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बसपा का मुस्लिम प्रेम: कई सीटों पर हिन्दू प्रत्याशी के टिकट काटकर नए प्रत्याशी उतारे, जानें वजह

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Published : Feb 10, 2022, 2:43 PM IST

बहुजन समाज पार्टी ने यूपी विधानसभा चुनाव में मुस्लिम कार्ड खेल दिया है. पार्टी ने 31 जनवरी से 8 फरवरी तक कई हिन्दू प्रत्याशियों के टिकट काटकर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं. विशेषज्ञ बसपा के इस कदम को बड़ी चुनावी रणनीति बता रहे हैं. पार्टी ने प्रयागराज, आगरा, कासगंज, फिरोजाबाद समेत कई जिलों में उम्मीदवार बदले हैं.

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बसपा का चुनावी गणित

लखनऊ: बसपा ने अबतक 348 विधानसभा टिकट जारी किए हैं. इसमें 20 के करीब टिकटों का फेरबदल किया गया है. वहीं, 6 से ज्यादा हिंदुओं का टिकट काटा गया. इसमें ब्राह्मण, ओबीसी उम्मीदवारों को बदलकर मुस्लिमों उम्मीदवारों को उतार दिया गया. मायावती के मुस्लिम प्रेम से अखिलेश यादव और ओवैसी भी बेचैन हैं. बसपा ने 77 के करीब मुस्लिमों को टिकट का तोहफा दिया है. संभावित लिस्ट में मुस्लिमों की हिस्सेदारी और बढ़ने की संभावना जताई जा रही है.

इन लोगों के टिकट कटे
31 जनवरी को निघासन सीट से पहले मनमोहन मौर्य को टिकट दिया गया. तीसरे दिन इनका टिकट काटकर डॉ आरए उस्मानी को उम्मीदवार बनाया गया. इसी तरह कासगंज सीट से पहले इंजी प्रभुदयाल राजपूत को टिकट दिया गया था, अब मोहम्मद आरिफ को टिकट देकर बसपा ने रणनीति साधने की कोशिश की है. इसके बाद 28 जनवरी को फिरोजाबाद सीट पर पहले बबलू राठौर को टिकट मिला था, अब उनकी जगह साजिया हसन को टिकट दिया गया है.

बसपा ने नए उम्मीदवार उतारे
बसपा ने 22 जनवरी को आगरा उत्तरी सीट से पहले मुरारी लाल गोयल को मैदान में उतारा था, अब शब्बीर अब्बास को टिकट मिला है. इसी तरह 7 फरवरी को प्रयागराज की इलाहाबाद पश्चिम सीट पर पहले लल्लन सिंह पटेल को उतारा था, अब गुलाम कादिर मैदान में हैं. 8 फरवरी को पार्टी ने कौशाम्बी की सिराथू विधानसभा सीट पर पहले संतोष कुमार त्रिपाठी को मैदान में उतारा था, वहीं अब टिकट मुनसब अली को दिया गया है.

बसपा का दलित-मुस्लिम कार्ड
बसपा यूपी विधानसभा चुनाव (UP Vidhan Sabha Chunav 2022) में दलित-ब्राह्मण और दलित-मुस्लिम कार्ड फिट कर रही है. वह विपक्षी दलों के प्रत्याशी के आधार पर जहां संबधित टिकटधारी की जाति के यदि ज्यादा वोट बंट रहे हैं, ऐसे में बसपा अपने इन दोनों कार्डों पर दांव लगा रही है. यह उसकी रणनीति का हिस्सा हैं. उधर, राजनीतिक विश्लेषक बसपा की इस नीति को सपा के लिए नुकसानदेह बता रहे हैं.

यह भी पढ़ें- जयंत चौधरी के वोट न डालने पर बोली बीजेपी, उनके वोट करने से भी नहीं जीत सकती आरएलडी

इन सीटों से समझें फैक्ट

सिराथू विधानसभा सीट: इस क्षेत्र में करीब 34 फीसदी पिछड़े वर्ग के मतदाता हैं. कुल मतदाताओं की संख्‍या 3,80,839 है. इनमें से 19 फीसदी मतदाता सामान्य श्रेणी में आते हैं. क्षेत्र में करीब 33 फीसदी दलित और 13 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं.

इलाहाबाद पश्चिम: इस सीट पर करीब 80 हजार दलित वोट हैं. 40 हजार पाल वोट हैं. 60 हजार मुसलमान हैं. 30-40 हजार पटेल हैं. 55 हजार ब्राह्मण और 20 हजार ठाकुर वोट हैं.

निघासन सीट: इस सीट पर कुल मतदाता 3,27,141 हैं. सीट पर दलित मतदाता 1.10 लाख, पिछड़ा वर्ग 1.37 लाख और मुस्लिम 48 हजार हैं. यानी निर्णायक भूमिका में दलित और मुस्लिम समाज के लोग हैं.

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लखनऊ: बसपा ने अबतक 348 विधानसभा टिकट जारी किए हैं. इसमें 20 के करीब टिकटों का फेरबदल किया गया है. वहीं, 6 से ज्यादा हिंदुओं का टिकट काटा गया. इसमें ब्राह्मण, ओबीसी उम्मीदवारों को बदलकर मुस्लिमों उम्मीदवारों को उतार दिया गया. मायावती के मुस्लिम प्रेम से अखिलेश यादव और ओवैसी भी बेचैन हैं. बसपा ने 77 के करीब मुस्लिमों को टिकट का तोहफा दिया है. संभावित लिस्ट में मुस्लिमों की हिस्सेदारी और बढ़ने की संभावना जताई जा रही है.

इन लोगों के टिकट कटे
31 जनवरी को निघासन सीट से पहले मनमोहन मौर्य को टिकट दिया गया. तीसरे दिन इनका टिकट काटकर डॉ आरए उस्मानी को उम्मीदवार बनाया गया. इसी तरह कासगंज सीट से पहले इंजी प्रभुदयाल राजपूत को टिकट दिया गया था, अब मोहम्मद आरिफ को टिकट देकर बसपा ने रणनीति साधने की कोशिश की है. इसके बाद 28 जनवरी को फिरोजाबाद सीट पर पहले बबलू राठौर को टिकट मिला था, अब उनकी जगह साजिया हसन को टिकट दिया गया है.

बसपा ने नए उम्मीदवार उतारे
बसपा ने 22 जनवरी को आगरा उत्तरी सीट से पहले मुरारी लाल गोयल को मैदान में उतारा था, अब शब्बीर अब्बास को टिकट मिला है. इसी तरह 7 फरवरी को प्रयागराज की इलाहाबाद पश्चिम सीट पर पहले लल्लन सिंह पटेल को उतारा था, अब गुलाम कादिर मैदान में हैं. 8 फरवरी को पार्टी ने कौशाम्बी की सिराथू विधानसभा सीट पर पहले संतोष कुमार त्रिपाठी को मैदान में उतारा था, वहीं अब टिकट मुनसब अली को दिया गया है.

बसपा का दलित-मुस्लिम कार्ड
बसपा यूपी विधानसभा चुनाव (UP Vidhan Sabha Chunav 2022) में दलित-ब्राह्मण और दलित-मुस्लिम कार्ड फिट कर रही है. वह विपक्षी दलों के प्रत्याशी के आधार पर जहां संबधित टिकटधारी की जाति के यदि ज्यादा वोट बंट रहे हैं, ऐसे में बसपा अपने इन दोनों कार्डों पर दांव लगा रही है. यह उसकी रणनीति का हिस्सा हैं. उधर, राजनीतिक विश्लेषक बसपा की इस नीति को सपा के लिए नुकसानदेह बता रहे हैं.

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इन सीटों से समझें फैक्ट

सिराथू विधानसभा सीट: इस क्षेत्र में करीब 34 फीसदी पिछड़े वर्ग के मतदाता हैं. कुल मतदाताओं की संख्‍या 3,80,839 है. इनमें से 19 फीसदी मतदाता सामान्य श्रेणी में आते हैं. क्षेत्र में करीब 33 फीसदी दलित और 13 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं.

इलाहाबाद पश्चिम: इस सीट पर करीब 80 हजार दलित वोट हैं. 40 हजार पाल वोट हैं. 60 हजार मुसलमान हैं. 30-40 हजार पटेल हैं. 55 हजार ब्राह्मण और 20 हजार ठाकुर वोट हैं.

निघासन सीट: इस सीट पर कुल मतदाता 3,27,141 हैं. सीट पर दलित मतदाता 1.10 लाख, पिछड़ा वर्ग 1.37 लाख और मुस्लिम 48 हजार हैं. यानी निर्णायक भूमिका में दलित और मुस्लिम समाज के लोग हैं.

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