लखनऊः उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) को लेकर प्रदेश में सियासी सरगर्मियां तेज हो गई है. ऐसे में सभी राजनीतिक दल जातीय समीकरणों को साधने में जुट गई हैं. राजनीतिक दल धर्म और जातियों के आधार पर बिसात बिछा रहे हैं. जहां यूपी में कांग्रेस को जीवित करने के साथ ही सत्ता हासिल करने के लिए प्रियंका गांधी दलित बस्ती में झाड़ू लगा रही हैं. वहीं, बसपा सुप्रीमो मायावती सतीश चंद्र मिश्रा को आगे कर ब्राह्मण वोट को साधने में जुटी हैं. वहीं, तकरीबन 150 सीटों पर निर्णायक भूमिका में रहने वाले और समाजवादी पार्टी के खेमे में जाने वाले मुस्लिम समाज को लेकर समाजवादी पार्टी ने चेहरा तय नहीं कर पा रही है.
बता दें कि यूपी में मुस्लिम वोट 19 से 20 प्रतिशत है, जिसका ज्यादातर वोट समाजवादी पार्टी के खेमे में जाता है. यादव और मुसलमान समाजवादी पार्टी का कोर वोटर भी माना जाता है, जिससे सपा सरकार में काबिज होती है. लेकिन समाजवादी पार्टी का सबसे बड़ा मुस्लिम चेहरा यानी आजम खान लंबे समय से सीतापुर जेल में है. यूपी में चुनाव नजदीक है और पार्टी का सबसे बड़ा मुस्लिम चेहरा अभी तक जेल में बंद है. ऐसे में मुस्लिम वोट को इस चुनाव में साधने के लिए सपा की ओर से कौन उनके बीच जाएगा यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है.
इस मुद्दे पर ETV BHARAT से बातचीत करते हुए समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता फकरुल हसन चांद ने कहा कि सपा सबकी पार्टी है. समाजवादी पार्टी हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई की पार्टी है और सभी अपना चेहरा हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के चेहरे में देख रहे है. फकरुल हसन ने कहा कि सारे जिलों में सपा का मुस्लिम प्रतिनिधित्व है और सभी धर्म और जाति के लोग सपा के साथ है. मुसलमानों के बीच किसको उतारा जाएगा, यह राष्ट्रीय नेतृत्व का फैसला है.
समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता नाहिद लारी ने कहा कि उनकी पार्टी हर वर्ग को साथ लेकर चलने का काम करती है. AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी पर वार करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ लोग यूपी में आकर मुसलमानों की बात करते है और वोटों का रिश्ता जोड़ते हैं. लेकिन सपा मुखिया अखिलेश यादव का मुसलमान, दलित और पिछड़ों से दिल का रिश्ता है. नाहिद लारी ने कहा कि आज़म खान के लिए जो रामपुर में हुआ वह सत्ता, प्रशासन और कांग्रेस की तिगड़ी ने मिलकर रचा. समाजवादी पार्टी निरंतर आजम खान के लिए लड़ाई लड़ रही है और बहुत जल्द वह हम लोग के बीच आएंगे और जन मानस के बीच जाकर सपा को जीत दिलाएंगे. वहीं, आजम खान के बेहद करीबी सपा नेता अराफात खान ने कहा कि आजम खान सपा के फाउंडर मेम्बर रहे हैं और नेता जी के साथ मिलकर पार्टी के लिए अहम योगदान दिया है. उन्होंने कहा कि पार्टी में उनकी जगह लेने और चेहरा बनने की बात नहीं हो सकती. आजम खान को उत्तरप्रदेश की जनता बेहद पसंद करती है और उनके रिहा होने के दुआ कर रही है. अराफात खान ने कहा कि चुनाव से पहले उम्मीद है कि आजम खान खुद बाहर निकलकर दोबारा मेहनत करेंगे और सूबे में एक बार फिर से सपा सरकार बनाएगी.
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बता दें कि समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान बेहतरीन वक्ता भी है. सपा के सियासी मंचों से आजम खान जब अपना भाषण शुरू करते है तो अखिलेश यादव समेत मुलायम सिंह यादव भी बैठकर उनका पूरा भाषण सुनते रहे हैं. आजम खान भारतीय राजनीति में एक बड़ा चेहरा है और उनके नाम सबसे ज़्यादा बार एक ही सीट से विधानसभा चुनाव जीतने का रिकार्ड भी दर्ज है. आज़म खान रामपुर सीट से 9 बार विधायक चुने गए है. आज़म खान 1977 में छात्र राजनीति से चुनाव में उतरे और इंद्रा लहर में उनको हार मिली थी जिसके बाद 1980 में जनता दल के टिकट पर पहली बार विधायक बने. 1985 में लोकदल के टिकट पर दोबारा आजम खान विधायक बने. 1989 में जनता दल से चुनाव लड़ने पर आजम खान फिर विधायक चुने गए. 1991 में जनता पार्टी से आज़म खान ने चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की.1992 में बनी समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे आज़म खान और 1996 में राज्यसभा सदस्य बने. 2017 में मोदी लहर में सपा का यूपी से भले सूपड़ा साफ हो गया लेकिन आजम खान फिर रामपुर से विधायकी जीते और दूसरे नम्बर पर रहे बीजेपी कैंडिडेट को आधे से भी कम वोट मिले. मौजूदा समय में आज़म खान लोकसभा सांसद है और सीतापुर जेल में बंद है.