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उत्तर प्रदेश के दो पूर्व डीजीपी ने किया 'यूपीएसएसएफ' एक्ट का समर्थन

उत्तर प्रदेश में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की तर्ज पर उत्तर प्रदेश स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स (यूपीएसएसएफ) का गठन किया गया है. इस विशेष पुलिस के पास बिना वॉरंट के ही तलाशी और गिरफ्तारी करने का भी अधिकार होगा. उत्तर प्रदेश के दो पूर्व पुलिस प्रमुखों ने यूपीएसएसएफ एक्ट का स्वागत किया है.

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Published : Sep 15, 2020, 5:18 PM IST

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पूर्व पुलिस प्रमुख विक्रम सिंह और प्रकाश सिंह

लखनऊ: यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 20 से 22 अगस्त तक चले विधानसभा के मानसून सत्र में विशेष सुरक्षा बल (यूपीएसएसएफ) बिल पास कराया था. इस पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल की मंजूरी मिलने के बाद 12 सितंबर को अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने बिल कानून में तब्दील हो जाने का आदेश जारी किया है. नए कानून में नई जांच एजेंसी को असीमित अधिकार दिए हैं. उत्तर प्रदेश पुलिस की शाखा के रूप में पहले से ही कार्यरत सात जांच एजेंसियों में से किसी को भी इतने अधिकार हासिल नहीं है और किसी भी जांच एजेंसी को निजी सेवा में नहीं लगाया जा सकता है, मगर यूपीएसएसएफ को निजी क्षेत्र की सेवा का अधिकार है.

पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह ने किया यूपीएसएसएफ एक्ट का स्वागत
उत्तर प्रदेश के दो पूर्व पुलिस प्रमुखों ने सीआईएसएफ जैसे अर्ध सैनिक बलों के साथ विशेष बल गठित करने के राज्य सरकार के फैसले का स्वागत किया है, जो बिना वारंट के तलाशी और गिरफ्तारी कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि यह आवश्यक था क्योंकि राज्य में वीआईपी यात्रा की संख्या बढ़ रही है और सीआईएसएफ में कम संख्या में कर्मचारी हैं, जिन्हें सभी महत्वपूर्ण स्थानों पर तैनात किया जा सकता है.

यूपी के पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह का कहना है कि यह राज्य के लिए आवश्यक था क्योंकि जहां एक ओर बल की तीव्र कमी है, वहीं दूसरी ओर संवेदनशील स्थानों और स्टेशन पर दिन-प्रतिदिन अपराध बढ़ते जा रहे हैं. मथुरा, प्रयागराज, वाराणसी और अन्य स्थानों पर वीआईपी की संख्या बढ़ रही हैं और इसलिए यह बल एक कमी को संबोधित करता है.

जब राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक से पूछा गया कि वह ऐसे समय में नई सेना के आने को कैसे देखते हैं, जब हम राज्य पुलिस द्वारा पिछले वर्षों में सत्ता का दुरुपयोग भी देख रहे हैं. तब पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शक्ति और अधिकार का कोई दुरुपयोग न हो. उन्होंने कहा अगर ऐसा हुआ है, तो यह बहुत बुरा है और मैं न केवल इसका दुरुपयोग करने वालों को दोषी ठहराता हूं, बल्कि उन वरिष्ठ अधिकारियों को भी दोषी मानता हूं. सुरक्षा अधिकारियों को दिए गए अधिकार के कानूनी पहलुओं के बारे में बोलते हुए पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह ने कहा कि यह अधिकार और शक्ति जो दी गई है, वह व्यापक रूप से अध्याय-5 और अध्याय-8 में आपराधिक प्रक्रिया कोड में दी गई शक्तियां हैं.

पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह ने कहा कि भारत की कोई भी सरकार किसी को भी गिरफ्तार करने और उसे जब्त करने का अधिकार नहीं दे सकती. सब कुछ कानून के दायरे में होना चाहिए. यदि अधिकारी गलत हैं तो वरिष्ठ अधिकारी इसकी जांच करेंगे और मामले को आगे कानून की अदालत में ले जाया जा सकता है. पूर्व यूपी डीजीपी ने कहा कि सुरक्षा अधिकारी कानून की अदालत में जवाबदेह होगा कि आपराधिक प्रक्रिया के दायरे और प्रावधानों के तहत गिरफ्तारी, तलाशी और बरामदगी कैसे हुई.

पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने भी इस एक्ट को सराहा
पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह को देश में पुलिस सुधारों को लागू करने का श्रेय दिया जाता है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की ताकत सीमित है और उत्तर प्रदेश में औद्योगिक इकाइयां बढ़ रही हैं और इन उद्योगों को विशेष सुरक्षा की आवश्यकता है, जो स्थानीय पुलिस के लिए दे पाना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि उद्योगों पर बड़ी मात्रा में धनराशि लगाई जाती है और अगर किसी की उन्हें नुकसान पहुंचाने की मंशा है, तब विशेष बल के पास उसे गिरफ्तार करने की शक्ति होनी चाहिए.

अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने दी थी जानकारी
रविवार को लखनऊ में पत्रकारों को जानकारी देते हुए राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने कहा था कि राज्य सरकार ने एक विशेष सुरक्षा बल के गठन के आदेश दिए हैं और इस बल का आधार उच्च न्यायालय का एक आदेश है. जिसमें आदेश दिया था कि सिविल अदालतों के लिए एक विशेष बल होना चाहिए. राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने कहा था कि उत्तर प्रदेश स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स की पांच बटालियन का गठन पहले चरण में किया जाएगा और इसकी अगुवाई अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक रैंक के अधिकारी करेंगे.

यूपी सरकार के बयान के अनुसार इस बल के पास बिना किसी वारंट के खोज करने की शक्तियां होंगी और इस बल के सदस्य किसी भी व्यक्ति को मजिस्ट्रेट या वारंट के आदेश के बिना गिरफ्तार करने में सक्षम होंगे. राज्य सरकार के अधिकारियों ने ईटीवी भारत को बताया कि वर्तमान में महाराष्ट्र और ओडिशा में भी इसी तरह के बल काम कर रहे हैं और सरकार लखनऊ में मेट्रो को हरी झंडी दिखाने के बाद से ही इस तरह के बल के गठन की योजना बना रही है. यह विशेष बल उच्च न्यायालय, जिला अदालतों, प्रशासनिक कार्यालयों और भवनों, मेट्रो रेल, हवाई अड्डों, बैंकों, वित्तीय संस्थानों, शैक्षणिक संस्थानों और औद्योगिक इकाइयों को सुरक्षा प्रदान करेगा.

लखनऊ: यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 20 से 22 अगस्त तक चले विधानसभा के मानसून सत्र में विशेष सुरक्षा बल (यूपीएसएसएफ) बिल पास कराया था. इस पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल की मंजूरी मिलने के बाद 12 सितंबर को अपर मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने बिल कानून में तब्दील हो जाने का आदेश जारी किया है. नए कानून में नई जांच एजेंसी को असीमित अधिकार दिए हैं. उत्तर प्रदेश पुलिस की शाखा के रूप में पहले से ही कार्यरत सात जांच एजेंसियों में से किसी को भी इतने अधिकार हासिल नहीं है और किसी भी जांच एजेंसी को निजी सेवा में नहीं लगाया जा सकता है, मगर यूपीएसएसएफ को निजी क्षेत्र की सेवा का अधिकार है.

पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह ने किया यूपीएसएसएफ एक्ट का स्वागत
उत्तर प्रदेश के दो पूर्व पुलिस प्रमुखों ने सीआईएसएफ जैसे अर्ध सैनिक बलों के साथ विशेष बल गठित करने के राज्य सरकार के फैसले का स्वागत किया है, जो बिना वारंट के तलाशी और गिरफ्तारी कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि यह आवश्यक था क्योंकि राज्य में वीआईपी यात्रा की संख्या बढ़ रही है और सीआईएसएफ में कम संख्या में कर्मचारी हैं, जिन्हें सभी महत्वपूर्ण स्थानों पर तैनात किया जा सकता है.

यूपी के पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह का कहना है कि यह राज्य के लिए आवश्यक था क्योंकि जहां एक ओर बल की तीव्र कमी है, वहीं दूसरी ओर संवेदनशील स्थानों और स्टेशन पर दिन-प्रतिदिन अपराध बढ़ते जा रहे हैं. मथुरा, प्रयागराज, वाराणसी और अन्य स्थानों पर वीआईपी की संख्या बढ़ रही हैं और इसलिए यह बल एक कमी को संबोधित करता है.

जब राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक से पूछा गया कि वह ऐसे समय में नई सेना के आने को कैसे देखते हैं, जब हम राज्य पुलिस द्वारा पिछले वर्षों में सत्ता का दुरुपयोग भी देख रहे हैं. तब पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शक्ति और अधिकार का कोई दुरुपयोग न हो. उन्होंने कहा अगर ऐसा हुआ है, तो यह बहुत बुरा है और मैं न केवल इसका दुरुपयोग करने वालों को दोषी ठहराता हूं, बल्कि उन वरिष्ठ अधिकारियों को भी दोषी मानता हूं. सुरक्षा अधिकारियों को दिए गए अधिकार के कानूनी पहलुओं के बारे में बोलते हुए पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह ने कहा कि यह अधिकार और शक्ति जो दी गई है, वह व्यापक रूप से अध्याय-5 और अध्याय-8 में आपराधिक प्रक्रिया कोड में दी गई शक्तियां हैं.

पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह ने कहा कि भारत की कोई भी सरकार किसी को भी गिरफ्तार करने और उसे जब्त करने का अधिकार नहीं दे सकती. सब कुछ कानून के दायरे में होना चाहिए. यदि अधिकारी गलत हैं तो वरिष्ठ अधिकारी इसकी जांच करेंगे और मामले को आगे कानून की अदालत में ले जाया जा सकता है. पूर्व यूपी डीजीपी ने कहा कि सुरक्षा अधिकारी कानून की अदालत में जवाबदेह होगा कि आपराधिक प्रक्रिया के दायरे और प्रावधानों के तहत गिरफ्तारी, तलाशी और बरामदगी कैसे हुई.

पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने भी इस एक्ट को सराहा
पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह को देश में पुलिस सुधारों को लागू करने का श्रेय दिया जाता है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की ताकत सीमित है और उत्तर प्रदेश में औद्योगिक इकाइयां बढ़ रही हैं और इन उद्योगों को विशेष सुरक्षा की आवश्यकता है, जो स्थानीय पुलिस के लिए दे पाना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि उद्योगों पर बड़ी मात्रा में धनराशि लगाई जाती है और अगर किसी की उन्हें नुकसान पहुंचाने की मंशा है, तब विशेष बल के पास उसे गिरफ्तार करने की शक्ति होनी चाहिए.

अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने दी थी जानकारी
रविवार को लखनऊ में पत्रकारों को जानकारी देते हुए राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने कहा था कि राज्य सरकार ने एक विशेष सुरक्षा बल के गठन के आदेश दिए हैं और इस बल का आधार उच्च न्यायालय का एक आदेश है. जिसमें आदेश दिया था कि सिविल अदालतों के लिए एक विशेष बल होना चाहिए. राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने कहा था कि उत्तर प्रदेश स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स की पांच बटालियन का गठन पहले चरण में किया जाएगा और इसकी अगुवाई अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक रैंक के अधिकारी करेंगे.

यूपी सरकार के बयान के अनुसार इस बल के पास बिना किसी वारंट के खोज करने की शक्तियां होंगी और इस बल के सदस्य किसी भी व्यक्ति को मजिस्ट्रेट या वारंट के आदेश के बिना गिरफ्तार करने में सक्षम होंगे. राज्य सरकार के अधिकारियों ने ईटीवी भारत को बताया कि वर्तमान में महाराष्ट्र और ओडिशा में भी इसी तरह के बल काम कर रहे हैं और सरकार लखनऊ में मेट्रो को हरी झंडी दिखाने के बाद से ही इस तरह के बल के गठन की योजना बना रही है. यह विशेष बल उच्च न्यायालय, जिला अदालतों, प्रशासनिक कार्यालयों और भवनों, मेट्रो रेल, हवाई अड्डों, बैंकों, वित्तीय संस्थानों, शैक्षणिक संस्थानों और औद्योगिक इकाइयों को सुरक्षा प्रदान करेगा.

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