लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (Uttar Pradesh State Road Transport Corporation) के आधा दर्जन संगठनों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) को पत्र लिखा है. पत्र के माध्यम से सभी संगठनों ने अनुरोध किया है कि मुख्यमंत्री अपने व्यस्ततम समय से कुछ समय निकालकर रोडवेज के संगठनों से वार्ता कर लें, जिससे रोडवेज के 55000 कर्मचारियों में परिवहन निगम के निजीकरण होने की आशंका खत्म हो सके. शासन की जिस तरह की मंशा है उसके अनुसार परिवहन निगम को प्राइवेटाइजेशन की तरफ बढ़ाना है. संकट का साथी परिवहन निगम अगर प्राइवेट हाथों में चला जाएगा तो 55000 कर्मचारियों का रोजगार छिन जाएगा, यह बिल्कुल सही नहीं होगा.
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम निगम के मान्यता प्राप्त संगठन उत्तर प्रदेश रोडवेज इंप्लाइज यूनियन, उत्तर प्रदेश रोडवेज कर्मचारी संघ, रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद, श्रमिक समाज कल्याण संघ, सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ और रोडवेज मजदूर सभा एक मंच पर आ गए हैं. सभी ने संयुक्त रूप से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि परिवहन निगम का किसी कीमत पर सरकार निजीकरण ना होने दें. पत्र में जिक्र किया गया है कि उत्तर प्रदेश शासन के पत्रांक 15:10: 2022 के बिंदु संख्या 5 और 6 के निर्देश लागू होने पर और प्रदेश में बने नए एक्सप्रेसवेज और हाईवेज पर प्रस्तावित निजी बसों को परमिट देने से परिवहन निगम के 55000 कर्मचारियों का रोजगार समाप्त हो जाएगा.
इसके साथ ही निगम की भू भवन संपत्तियों का ब्यौरा संकलित करना, कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने तक के देयकों का मूल्यांकन करना जैसी गतिशील कार्रवाई से कर्मचारियों में तरह-तरह की आशंकाएं पैदा हो रही हैं, जिससे कर्मचारियों का कार्य करने में मन नहीं लग रहा है. इस स्थिति से सरकार की रोजगार सृजित करने की योजना फेल होकर रोजगार समाप्त करने की स्थिति पैदा हो रही है जो सरकार की लोक कल्याणकारी मंशा के विपरीत है, इसलिए परिवहन निगम के सभी संगठनों ने इन्हीं आशंकाओं और अपेक्षाओं से आपसे मुलाकात के लिए अनुरोध किया है. सामूहिक रूप से वार्ता करने से समस्या का हल जरूर निकलेगा, ऐसा रोडवेज यूनियनों का मानना है.
बता दें कि कुछ दिन पहले शासन की तरफ से एक पत्र जारी किया गया है, जिसमें साफ तौर पर जिक्र किया गया है कि रोडवेज में अब 75 फीसद प्राइवेट बसें शामिल की जाएंगी, जबकि 25 परसेंट रोडवेज बसें रहेंगी? इसी वजह से रोडवेज कर्मियों को परिवहन निगम का निजीकरण होने का डर सता रहा है. ऐसे में उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से ही उम्मीद है.
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