लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसरों ने लखनऊ के चन्द्र भानु गुप्ता कृषि महाविद्यालय की बरबरी बकरी पालन एवं कड़कनाथ मुर्गा पालन परियोजना की जानकारी ली. जल्दी ही विश्वविद्यालय भी इस योजना के तहत विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छत्राओं के माध्यम से किसानों की आय को बढ़ाने के लिए उन्हें जागरुक करने का काम करेंगे.
महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर योगेश कुमार ने दी जानकारी
महाविद्यालय के पशुपालन विभाग में एक पहल प्रारंभ की है जिसमें बकरी पालन एवं कड़कनाथ मुर्गा पालन पर विशेष जोर दिया जा रहा है. महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर योगेश कुमार शर्मा का कहना है कि विभाग की ये दोनों परियोजनाएं किसानों की आय को दोगुना नहीं, बल्कि चार गुना करने में सहायक सिद्ध होगी. यहां पर प्रतिदिन क्षेत्र के किसान के साथ-साथ लखनऊ विश्वविद्यालय, कानपुर विश्वविद्यालय और कई महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं के अलावा उत्तर प्रदेश सरकार की कृषि विभाग के अधिकारी परियोजना की विजिट करने आते हैं.
पढ़ें- लखनऊ विश्वविद्यालय ने 'टाइम्स हायर एजुकेशन रैंकिंग' में बनाई जगह
विभाग की आचार्य प्रोफेसर ने कि परियोजना की प्रशंसा
महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं के अलावा लखनऊ विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग एवं बायोकेमिस्ट्री विभाग से शनिवार को विभाग की आचार्य प्रोफेसर गौरी सक्सेना और डॉ अलका कुमारी ने बताया की ये बहुत ही अच्छी परियोजनाएं हैं. इनसे किसान अधिक लाभान्वित होंगे, क्योंकि इन्हें कम स्थान में पाला जा सकता है और इस तरह के काम से किसानों कृषक मजदूरों का फायदा होगा और प्रदेश में सरकार की बहुआयामी परियोजना और डबलिंग इनकम का सपना पूरा होगा.
किसान ऐसे बढ़ा सकते हैं आय
बायो केमिस्ट्री विभाग की आचार्य प्रोफेसर कुसुम यादव ने बताया कि आज किसान परंपरागत प्रजातियों को पालकर अधिक लाभ नहीं कमा पा रहा है. इसलिए इस बरबरी बकरी को पालकर किसान अपनी आय को बढ़ा सकते हैं और साथ में उन्होंने कड़कनाथ मुर्गा पालन पर भी जोर दिया.
पढ़ें- LU: PG प्रवेश प्रक्रिया के लिए 20 मार्च से शुरू हो सकता है आवेदन
डॉक्टर सुधीर कुमार रघुवंशी ने दी जानकारी
पशुपालन विभाग के सहायक आचार्य डॉ सुधीर कुमार रघुवंशी एवं महाविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि बख्शी का तालाब क्षेत्र में ये दोनों परियोजनाएं बहुत ही लाभकारी सिद्ध होंगी. जिससे किसानों की आय दोगुनी होगी. महाविद्यालय के संस्थापक बाबू भगवती सिंह ने बताया कि इस परियोजना को प्रारंभ करने के लिए कई बार कोशिश की गई, लेकिन परियोजना प्रारंभ नहीं हो सकी. अब महाविद्यालय द्वारा प्रारंभ की गई है. उन्होंने कहा कि आशा करता हूं कि क्षेत्र के किसान इससे अधिक लाभान्वित होंगे.