लखनऊ: उत्तर प्रदेश में चौथे चरण का मतदान चल रहा है. इस चुनाव में अपनी वापसी को लेकर कांग्रेस पार्टी ने जी-तोड़ मेहनत ही है. एक ओर जहां पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी ने प्रदेश के ताबड़तोड़ दौरे किए हैं, तो वहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के सीनिय आब्जर्वर भूपेश बघेल लगातार उत्तर प्रदेश में सक्रिय हैं. उन्होंने प्रदेशभर में तमाम जन सभाएं की हैं और वह पार्टी की उत्तर प्रदेश में वापसी को लेकर आशान्वित हैं. हमने चुनावों को लेकर भूपेश बघेल से खात बातचीत की.
हमने उनसे पूछा कि आप लगातार चुनाव प्रचार कर रहे हैं उप्र में, तमाम जनसभाएं कर चुके हैं, कांग्रेस के लिए कैसा माहौल देख रहे हैं? इस पर वह कहते हैं कि काफी वक्त के बाद कांग्रेस प्रदेश में चार सौ सीटों पर चुनाव लड़ रही है. दूसरी बात प्रियंका जी का एक चेहरा है, जो लगातार अन्याय और अत्याचार के खिलाफ लड़ती हुईं दिखाईं देतीं हैं. वह संघर्ष का प्रतीक बन चुकी हैं.
कांग्रेस ने आम जनता के मुद्दों को लेकर ही लड़ाई लड़ी है. युवाओं के लिए भर्ती विधान की घोषणा कर बताया कि कैसे हम 20 लाख लोगों को नौकरी देंगे. इसी प्रकार उन्नति विधान की भी घोषणा उन्होंने की. महिलाओं के लिए कहा कि लड़की हूं लड़ सकती हूं. सभी वर्गों को छूने की कोशिश की गई है. मैं समझता हूं कि आम जनता में इसका जबर्दस्त रिस्पांस हुआ है. उत्तर प्रदेश में जाति-धर्म की बहुत राजनीति हो चुकी है. लोग परेशान हैं. इससे कुछ मिलता नहीं है.
उप्र चुनाव में कांग्रेस छत्तीसगढ़ मॉडल अपना रही है. गोधन और किसानों के लिए आपने जो प्रयोग वहां किया, वह यहां भी लाना चाहते हैं? इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कहते हैं कि आज आवार पशुओं से सब परेशान हैं. रात-रात भर जागकर फसल बचा रहे हैं. अब पशु मेला लगता नहीं. व्यापार भी बंद है. अनुस्पादक जानवर खुले में आ गए हैं. यह समस्या पूरे देश में है.
हमने छत्तीसगढ़ में हमने गोबर खरीदने का काम किया. सभी जानवर गोबर करते हैं. इससे अनुस्पादक पशु भी लोगों के लिए लाभकारी हो गए हैं और वह जानवरों को छुट्टा नहीं छोड़ते. अभी तक सरकार ने तीस लाख क्विंटर गोबर दो रुपये किलो की दर से खरीद लिया है. इस गोबर को हमने डंप नहीं किया, बल्कि बर्मी कंपोस्ट बनाया और भी कई उपयोग किए. इससे लोगों को रोजगार भी मिला. भूमिहीन लोग भी पैसा कमा रहे हैं. साथ ही फसल भी बच रही है.
उत्तर प्रदेश में असलम मसलों को छोड़कर चुनाव में अन्य मुद्दों की चर्चा होती है. इसे आप कैसे देखते हैं? यह राजनीतिक दलों के मानसिक दीवालिएपन का प्रमाण है. पांच साल में आपने किसानों को क्या दिया, व्यापारियों को क्या दिया, नौजवानों और दलितों को क्या दिया, यह बता नहीं पा रहे हैं. आपके पास बताने को कोई उपलब्धि नहीं है. आगे क्या करने वाले हैं, यह भी आपके पास विजन नहीं है. इसीलिए कभी जिन्ना आ जाते हैं, तो कभी पाकिस्तान. दरअसल मूल मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाना चाहते हैं. आज पूरे देश में मंदी का दौर चल रहा है. अकेला छत्तीसगढ़ है, जहां मंदी का असर नहीं है. आम जनता की जेब में पैसा डालने का काम किया है हमने. यही काम पूरे देश में होना चाहिए. यह बात सब लोगों की समझ में भी आ रही है.
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गांधी परिवार की रायबरेली और अमेठी की सीटों की क्या स्थिति है? इस पर बघेल कहते हैं कि निश्चित रूप से परिवर्तन दिखाई दे रहा है. न केवल रायबरेली और अमेठी में, बल्कि पूरे देश में परिवर्तन की लहर है. प्रियंका गांधी ने चालीस फीसदी महिलाओं को टिकट देने की बात कही है और पार्टी ने टिकट दिए भी हैं, लेकिन पार्टी के कुछ नेताओं में इसका विरोध है. लोग कह रहे हैं कि आपको अच्छे उम्मीदवार नहीं मिल पाए और पार्टी को इसका नुकसान होगा? इस पर वह कहते हैं कि जब 33 प्रतिशत महिला आरक्षण की बात हुई तो लोग कहते थे कि आपको प्रत्याशी नहीं मिलेगा, लेकिन अब यह स्थिति है कि अब 50 से 60 फीसदी तक महिलाएं जीत कर आ रही हैं.
क्या इस चुनाव की सफलता या विफलता की जिम्मेदारी आप लेंगे, क्योंकि आप इस चुनाव में लगातार सक्रिय हैं और आप पार्टी के आब्जर्वर हैं? इस सवाल के जवाब में भूपेश बघेल कहते हैं कि हम सबकी जिम्मेदारी होगी. यहां खोने को कुछ नहीं है. यहां तो बस पाना ही पाना है. वह कहते हैं कि इस बार बहुत अच्छे और चौकाने वाले रिजल्ट आएंगे.
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