लखनऊ : समाजवादी पार्टी को झटका देने के लिए भारतीय जनता पार्टी यादव समाज के वोटों में सेंधमारी कर रही है. इसके लिए बीजेपी यादव समाज का एक सम्मेलन भी करवा चुकी है. अब भारतीय जनता पार्टी कई यादव बड़े नेताओं को जिम्मेदारी देकर इस समाज को खुद से जोड़ने का प्रयास कर रही है. प्रदेश में करीब 10 फीसद यादव होने का अनुमान लगाया जाता है. अब भारतीय जनता पार्टी यादव बाहुल्य सीटों पर यादव समाज के लोगों को ही चुनाव में उतारने की तैयारी करने में लगी हुई है.
भारतीय जनता पार्टी इस बार आजमगढ़, इटावा, मैनपुरी, फीरोजाबाद जैसे सपा के गढ़ में यादव समाज के उम्मीदवार उतारकर इस वर्ग को अपने साथ करने का प्रयास करेगी. भाजपा ने हाल ही में जो यादव सम्मेलन किया था, उसमें शामिल यादव समाज के बड़े नेताओं ने भाजपा नेताओं के सामने यह मांग रखी थी कि इस वर्ग को भाजपा खुद से अलग न मानें. इस दौरान नेताओं ने कहा था कि उनको भी पर्याप्त भागीदारी दें, ताकि सपा का परम्परागत कहा जाने वाला यादव वोटर भाजपा से जुड़ सके.
बड़े यादव नेताओं की लगेगी ड्यूटी
2014 से लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव तक भाजपा के यूपी की अहम जीतों में भूमिका निभा चुके, भूपेंद्र यादव को बीजेपी से यादव समाज को जोड़ने के लिए अहम भूमिका दी जाएगी. उनके अलावा भाजयुमो के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुभाष यदुवंश को भी जिम्मा दिया जाएगा. ये चुनाव से पहले तक छोटे-छोटे सम्मेलनों का आयोजनों को करके यादवों को खुद से जोड़ेंगे.
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भाजपा की नजर चाचा-भतीजे के गठबंधन पर
भाजपा की नजर चाचा और भतीजे के गठबंधन पर लगी हुई हैं. अगर यह गठबंधन हो जाता है तब भाजपा के लिए यादव वोट में सेंधमारी करना मुश्किल होगा. मगर, गठबंधन न होने की दशा में यादव वोट अधिक मिल जाएंगे. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता आनंद दुबे ने बताया कि यादव समाज भाजपा से तेजी से जुड़ रहा है. हम सभी वर्ग को बीजेपी से जोड़ रहे हैं. इनमें यादव समाज भी पीछे नहीं है. समाजवादी पार्टी के परिवारवाद से यादव समाज भी ऊब चुका है. इसलिए बड़ी संख्या में यादव भाजपा से जुड़ रहे हैं. हम यादव बाहुल्य सीटों पर भी जीत हासिल करेंगे.
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