ETV Bharat / state

ब्‍लैक फंगस के इंजेक्‍शन की कालाबारी में दो कर्मचारियों को नौकरी से निकाला - केजीएमयू

यूपी की राजधानी लखनऊ में ब्‍लैक फंगस के इंजेक्‍शन की कालाबाजारी करने के आरोप में दो संविदा कर्मियों को KGMU प्रशासन ने नौकरी से निकाल दिया है.

ब्लैक फंगस.
ब्लैक फंगस.
author img

By

Published : Jun 11, 2021, 10:51 PM IST

लखनऊ: महामारी में दवाओं की कालाबाजारी में जुटे धंधेबाजों की धरपकड़ जारी है. पुलिस की गिरफ्त में आए केजीएमयू कर्मियों पर कार्रवाई की डबल गाज गिरी. कानूनी कार्रवाई के बाद संस्‍थान प्रशासन हरकत में आया. ब्‍लैक फंगस के इंजेक्‍शन के साथ पकड़े गए दोनों कर्मियों को नौकरी से निकाल दिया गया.

KGMU में संविदा पर कार्यरत थे दोनों कर्मचारी
पुलिस ने लोहिया संस्‍थान के रेजिडेंट डॉ. वामिक हुसैन व केजीएमयू के दो संविदा कर्मचारियों को ब्‍लैक फंगस के इंजेक्‍शन की कालाबाजारी में गिरफ्तार किया था. इसके बाद दोनों पर कानूनी कार्रवाई की गई. इसके बाद गुरुवार को लोहिया संस्थान प्रशासन ने रेजीडेंट डॉक्टर को नौकरी से निकाला था. उसके एक दिन बाद शुक्रवार को केजीएमयू प्रशासन ने अवैध धंधे में शामिल दोनों संविदा कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया है. प्रवक्‍ता डॉ. सुधीर सिंह के मुताबिक ईसीजी टेक्नीशियन मो. इमरान और वार्ड ब्वॉय मो. आरिफ इमरजेंसी मेडिसिन विभाग में संविदा पर तैनात थे. बीते माह मो. इमरान की ड्यूटी लिम्ब सेंटर कोविड हॉस्पिटल में लगाई गई थी. चीफ प्रॉक्टर डॉ. क्षितिज श्रीवास्तव के मुताबिक अवैध धंधे में शामिल दोनों संविदा कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया गया है.

अवैध धंधेबाजी में धरे गए अब तक चार कर्मचारी
दूसरी लहर में कोरोना व ब्लैक फंगस के इलाज में आवश्‍यक दवाओं का संकट खड़ा हो गया था. इसका फायदा कमीशनबाजों ने जमकर उठाया. तमाम लोगों को कालाबाजारी में जेल भेजा जा चुका है. स्थित‍ि यह रही कि कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाला इंजेक्शन रेमडेसिविर को 30 से 35 हजार रुपये में बेचा गया. यही हाल ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन लाइपोसोमल एम्फोटेरेसन-बी का है. खुले बाजार में यह उपलब्ध नहीं है. सरकारी व चुनिंदा प्राइवेट अस्पतालों को सरकार सीधे इंजेक्शन मुहैया करा रही है. इंजेक्शन चोरी में केजीएमयू से अब तक चार संविदा कर्मचारी हटाए जा चुके हैं. इसके बावजूद घटनाएं थम नहीं रही है. अभी कई और लोगों के अवैध धंधे में लिप्‍त होने की आशंका है. ऐसे में पुलिस की वह राडार पर हैं.

लखनऊ: महामारी में दवाओं की कालाबाजारी में जुटे धंधेबाजों की धरपकड़ जारी है. पुलिस की गिरफ्त में आए केजीएमयू कर्मियों पर कार्रवाई की डबल गाज गिरी. कानूनी कार्रवाई के बाद संस्‍थान प्रशासन हरकत में आया. ब्‍लैक फंगस के इंजेक्‍शन के साथ पकड़े गए दोनों कर्मियों को नौकरी से निकाल दिया गया.

KGMU में संविदा पर कार्यरत थे दोनों कर्मचारी
पुलिस ने लोहिया संस्‍थान के रेजिडेंट डॉ. वामिक हुसैन व केजीएमयू के दो संविदा कर्मचारियों को ब्‍लैक फंगस के इंजेक्‍शन की कालाबाजारी में गिरफ्तार किया था. इसके बाद दोनों पर कानूनी कार्रवाई की गई. इसके बाद गुरुवार को लोहिया संस्थान प्रशासन ने रेजीडेंट डॉक्टर को नौकरी से निकाला था. उसके एक दिन बाद शुक्रवार को केजीएमयू प्रशासन ने अवैध धंधे में शामिल दोनों संविदा कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया है. प्रवक्‍ता डॉ. सुधीर सिंह के मुताबिक ईसीजी टेक्नीशियन मो. इमरान और वार्ड ब्वॉय मो. आरिफ इमरजेंसी मेडिसिन विभाग में संविदा पर तैनात थे. बीते माह मो. इमरान की ड्यूटी लिम्ब सेंटर कोविड हॉस्पिटल में लगाई गई थी. चीफ प्रॉक्टर डॉ. क्षितिज श्रीवास्तव के मुताबिक अवैध धंधे में शामिल दोनों संविदा कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया गया है.

अवैध धंधेबाजी में धरे गए अब तक चार कर्मचारी
दूसरी लहर में कोरोना व ब्लैक फंगस के इलाज में आवश्‍यक दवाओं का संकट खड़ा हो गया था. इसका फायदा कमीशनबाजों ने जमकर उठाया. तमाम लोगों को कालाबाजारी में जेल भेजा जा चुका है. स्थित‍ि यह रही कि कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाला इंजेक्शन रेमडेसिविर को 30 से 35 हजार रुपये में बेचा गया. यही हाल ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन लाइपोसोमल एम्फोटेरेसन-बी का है. खुले बाजार में यह उपलब्ध नहीं है. सरकारी व चुनिंदा प्राइवेट अस्पतालों को सरकार सीधे इंजेक्शन मुहैया करा रही है. इंजेक्शन चोरी में केजीएमयू से अब तक चार संविदा कर्मचारी हटाए जा चुके हैं. इसके बावजूद घटनाएं थम नहीं रही है. अभी कई और लोगों के अवैध धंधे में लिप्‍त होने की आशंका है. ऐसे में पुलिस की वह राडार पर हैं.


पढ़ें- रिटायर्ड पुलिस कर्मी ने अपने ही बेटे को पहुंचाया जेल, जानें क्या है पूरा मामला...

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.