलाई 1970 को यूपी के मथुरा जिले में हुआ था.

शिक्षा : राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएशन.

परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा
परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा

राजनीतिक कैरियर :

  • दिल्ली विधानसभा चुनाव 1993 के दौरान बीजेपी ने कई अहम जिम्मेदारी दीं.
  • साल 2012 में उत्तर प्रदेश और गुजरात में हुए चुनाव में बीजेपी की मीडिया प्रबंधन का कार्यभार संभाला.
  • साल 2014 में हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव में भी मीडिया प्रबंधन की जिम्मेदारी निभाई.
  • जुलाई 2014 में बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव और राष्ट्रीय मीडिया सेल की जिम्मेदारी मिली.
  • साल 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव में मथुरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत मिली.
  • यूपी में बीजेपी की सरकार बनने के बाद योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में ऊर्जा मंत्री का पदभार मिला.

पार्टी - भारतीय जनता पार्टी

राजेश्वर सिंह : बीजेपी ने लखनऊ की सरोजनीनगर सीट से राजेश्वर सिंह को टिकट दिया है. राजेश्वर सिंह ईडी के पूर्व ज्वाइंट डायरेक्टर हैं. हाल ही में उन्होंने अपनी सेवा से वीआरएस लिया है. जिसके बाद वह राजनीति में सक्रिय हुए. राजेश्वर सिंह मूल रूप से सुल्तानपुर के पखरौली के रहने वाले हैं.

UP Election 2022: परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा
UP Election 2022: परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा

राजेश्वर सिंह ने इंजीनियरिंग की है. इसके अलावा उन्होंने लॉ और ह्यूमन राइट्स में भी डिग्री ली है. साल 1996 में वह पीपीएस अफसर चयनित हुए. राजेश्वर सिंह के पिता स्वर्गीय रण बहादुर सिंह भी भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी थे.

शिक्षा : पीपीएस अधिकारी,1996 बैच, इंजीनियरिंग, लॉ और ह्यूमन राइट्स में डिग्री.

कैरियर : साल 1996 में पीपीएस अधिकारी बने. लखनऊ में डिप्टी एसपी के रूप में तैनात हुए. डिप्टी एसपी के पदभार को संभालते समय राजेश्वर सिंह एनकाउंटर स्पेशलिस्ट नाम से प्रसिद्ध हुए, उनके नाम 13 एनकाउंटर दर्ज हैं.

कई बड़े घोटालों की जांच की : ईडी में रहते हुए उन्होंने कई अहम घोटालों की जांच की. जिसके बाद वह चर्चा में आए. राजेश्वर सिंह 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला, अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर डील, एयरसेल मैक्सिस घोटाला, आम्रपाली घोटाला, नोएडा पोंजी स्कीम घोटाला, गोमती रिवर फ्रंट समेत कई बड़े मामलों की जांच में शामिल रहे हैं.

पार्टी - समाजवादी पार्टी

अखिलेश यादव : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मैनपुरी की करहल सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. अखिलेश यादव वर्ष 2012 से 2017 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं. उनका नाम उत्तर प्रदेश के इतिहास में सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री के रूप में भी जाना जाता है.

UP Election 2022: परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा
UP Election 2022: परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा

अखिलेश यादव का जन्म 01 जुलाई 1973 को इटावा जिले के सैफई में हुआ था. वह समाजवादी पार्टी के संरक्षक व पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के बेटे हैं. अखिलेश यादव की स्कूली शिक्षा इटावा के सेंट मैरी स्कूल में हुई. इसके बाद उन्होंने राजस्थान के धौलपुर मिलिट्री स्कूल में भी पढ़ाई की.

इसके बाद वह पर्यावरण इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर डिग्री के लिए ऑस्ट्रेलिया गए. अखिलेश यादव का विवाह 24 नवंबर 1999 को डिंपल यादव के साथ हुआ. अखिलेश यादव क्रिकेट और फुटबॉल में रुचि है. इसके अलावा उन्हें किताबें पढ़ने, गाना सुनने और फिल्में देखने का भी शौक है.

शिक्षा : पर्यावरण इंजीनियरिंग में पीजी

राजनीतिक कैरियर :

  • वर्ष 2000 में कन्नौज लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए.
  • वर्ष 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में कन्नौज से सांसद निर्वाचित हुए.
  • वर्ष 2012 में समाजवादी साइकिल यात्रा निकालकर अखिलेश यादव ने प्रदेश भर में समाजवादी पार्टी के पक्ष में माहौल बनाया.
  • 15 मार्च 2012 को महज 38 वर्ष की उम्र में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने.
  • अखिलेश यादव 5 साल तक यूपी के मुख्यमंत्री रहे.
  • 01 जनवरी 2017 को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने.

पार्टी - समाजवादी पार्टी-प्रगतिशील समाजवादी पार्टी गठबंधन

शिवपाल सिंह यादव : प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में सपा से गठबंधन करके साइकिल के सिंबल पर इटावा जिले की जसवंत नगर विधानसभा सीट से प्रत्याशी हैं. समाजवादी पार्टी परिवार में हुए झगड़े के बाद उन्होंने 2018 में खुद की नई पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन किया था.

शिवपाल सिंह यादव सपा संरक्षक व पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई हैं. उनका जन्म 6 अप्रैल 1955 को इटावा जिले के सैफई में हुआ था. शिवपाल सिंह यादव मुलायम के सबसे करीबी रहकर राजनीति में सक्रिय रहे. मुलायम सिंह यादव की परछाई की तरह उन्होंने सपा को मजबूत करने का काम किया.

UP Election 2022: परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा
UP Election 2022: परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा

शिवपाल सिंह यादव की प्रारंभिक शिक्षा सैफई के ही प्राथमिक विद्यालय में हुई. इसके बाद उन्होंने मैनपुरी के करहल से इंटरमीडिएट किया. शिवपाल सिंह यादव का विवाह 23 मई 1981 को हुआ था. शिवपाल सिंह यादव की एक बेटी डॉ. अनुभा यादव व एक बेटा आदित्य यादव हैं. आदित्य यादव राजनीति में सक्रिय हैं और प्रसपा के महासचिव हैं.

शिक्षा : स्नातक, B.Ed

राजनीतिक कैरियर :

  • सहकारिता आंदोलन से राजनीति की शुरूआत की.
  • वर्ष1988 में इटावा में सहकारिता बैंक के अध्यक्ष का चुनाव लड़ा और जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष बने.
  • वर्ष 1995 में इटावा से जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हुए.
  • वर्ष 1996 में इटावा की जसवंत नगर विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत हुई.
  • नवंबर 2007 में सपा का कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया.
  • वर्ष 2009 में सपा के पूर्णकालिक प्रदेश अध्यक्ष बने.
  • उत्तर प्रदेश में 2007 से 2012 में बसपा सरकार के दौरान विरोधी दल के नेता रहे.
  • वर्ष 2012 से 2016 तक सपा की सरकार में मंत्री रहे, 2016 में इस्तीफा दे दिया.
  • वर्ष 2017 में समाजवादी पार्टी के सिंबल पर जसवंत नगर से चुनाव लड़ा और जीत हुई.
  • वर्ष 2018 में खुद की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन किया.
  • वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गए.

पार्टी - कांग्रेस (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)

आराधना मिश्रा "मोना" : कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा 'मोना' पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी की बेटी हैं. राजनीतिक दांवपेच उन्होंने अपने पिता से ही सीखे हैं. आराधना मिश्रा "मोना" प्रतापगढ़ की रामपुर खास विधानसभा सीट से प्रत्याशी हैं.

परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा
परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा

कांग्रेस नेता आराधना मिश्रा 'मोना' का जन्म यूपी के प्रयागराज में 20 अप्रैल 1974 को एक राजनीतिक परिवार में हुआ था. प्रतापगढ़ की रामपुर खास सीट से आराधना मिश्रा के पिता प्रमोद तिवारी लगातार 9 बार विधायक रहे हैं. उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है.

शिक्षा : बैचलर ऑफ कॉमर्स, MBA

राजनीतिक कैरियर :

  • आराधना मिश्रा "मोना" ने जमीनी स्तर से राजनीति की शुरुआत की थी. प्रतापगढ़ जिले से रामपुर संग्रामगढ़ ब्लॉक प्रमुख पद के लिए 2001-2006, 2006 से 2011 और 2011 से 2014 तक लगातार निर्वाचित हुईं.
  • आराधना मिश्रा "मोना" साल 2000 में कांग्रेस पार्टी के साथ जुड़ गईं.
  • वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने मीडिया समिति के सक्रिय सदस्य और राहुल गांधी की मीडिया रणनीतिकार बनीं.
  • वर्ष 2014 में प्रमोद तिवारी के राज्यसभा सांसद बनने के बाद रामपुर खास विधानसभा सीट पर उपचुनाव में हिस्सा लिया और जीतकर विधायक बनीं.
  • वर्ष 2017 में वह रिकॉर्ड मतों से जीतीं.
  • अक्टूबर 2019 में उन्हें कांग्रेस विधायक दल का नेता बनाया गया.
  • वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भी प्रतापगढ़ की रामपुर खास सीट से विधायक बनीं.

पार्टी - कांग्रेस (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)

अजय राय : उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में वाराणसी की पिंडरा विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय चुनावी मैदान में हैं. पिंडरा के रणक्षेत्र में ताल ठोक रहे अजय राय का राजनीतिक करियर भारतीय जनता पार्टी से शुरू हुआ था. इसके बाद वे समाजवादी पार्टी में रहे और आखिर में उन्होंने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ली है.

परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा
परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा

अजय राय मझे हुए राजनेता हैं. जनता के बीच उनकी लोकप्रियता है इसीलिए निर्दलीय भी वे विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं. सिर्फ विधानसभा ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने कांग्रेस पार्टी के लोकसभा प्रत्याशी के तौर पर भी अजय राय चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि यहां पर उन्हें बड़ी पराजय का सामना करना पड़ा. अजय राय का जन्म साल 1969 में वाराणसी में हुआ था. राय उत्तर प्रदेश की राजनीति में बाहुबली के रूप में भी जाने जाते हैं.

राजनीतिक कैरियर :

  • अजय राय ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी के छात्र विंग के सदस्य के रूप में की थी.
  • वर्ष 1996 में बीजेपी के टिकट पर पहली बार कोलास्ला(पिंडरा) विधानसभा सीट से निर्वाचित हुए थे.
  • वर्ष 1996 से लेकर 2007 तक वह लगातार 3 बार विधायक रहे.
  • वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव लड़ा और हार हुई.
  • वर्ष 2009 में कोलास्ला(पिंडरा) विधानसभा से उपचुनाव लड़ा और जीत हुई.
  • वर्ष 2012 में वह कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए, परिसीमन के बाद कोलास्ला सीट समाप्त हो गई और इसकी जगह पिंडरा विधानसभा सीट बन गई.
  • वर्ष 2012 में अजय राय ने इसी सीट से कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत हुई.

पार्टी - बहुजन समाज पार्टी
अमनमणि त्रिपाठी : महाराजगंज की नौतनवा विधानसभा सीट से अमन मणि त्रिपाठी बसपा से उम्मीदवार हैं. वर्ष 2017 के चुनाव में वह नौतनवा सीट पर निर्दलीय विधायक चुने गए थे.

UP Election 2022: परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा
UP Election 2022: परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा

राजनीतिक विरासत उन्हें अपने पिता से मिली है. उनके पिता बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी लक्ष्मीपुर विधानसभा क्षेत्र से 4 बार विधायक रहे हैं. अमरमणि त्रिपाठी उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं. पिता के निष्कासन के बाद 19 वें साल में अमनमणि त्रिपाठी को बसपा में इंट्री मिली. अमनमणि त्रिपाठी का जन्म12 जनवरी 1982 को गोरखपुर में हुआ था.

शिक्षा : स्नातक

राजनीतिक कैरियर :

  • अमन मणि त्रिपाठी ने राजनीति की यात्रा की शुरुआत 16वीं विधानसभा चुनाव से की थी.
  • वर्ष 2012 में नौतनवा विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और हार गए.
  • वर्ष 2017 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और जीत मिली.

पार्टी - अपना दल (के)

कृष्णा पटेल : यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के मैदान में प्रतापगढ़ जिले की सदर सीट से अपना दल (कमेरावादी) पार्टी की प्रमुख कृष्णा पटेल प्रत्याशी हैं. इस बार के चुनाव में कुर्मी वोटर्स को साधने के लिए सपा और अपना दल (कमेरावादी) ने गठबंधन किया है. सपा का अपना दल (कमेरावादी) पार्टी से गठबंधन एक बड़ा दांव माना जा रहा है. कृष्णा पटेल भाजपा के सहयोगी दल अपना दल (एस) पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल व कुर्मी समाज के बड़े नेता रहे दिवंगत सोनेलाल पटेल की पत्नी हैं.

UP Election 2022: परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा
UP Election 2022: परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा

राजनीतिक कैरियर : अपना दल (कमेरावादी) पार्टी की अध्यक्ष कृष्णा पटेल के पति सोने लाल पटेल कांशीराम के बेहद करीबी नेताओं में से एक थे. कृष्णा पटेल की पार्टी अपना दल से वर्ष 2002 में पहला विधायक अतीक अहमद चुना गया. वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव व 2009 के लोकसभा चुनाव में पार्टी अपना दल खाता नहीं खुला.

वर्ष 2012 में अपना दल को कामयाबी मिली, कृष्णा पटेल की बेटी अनुप्रिया पटेल वाराणसी की रोहनिया सीट से चुनाव जीतीं. कृष्ण पटेल ने 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ गठबंधन किया. वर्ष 2016 में कृष्णा पटेल और उनकी बेटी अनुप्रिया पटेल ने अलग-अलग पार्टियां बनाई. कृष्णा पटेल ने पार्टी का नाम अपना दल (कमेरावादी) रखा और अनुप्रिया पटेल ने अपनी पार्टी का नाम नाम अपना दल (सोनेदल) रखा.

पार्टी - जनता दल यूनाइटेड

धनंजय सिंह : जौनपुर जिले की मल्हनी विधानसभा सीट से जनता दल (यूनाइटेड) ने बाहुबली माफिया धनंजय सिंह को प्रत्याशी बनाया है. यूपी के पूर्वांचल क्षेत्र में धनंजय सिंह दो दशकों से अपने बाहुबल से राजनीति में पैर पसारे हुए हैं. धनंजय सिंह का जन्म 16 जुलाई 1975 को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में हुआ था. वर्ष 1990 में उनका परिवार यूपी के जौनपुर आ गया.

UP Election 2022: परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा
UP Election 2022: परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा

राजनीतिक कैरियर : धनंजय सिंह का नाम टॉप बाहुबली माफियाओं में सुमार है. वह 2 बार विधायक व 1 बार सांसद रह चुके हैं. वर्ष 2009 के बाद से वह किसी भी चुनाव में नहीं जीते हैं.

  • वर्ष 2002 में धनंजय सिंह जौनपुर की रारी(मल्हनी) विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े और जीत मिली.
  • वर्ष 2007 में वह जनता दल यूनाइटेड के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत मिली.
  • वर्ष 2008 में धनंजय बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में शामिल हुए.
  • वर्ष 2009 में बसपा के टिकट पर जौनपुर से सांसद चुने गए. 2011 में मायावती ने उन्हें 'पार्टी के खिलाफ काम करने की वजह से बसपा से निष्कासित कर दिया.
  • वर्ष 2012 के चुनाव में धनंजय ने अपनी पूर्व पत्नी डॉक्टर जागृति सिंह को निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर खड़ा किया, लेकिन वह हार गईं.
  • वर्ष 2014 में धनंजय सिंह ने लोकसभा और 2017 में विधानसभा में भी जौनपुर से हाथ आजमाया लेकिन हर बार हार का सामना करना पड़ा.

पार्टी - जनसत्ता दल लोकतांत्रिक

रघुराज प्रताप सिंह 'राजा भैय्या' : उत्तर प्रदेश की राजनीति में जब बाहुबली और कद्दावर नेताओं की चर्चा होती है, तो उसमें रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैय्या का नाम सबसे ऊपर दिखता है. राजा भैया प्रतापगढ़ की कुंडा सीट से निर्दलीय विधायक हैं. इस बार वह खुद की पार्टी जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) से कुंडा सीट पर चुनावी ताल ठोक रहे हैं.

UP Election 2022: परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा
UP Election 2022: परिणाम से पहले जानिए यूपी के नेताओं के बारे में, जिनका केंन्द्र तक है दबदबा

राजा भैया जिस कुंडा से छह बार विधायक रह चुके हैं, उनकी इस सीट में पकड़ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2007 के विधान सभा चुनाव में बसपा लहर, 2012 के चुनाव में सपा की लहर और 2017 में भाजपा की लहर को नाकान कर इन्होंने चुनाव जीता. राजा भैया का जन्म 31 अक्टूबर 1969 को कोलकाता में हुआ था. उनके पिता उदय प्रताप सिंह प्रतापगढ़ की तत्कालीन भदरी रियासर के राजा थे.

राजा भैया के दादा पंत नगर कृषि विश्वविद्यालय के संस्थापक वाइस चांसलर थे. वह हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी रहे. राजनीति को अपना करियर बनाने वाले राजा भैया अपने परिवार के पहले व्यक्ति हैं. राजा भैय्या घुड़सवारी और निशानेबाजी के शौकीन हैं.

शिक्षा : बैचलर इन लॉ की डिग्री, मिलिट्री साइंस और भारतीय मध्यकालीन इतिहास में स्नातक.

राजनीतिक कैरियर : राजा भैया ने 1993 में हुए विधानसभा चुनाव से कुंडा की राजनीति में कदम रखा था, तब से वह लगातार अजेय बने हुए हैं.

  • वर्ष 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में रघुराज प्रताप सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर कुंडा सीट से चुनाव लड़ा और जीते.
  • इसके बाद भी 2007 व 2012 के विधानसभा चुनाव में राजा भैया निर्दलीय विधायक के रूप में चुनाव जीते.
  • वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत हांसिल की.
  • वर्ष 2018 में उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी का गठन किया और उसका नाम जनसत्ता दल लोकतांत्रित रखा.
  • वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में राजा भैय्या ने अपनी पार्टी से दो प्रत्याशी मैदान में उतारे.

इसे पढ़ें- UP Assembly Election 2022 Counting LIVE: यूपी विधानसभा चुनाव की मतगणना थोड़ी में होगी शुरू, जानिए इस चुनाव की खास बातें

इसे पढ़ें - यूपी विधानसभा चुनाव 2022: मतगणना से पहले बोले मंत्री बृजेश पाठक, प्रदेश में बन रही है BJP की सरकार

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.