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मास्टर स्ट्रोक 2022: भाजपा की सजाई पिच पर कहीं बैटिंग न कर जाए विपक्ष - उत्तर प्रदेश जनसंख्या नियंत्रण 2021 ड्राफ्ट

उत्तर प्रदेश में मिशन 2022 को लेकर राजनीतिक गलियारे में सरगर्मी बढ़ने लगी है. विपक्ष जनसंख्या नीति को भाजपा की चुनावी चाल करार दे रहा है. वहीं दूसरी ओर मास्टर स्ट्रोक 2022 को लेकर भारतीय जनता पार्टी तेजी से चुनावी पिच सजाने में जुटी हुई है. अब देखने वाली बात यह है कि बीजेपी के चुनावी मैदान में विपक्ष कितनी अच्छी बैटिंग कर पाएगा. सुनिए जनसंख्या नीति पर अलग-अलग पार्टियों के प्रवक्ताओं और राजनीतिक विश्लेषकों का क्या कहना है.

स्पेशल रिपोर्ट.
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Published : Jul 12, 2021, 6:52 PM IST

लखनऊ: 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly elections 2022) को लेकर भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) की सरकार ने एक बड़ा मास्टर स्ट्रोक खेला है. योगी सरकार (Yogi Government) ने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जनसंख्या नीति जारी की है. उत्तर प्रदेश के जो मुख्य विपक्षी दल हैं, वह इस पर न खुलकर बोल पा रहे हैं, न ही समर्थन कर पा रहे हैं और न ही इसका विरोध कर पा रहे हैं. वहीं कांग्रेस पार्टी का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) 2022 के चुनाव से पहले सिर्फ चुनावी एजेंडा पर ध्यान दे रही है और जनता की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं है.

योगी सरकार ने किया हिम्मत वाला काम

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि योगी सरकार (Yogi Government) ने जनसंख्या नीति (Population Control Policy) लागू करने को लेकर जो ड्राफ्ट तैयार किया है, वह वाकई बहुत हिम्मत वाला काम है और निश्चित रूप से विधानसभा चुनाव को लेकर यह एक बड़ा चुनावी कदम माना जा रहा है. विपक्षी दलों को भी इसी एजेंडे के इर्द-गिर्द रहकर राजनीति करनी होगी. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस ड्राफ्ट में जो प्रावधान हैं, उसके अनुसार 2 से अधिक बच्चे होने वाले लोगों को तमाम तरह की योजनाओं में लाभ नहीं मिल पाएगा और कई तरह की सुविधाओं से वंचित रहेंगे. वोट बैंक के प्रभावित होने के कारण राजनीतिक दल इस पर खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं. वहीं भारतीय जनता पार्टी की सरकार धार्मिक ध्रुवीकरण को लेकर जनसंख्या नीति लाने का काम कर रही है.

स्पेशल रिपोर्ट.
भाजपा ने चला है बड़ा दांव, विपक्षी दलों के लिए जनसंख्या नीति बनी मुसीबत

2022 के विधानसभा चुनाव (Assembly elections 2022) से पहले भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) की सरकार ने एक बड़ा कार्ड खेला है. जनसंख्या नीति (Population Control Policy) का जो ड्राफ्ट लागू किया है. उसके अपने कई तरह के मायने बताए जा रहे हैं. दो से अधिक संतान होने पर कई तरह की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाएगा, तो पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे. इसके अलावा भी कई तरह के प्रावधान किए गए हैं, जिससे जनसंख्या को नियंत्रित किया जा सके. ऐसे में उत्तर प्रदेश में जो धर्म विशेष या जातीय समीकरणों की राजनीति करने वाले दल हैं, वह इसको लेकर न खुलकर समर्थन कर रहे हैं और न ही इसका विरोध कर रहे हैं. क्योंकि इससे उनका वोट बैंक भी प्रभावित होता हुआ नजर आ रहा है. यही कारण है कि उत्तर प्रदेश की जो मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी है, वह भी कुछ नहीं बोल रही है. समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस जनसंख्या नीति का न तो समर्थन कर रहे हैं और न ही इसका विरोध. 1 दिन पहले जब उनसे जनसंख्या नीति को लेकर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने इस पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया. वह इधर उधर की बात करने लगे और जनसंख्या नीति पर कोई भी जवाब नहीं दे सके. ऐसे में माना जा रहा है कि उनका वोट बैंक न प्रभावित हो, इसको लेकर अखिलेश यादव चुप्पी साधे हुए हैं.


कांग्रेस ने कहा, सिर्फ चुनावी एजेंडा

जनसंख्या नीति को लेकर कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता अंशु अवस्थी का कहना है कि यह चुनावी एजेंडा मात्र है. कांग्रेस प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने कहा कि ऐसे समय में जब कोरोना की तीसरी लहर आने को तैयार है और प्रदेश के लोगों के जीवन रक्षा के लिए वैक्सीनेशन की सबसे ज्यादा जरूरत है. उस समय सरकार लोगों की जान की चिंता न कर अपना चुनावी एजेंडा सेट करने में जुटी हुई है. जनसंख्या कानून पहले से मौजूद है, उनका पालन तो नहीं करा पा रहे हैं और यदि यूपी की बीजेपी सरकार जनसंख्या नियंत्रण को लेकर गंभीर थी, तो 2017 में सरकार बनते ही इसको लेकर शुरुआत करनी चाहिए थी. अब सरकार की विदाई का समय आ चुका है. सरकार जाने वाली है. ऐसे समय में वह इस प्रकार जनसंख्या नियंत्रण जैसे गंभीर विषय पर सिर्फ और सिर्फ राजनीति कर रही है. यह पूरी तरह से चुनावी राजनीति ही है.

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक

राजनीतिक विश्लेषक रतन मणिलाल कहते हैं कि उत्तर प्रदेश की जनसंख्या को लेकर पिछले काफी समय से अर्थशास्त्री और समाज साथियों की तरफ से चिंता जताई जाती रही है. कहा जाता है कि जिस प्रकार से जनसंख्या वृद्धि उत्तर प्रदेश में देखी जा रही है, उसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर हो रहा है. जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कई तरह के कानून तो है, लेकिन उन पर ठीक तरह से काम नहीं हो पा रहा है. योगी सरकार ने हिम्मत दिखाते हुए इस तरह का एक ड्राफ्ट तैयार किया है. उसमें अभी कई तरह के प्रावधान और संशोधन होने हैं, लेकिन इसमें जो एक महत्वपूर्ण प्रावधान है. वह समुदाय की जनसंख्या को बैलेंस करने को लेकर है. मुझे लगता है कि सभी राजनीतिक दलों की निगाह इसी प्रावधान पर सबसे ज्यादा है. जनसंख्या नियंत्रण हो हम सब मानते हैं. इसी आधार पर देश की प्लानिंग भी होती है. जनसंख्या नियंत्रण के अंतर्गत समुदाय की जनसंख्या बैलेंस करने की बात है. निश्चित रूप से एक राजनीतिक मुद्दा है. मुझे लगता है कि बढ़ती हुई जनसंख्या को लेकर सभी राजनीतिक चिंतित तो हैं. जहां कहीं इसे किसी एक समुदाय से जोड़कर देखा जाता है, तो राजनीतिक दलों को अपने-अपने वोट बैंक की चिंता सताने लगती है. इसीलिए कुछ दल इस पर बोलने से बच रहे हैं.

अखिलेश यादव की चुप्पी के सवाल पर राजनीतिक विश्लेषक रतन मणिलाल कहते हैं कि मैं समझ सकता हूं कि किसी भी राजनीतिक दल के लिए जो समुदाय विशेष जोड़कर राजनीति करते हैं, वह इस पर चुप हैं. उनके लिए इस तरह के बिल का खुलकर समर्थन करना या विरोध करना काफी मुश्किल होता है, जिससे जिस वर्ग समुदाय की वह राजनीति कर रहे हैं, उसकी नाराजगी उन्हें न झेलनी पड़े. भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश की राजनीति को एक ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है, जो बड़े राजनीतिक दलों को अपना स्टैंड क्लियर करने के लिए काफी सोच विचार करना पड़ेगा. उत्तर प्रदेश के विकास से जुड़े हुए मुद्दों पर वह अपनी क्या राय रखते हैं, उसके बाद भी कैसे अपने वोट बैंक को बनाए रखते हैं, तो वह इसे कैसे बैलेंस करते हैं. अभी अपने आप में एक बड़ा और महत्वपूर्ण सवाल है. भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने एक बड़ा राजनीतिक एजेंडा सेट करने का काम किया है और सभी दोनों को इस एजेंडे के इर्द-गिर्द ही बहस और काम करना पड़ेगा.

पढ़ें- मिशन 2022 को ध्यान में रखकर हुआ है मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार

राजनीतिक दलों को बताना चाहिए अपनी नीति

भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि विपक्ष को बेबुनियाद राजनीतिक आरोप लगाने की आदत हो चुकी है. विपक्ष ने जनसंख्या नीति का एक भी अक्षर नहीं पढ़ा है. बेहतर होता विपक्ष जनसंख्या नीति पर अपनी नीति क्या है उसे स्पष्ट करता है. भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने अपनी नीति स्पष्ट करते हुए उत्तर प्रदेश की जनसंख्या को कैसे नियंत्रित किया जाए, इसके लिए दोनों तरह के प्रावधान किए हैं. एक प्रोत्साहन और दूसरा दंडात्मक नीति के तहत हम जनसंख्या नियंत्रण को लेकर चल रहे हैं. अखिलेश यादव के सवाल पर भाजपा प्रवक्ता अखिलेश यादव कहते हैं कि अखिलेश यादव के पास कोई विजन नहीं है. उन्हें राजनीति विरासत में मिली है, वह अपने दिमाग का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. अखिलेश यादव को संवेदनशील विषयों पर अपने विचार हो तो उसे स्पष्ट करना चाहिए.

वहीं समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया अखिलेश यादव की चुप्पी के सवाल पर कुछ भी नहीं बोलते. वह कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार जनता के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए पॉलिटिकल इवेंट कर रही है. अनुराग भदौरिया कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने अभी तक कोई काम नहीं किया. जनता की समस्याओं का समाधान नहीं किया. अब चुनाव नजदीक है, तो असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए भाजपा की सरकार सिर्फ मार्केटिंग इवेंट कर रही है.

पढ़ें- प्रियंका-राहुल का BJP पर तंज- यूपी में 'हिंसा' का नाम 'मास्टरस्ट्रोक'

लखनऊ: 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly elections 2022) को लेकर भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) की सरकार ने एक बड़ा मास्टर स्ट्रोक खेला है. योगी सरकार (Yogi Government) ने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जनसंख्या नीति जारी की है. उत्तर प्रदेश के जो मुख्य विपक्षी दल हैं, वह इस पर न खुलकर बोल पा रहे हैं, न ही समर्थन कर पा रहे हैं और न ही इसका विरोध कर पा रहे हैं. वहीं कांग्रेस पार्टी का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) 2022 के चुनाव से पहले सिर्फ चुनावी एजेंडा पर ध्यान दे रही है और जनता की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं है.

योगी सरकार ने किया हिम्मत वाला काम

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि योगी सरकार (Yogi Government) ने जनसंख्या नीति (Population Control Policy) लागू करने को लेकर जो ड्राफ्ट तैयार किया है, वह वाकई बहुत हिम्मत वाला काम है और निश्चित रूप से विधानसभा चुनाव को लेकर यह एक बड़ा चुनावी कदम माना जा रहा है. विपक्षी दलों को भी इसी एजेंडे के इर्द-गिर्द रहकर राजनीति करनी होगी. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस ड्राफ्ट में जो प्रावधान हैं, उसके अनुसार 2 से अधिक बच्चे होने वाले लोगों को तमाम तरह की योजनाओं में लाभ नहीं मिल पाएगा और कई तरह की सुविधाओं से वंचित रहेंगे. वोट बैंक के प्रभावित होने के कारण राजनीतिक दल इस पर खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं. वहीं भारतीय जनता पार्टी की सरकार धार्मिक ध्रुवीकरण को लेकर जनसंख्या नीति लाने का काम कर रही है.

स्पेशल रिपोर्ट.
भाजपा ने चला है बड़ा दांव, विपक्षी दलों के लिए जनसंख्या नीति बनी मुसीबत

2022 के विधानसभा चुनाव (Assembly elections 2022) से पहले भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) की सरकार ने एक बड़ा कार्ड खेला है. जनसंख्या नीति (Population Control Policy) का जो ड्राफ्ट लागू किया है. उसके अपने कई तरह के मायने बताए जा रहे हैं. दो से अधिक संतान होने पर कई तरह की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाएगा, तो पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे. इसके अलावा भी कई तरह के प्रावधान किए गए हैं, जिससे जनसंख्या को नियंत्रित किया जा सके. ऐसे में उत्तर प्रदेश में जो धर्म विशेष या जातीय समीकरणों की राजनीति करने वाले दल हैं, वह इसको लेकर न खुलकर समर्थन कर रहे हैं और न ही इसका विरोध कर रहे हैं. क्योंकि इससे उनका वोट बैंक भी प्रभावित होता हुआ नजर आ रहा है. यही कारण है कि उत्तर प्रदेश की जो मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी है, वह भी कुछ नहीं बोल रही है. समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस जनसंख्या नीति का न तो समर्थन कर रहे हैं और न ही इसका विरोध. 1 दिन पहले जब उनसे जनसंख्या नीति को लेकर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने इस पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया. वह इधर उधर की बात करने लगे और जनसंख्या नीति पर कोई भी जवाब नहीं दे सके. ऐसे में माना जा रहा है कि उनका वोट बैंक न प्रभावित हो, इसको लेकर अखिलेश यादव चुप्पी साधे हुए हैं.


कांग्रेस ने कहा, सिर्फ चुनावी एजेंडा

जनसंख्या नीति को लेकर कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता अंशु अवस्थी का कहना है कि यह चुनावी एजेंडा मात्र है. कांग्रेस प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने कहा कि ऐसे समय में जब कोरोना की तीसरी लहर आने को तैयार है और प्रदेश के लोगों के जीवन रक्षा के लिए वैक्सीनेशन की सबसे ज्यादा जरूरत है. उस समय सरकार लोगों की जान की चिंता न कर अपना चुनावी एजेंडा सेट करने में जुटी हुई है. जनसंख्या कानून पहले से मौजूद है, उनका पालन तो नहीं करा पा रहे हैं और यदि यूपी की बीजेपी सरकार जनसंख्या नियंत्रण को लेकर गंभीर थी, तो 2017 में सरकार बनते ही इसको लेकर शुरुआत करनी चाहिए थी. अब सरकार की विदाई का समय आ चुका है. सरकार जाने वाली है. ऐसे समय में वह इस प्रकार जनसंख्या नियंत्रण जैसे गंभीर विषय पर सिर्फ और सिर्फ राजनीति कर रही है. यह पूरी तरह से चुनावी राजनीति ही है.

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक

राजनीतिक विश्लेषक रतन मणिलाल कहते हैं कि उत्तर प्रदेश की जनसंख्या को लेकर पिछले काफी समय से अर्थशास्त्री और समाज साथियों की तरफ से चिंता जताई जाती रही है. कहा जाता है कि जिस प्रकार से जनसंख्या वृद्धि उत्तर प्रदेश में देखी जा रही है, उसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर हो रहा है. जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कई तरह के कानून तो है, लेकिन उन पर ठीक तरह से काम नहीं हो पा रहा है. योगी सरकार ने हिम्मत दिखाते हुए इस तरह का एक ड्राफ्ट तैयार किया है. उसमें अभी कई तरह के प्रावधान और संशोधन होने हैं, लेकिन इसमें जो एक महत्वपूर्ण प्रावधान है. वह समुदाय की जनसंख्या को बैलेंस करने को लेकर है. मुझे लगता है कि सभी राजनीतिक दलों की निगाह इसी प्रावधान पर सबसे ज्यादा है. जनसंख्या नियंत्रण हो हम सब मानते हैं. इसी आधार पर देश की प्लानिंग भी होती है. जनसंख्या नियंत्रण के अंतर्गत समुदाय की जनसंख्या बैलेंस करने की बात है. निश्चित रूप से एक राजनीतिक मुद्दा है. मुझे लगता है कि बढ़ती हुई जनसंख्या को लेकर सभी राजनीतिक चिंतित तो हैं. जहां कहीं इसे किसी एक समुदाय से जोड़कर देखा जाता है, तो राजनीतिक दलों को अपने-अपने वोट बैंक की चिंता सताने लगती है. इसीलिए कुछ दल इस पर बोलने से बच रहे हैं.

अखिलेश यादव की चुप्पी के सवाल पर राजनीतिक विश्लेषक रतन मणिलाल कहते हैं कि मैं समझ सकता हूं कि किसी भी राजनीतिक दल के लिए जो समुदाय विशेष जोड़कर राजनीति करते हैं, वह इस पर चुप हैं. उनके लिए इस तरह के बिल का खुलकर समर्थन करना या विरोध करना काफी मुश्किल होता है, जिससे जिस वर्ग समुदाय की वह राजनीति कर रहे हैं, उसकी नाराजगी उन्हें न झेलनी पड़े. भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश की राजनीति को एक ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है, जो बड़े राजनीतिक दलों को अपना स्टैंड क्लियर करने के लिए काफी सोच विचार करना पड़ेगा. उत्तर प्रदेश के विकास से जुड़े हुए मुद्दों पर वह अपनी क्या राय रखते हैं, उसके बाद भी कैसे अपने वोट बैंक को बनाए रखते हैं, तो वह इसे कैसे बैलेंस करते हैं. अभी अपने आप में एक बड़ा और महत्वपूर्ण सवाल है. भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने एक बड़ा राजनीतिक एजेंडा सेट करने का काम किया है और सभी दोनों को इस एजेंडे के इर्द-गिर्द ही बहस और काम करना पड़ेगा.

पढ़ें- मिशन 2022 को ध्यान में रखकर हुआ है मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार

राजनीतिक दलों को बताना चाहिए अपनी नीति

भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि विपक्ष को बेबुनियाद राजनीतिक आरोप लगाने की आदत हो चुकी है. विपक्ष ने जनसंख्या नीति का एक भी अक्षर नहीं पढ़ा है. बेहतर होता विपक्ष जनसंख्या नीति पर अपनी नीति क्या है उसे स्पष्ट करता है. भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने अपनी नीति स्पष्ट करते हुए उत्तर प्रदेश की जनसंख्या को कैसे नियंत्रित किया जाए, इसके लिए दोनों तरह के प्रावधान किए हैं. एक प्रोत्साहन और दूसरा दंडात्मक नीति के तहत हम जनसंख्या नियंत्रण को लेकर चल रहे हैं. अखिलेश यादव के सवाल पर भाजपा प्रवक्ता अखिलेश यादव कहते हैं कि अखिलेश यादव के पास कोई विजन नहीं है. उन्हें राजनीति विरासत में मिली है, वह अपने दिमाग का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. अखिलेश यादव को संवेदनशील विषयों पर अपने विचार हो तो उसे स्पष्ट करना चाहिए.

वहीं समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया अखिलेश यादव की चुप्पी के सवाल पर कुछ भी नहीं बोलते. वह कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार जनता के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए पॉलिटिकल इवेंट कर रही है. अनुराग भदौरिया कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने अभी तक कोई काम नहीं किया. जनता की समस्याओं का समाधान नहीं किया. अब चुनाव नजदीक है, तो असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए भाजपा की सरकार सिर्फ मार्केटिंग इवेंट कर रही है.

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