लखनऊ : काकोरी कांड का प्रमुख हिस्सा रहे क्रांतिवीर रामकृष्ण खत्री के पुत्र और सामाजिक कार्यकर्ता उदय खत्री का शनिवार की रात निधन हो गया. क्रांतिकारियों से लखनऊ के जुड़ाव जीवंत रखने वाले उदय खत्री के निधन से आजादी के कई किस्से भी खत्म हो गए.
उदय खत्री केसरबाग में अपने आवास पर स्वतंत्रता सेनानियों के जन्मदिन अथवा स्मृति दिवस पर नियमित स्मृति सभाएं आयोजित कराते थे. काकोरी कांड में शामिल क्रांतिवीर रामकृष्ण खत्री के पुत्र उदय खत्री लखनऊ और क्रांतिकारियों के संबंधों के गवाह रहे हैं. उनके निधन से क्रांतिकारियों के जीवन से जुड़े किस्से सुनाने का एक महत्पूर्ण माध्यम भी समाप्त हो गया है. 76 वर्षीय उदय खत्री लगातार केसरबाग में अपने आवास पर स्वतंत्रता सेनानियों के जन्मदिन अथवा स्मृति दिवस पर नियमित स्मृति सभाएं आयोजित करते थे.
रामकृष्ण खत्री की मृत्यु के बाद से उन्होंने शहीदों की याद को जीवंत बनाए रखा. शहीद स्मृति समारोह समिति के माध्यम से उन्होंने इस तरह के कार्यक्रमों के माध्यम से न सिर्फ स्वतंत्रता संग्राम और शहीदों की यादों को ताज़ा बनाए रखा था बल्कि युवाओं को आज़ादी के किस्सों से जोड़े रखने का प्रयास भी किया था. उदय खत्री ने काकोरी काण्ड समेत क्रांतिकारियों पर कई किताबें भी लिखीं, जिसमें काकोरी केस के क्रांतिवीर पुस्तक काफी लोकप्रिय भी हुई.
इप्टा के महासचिव राकेश ने बताया कि स्वतंत्रता सेनानी राम कृष्ण खत्री के सुपुत्र उदय खत्री स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के परिवारों को एक सूत्र में बांधने वाले थे. इसके साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी उन्होंने अपनी पहचान बनाई थी. वो इप्टा आजीवन सदस्य और सहयात्री थे उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि.
इतिहासकार रवि भट्ट ने बताया कि राजधानी में उदय खत्री क्रांतिकारियों के परिवार को जोड़ने के लिए जाने जाते थे. क्रांतिकारियों से जुड़ी जानकारी के लिए शहर के साथ प्रदेश भर के लोग उनके पास आते थे. उनके जाने से हम सभी का बहुत बड़ा नुकसान हुआ है.