लखनऊ : क्लाइमेट चेंज का असर कहें या अन्य कारण, लगभग सभी ऋतुओं में बदलाव देखने को मिल रहे हैं. लगातार कई साल से बारिश कम हो रही है, तो जाड़ा भी देर से शुरू होकर अप्रैल माह तक जारी रहा. जबकि पहले मार्च से ही काफी गर्मी शुरू हो जाती थी. अब जब भीषण गर्मी का समय है तो बार-बार बारिश हैरान करने वाली है. हाल में हुई बारिश से जहां आम की फसल को काफी नुकसान हुआ वहीं केले की फसल भी आंधी की भेंट चढ़ गई है. हालांकि मेंथा, उड़द और गन्ने की फसलों के लिए यह बारिश अच्छी मानी जा रही है. टमाटर की फसल को भी मामूली नुकसान का अनुमान है.
भारत में आम की करीब 1400 किस्में हैं. खराब मौसम के बावजूद देश का आम उत्पादन 2022-23 में 21 मिलियन टन था. आंकड़ों के अनुसार कुछ राज्यों में अच्छी पैदावार सबसे गर्म मार्च के महीने के कारण भी प्रभावित नहीं हुई. मलिहाबाद के बागवानों का कहना है कि इस साल वसंत के मौसम में बारिश और ओलों ने मधुमक्खियों को भगा दिया. मधुमक्खियां परागण में काफी सहायक होती हैं. इससे आम का उत्पादन घट गया है. ऐसे में इस साल कम फसल के कारण खर्च निकालना भी मुश्किल हो जाएगा.
इस संबंध में मलिहाबाद क्षेत्र के बागवान कमल हसन कहते हैं कि नुकसान तो बहुत हो चुका है. पहले भी बारिश और आंधी से फसल बर्बाद हो चुकी है. इस बार तो और ज्यादा क्षति हुई है. पहले ओलावृष्टि से बौर खराब हुआ था. अब आंधी से दस दिन बाद तैयार होने वाली फसल का काफी हिस्सा गिर गया है. अब ऐसा लगता है कि बाग की धुलाई, दवाओं के छिड़काव का खर्च और सिंचाई का पैसा भी निकलना मुश्किल है. अब इस आम को खटाई के लिए ही बेचना पड़ेगा अब और कोई रास्ता नहीं है.