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लखनऊ: दो कोरोना संक्रमित मरीजों ने स्वस्थ होने के बाद KGMU में दान किया प्लाज्मा

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित केजीएमयू में दो लोगों ने प्लाज्मा दान किया है. यह दोनों लोग कोरोना से संक्रमित होने के बाद स्वस्थ हो चुके हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर.
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Published : May 12, 2020, 7:25 PM IST

लखनऊ: राजधानी लखनऊ के दो कोरोना संक्रमित मरीज बीते दिनों केजीएमयू में भर्ती किए गए थे. केजीएमयू में उपचार के बाद ठीक होने के बाद इन लोगों ने केजीएमयू में प्लाज्मा डोनेट किया है.

चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भट्ट ने इन दोनों ही प्लाज्मा डोनेट करने वाले डोनरों को आभार व्यक्त किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के युद्ध में ये डोनर केजीएमयू के लिए भविष्य में एक प्रेरणा स्रोत के रूप में पहचाने जाएंगे.

इसके साथ ही कुलपति ने उन्हें जरूरतमंद कोरोना संक्रमित मरीजों की सहायता के लिए आगे आने के लिए प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया. इस प्रक्रिया में दानकर्ता का ब्लड प्लाज्मा फेरेरिस मशीन में डाला जाता है और केवल वही ब्लड प्रयोग में लिया जाता है, जिसमें कोरोना संक्रमण से लड़ने की एंटीबॉडी होती है.

एक आम इंसान में सामान्यत: 5 से 6 लीटर रक्त होता है. इस प्रक्रिया के लिए 400 से 500 मिलीलीटर प्लाज्मा ही दिया जाता है. रक्त का शेष भाग प्लाज्मा फेरेसिस मशीन से शुद्ध करके दोबारा दानकर्ता के शरीर में पहुंचा दिया जाता है.

लखनऊ: राजधानी लखनऊ के दो कोरोना संक्रमित मरीज बीते दिनों केजीएमयू में भर्ती किए गए थे. केजीएमयू में उपचार के बाद ठीक होने के बाद इन लोगों ने केजीएमयू में प्लाज्मा डोनेट किया है.

चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भट्ट ने इन दोनों ही प्लाज्मा डोनेट करने वाले डोनरों को आभार व्यक्त किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के युद्ध में ये डोनर केजीएमयू के लिए भविष्य में एक प्रेरणा स्रोत के रूप में पहचाने जाएंगे.

इसके साथ ही कुलपति ने उन्हें जरूरतमंद कोरोना संक्रमित मरीजों की सहायता के लिए आगे आने के लिए प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया. इस प्रक्रिया में दानकर्ता का ब्लड प्लाज्मा फेरेरिस मशीन में डाला जाता है और केवल वही ब्लड प्रयोग में लिया जाता है, जिसमें कोरोना संक्रमण से लड़ने की एंटीबॉडी होती है.

एक आम इंसान में सामान्यत: 5 से 6 लीटर रक्त होता है. इस प्रक्रिया के लिए 400 से 500 मिलीलीटर प्लाज्मा ही दिया जाता है. रक्त का शेष भाग प्लाज्मा फेरेसिस मशीन से शुद्ध करके दोबारा दानकर्ता के शरीर में पहुंचा दिया जाता है.

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