लखनऊ : बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि बीएसपी के ब्राह्मण सम्मेलन की सफलता से विरोधियों की नींद हुई हुई है. इसके साथ ही मायावती ने ट्वीट कर ब्राह्मण समाज का आभार जताया है. मायावती ने दावा किया कि ब्राह्मण सम्मेलन के नाम से चर्चित पार्टी की प्रबुद्ध वर्ग संगोष्ठी को समाज का अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है.
मायावती ने ट्वीट कर कहा है कि मेरे निर्देशन में पार्टी महासचिव और राज्यसभा सांसद श्री सतीश चन्द्र मिश्र द्वारा यूपी में चल रही प्रबुद्ध वर्ग संगोष्ठी, जो ब्राह्मण सम्मेलन के नाम से काफी चर्चा में है, के प्रति उत्साहपूर्ण भागीदारी यह प्रमाण है कि इनका बीएसपी पर सजग विश्वास है, जिसके लिए सभी का दिल से आभार. अयोध्या से 23 जुलाई को श्रीरामलला के दर्शन से शुरू हुआ यह कारवां अम्बेडकरनगर और प्रयागराज जिलों से होता हुआ लगातार सफलतापूर्वक आगे बढ़ता जा रहा है, जिससे विरोधी पार्टियों की नींद उड़ी है और इसे रोकने के लिए अब ये पार्टियां किस्म-किस्म के हथकंडे अपना रही हैं. इनसे सावधान रहें.
आपको बता दें कि, बीएसपी बीते 9 सालों से यूपी की सत्ता से बाहर है. ऐसे में पार्टी 2007 के सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले को अपना कर 2022 में एक बार फिर प्रदेश की सत्ता में आने के लिए जुगत में लगी हुई है. इसके लिए बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ब्राह्मण मतदाओं को लुभाने के लिए प्रबुद्ध वर्ग संगोष्ठी के नाम से इन दिनों उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में ब्राह्मण सम्मेलन कर रहे हैं. सतीश चंद्र मिश्र ने 23 जुलाई को अयोध्या में रामलला और हनुमानगढ़ी में दर्शन करने के बाद पार्टी की इस मुहीम की शुरुआत की थी. इसके बाद उन्होंने 24 और 25 जुलाई को अम्बेडकर नगर में तीन अलग-अलग स्थानों पर ब्राह्मण सम्मेलन किया. इसके बाद 26 जुलाई को प्रयागराज में ब्राह्मण सम्मेलन का आयोजन किया गया. मंगलवार 27 जुलाई को प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गृह जनपद कौशाम्बी में बीएसपी के ब्राह्मण सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा. इसके बाद 28 जुलाई को प्रतापगढ़ और 29 जुलाई को सुलतानपुर में बीएसीप प्रबुद्ध वर्ग संगोष्ठी का आयोजन करेगी.
यूपी की सियासत में ब्राह्मण क्यों जरूरी ?
बता दें कि यूपी में लगभग 12 प्रतिशत ब्राह्मण मतदाता हैं. कहा जाता है कि ब्राह्मणों ने जिसका साथ दे दिया उसकी सरकार बन जाती है. 2007 में जब विधानसभा चुनाव हुए थे तब ब्राह्मणों ने बसपा का साथ दिया था, जिसका परिणाम था कि बसपा ने चुनाव जीतकर पूरे देश की राजनीति में हंगामा मचा दिया था. वहीं, 2012 में ब्राह्मण समाजवादी पार्टी के साथ चले गए और अखिलेश यादव यूपी के सीएम बन गए. जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव से यूपी के ब्राह्मण मतदाता पूरी तरह बीजेपी के साथ हैं. 2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ गए तो यूपी में 325 सीटों के साथ बीजेपी का सरकार बनी थी.