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एफएनएसी की मदद से किया जाता है थायराइड नोड्यूल का प्राथमिक निदान : डॉ. चंचल राणा - किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पैथोलॉजी विभाग में "डायग्नोस्टिक थायराइड पैथोलॉजी" पर दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई.

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Published : May 15, 2023, 7:18 AM IST

लखनऊ : डिजिटल पैथोलॉजी ने थायराइड कैंसर के इलाज को आसान बना दिया. यह जानकारी किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पैथोलॉजी विभाग में 13 और 14 मई को "डायग्नोस्टिक थायराइड पैथोलॉजी" पर दो दिवसीय कार्यशाला में दी गई. यह सम्मेलन प्रो. यूएस सिंह (पैथोलॉजी विभाग के प्रमुख) के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया. पैथोलॉजी विभाग के डॉ. चंचल राणा ने डिजिटल तकनीक की मदद से असामान्य और दिलचस्प तरीके से इस कार्यशाला का आयोजन किया. कार्यशाला का उद्देश्य सलाहकार पैथोलॉजिस्ट और पैथोलॉजी जूनियर व सीनियर रेजिडेंट को थायरॉयड नियोप्लाज्म के निदान के साथ अपडेट करने में मदद करना था.

उन्होंने जानकारी दी कि 'थायराइड नोड्यूल का प्राथमिक निदान एफएनएसी की मदद से किया जाता है, जिसे रिपोर्ट करना मुश्किल हो सकता है. एफएनएसी सुई की मदद से की जाने वाली प्राथमिक जांच है. साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने थायराइड कैंसर के निदान से संबंधित कई अपडेट जोड़े हैं. थायराइड नोड्यूल्स के मामले में, FNAC रिपोर्ट के आधार पर रोगी के सर्जिकल प्रबंधन की योजना बनाई जाती है. अनुचित रिपोर्टिंग से न केवल रोगियों को मनोवैज्ञानिक तनाव हो सकता है, बल्कि कम या अधिक उपचार भी हो सकता है. इसलिए इस कार्यशाला में थायराइड नियोप्लाज्म की सभी महत्वपूर्ण संस्थाओं पर चर्चा की गई और प्रतिभागियों को व्यापक तरीके से दिखाया गया. एफएनएसी के साथ प्रतिभागियों को हिस्टोपैथोलॉजी डायग्नोसिस से भी अवगत कराया गया. विशिष्ट सूक्ष्मदर्शी का उपयोग डिजिटल अटैचमेंट के साथ किया गया था जो प्रतिभागियों को एक साथ देखने और चर्चा करने में मदद करता था. हमारी सर्वोत्तम जानकारी के अनुसार, अब तक इस विधा में कोई कार्यशाला आयोजित नहीं की गई है.'

डॉ. रिद्धि जायसवाल (प्रो पैथोलॉजी) सह आयोजन सचिव रहीं. किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पैथोलॉजी विभाग के पूरे विभाग ने संयुक्त रूप से डॉ. मधु कुमार, डॉ माला सागर, डॉ. मालती कुमारी मौर्य, डॉ. प्रीति अग्रवाल, डॉ. सुमैरा कयूम और डॉ. शालिनी भल्ला सहित इस कार्यक्रम को सफल बनाया. इस आयोजन को आकार देने में डॉ नरेंद्र कृष्णानी (प्रोफेसर पैथोलॉजी, एसजीपीजीआईएमएस) और डॉ मनोज जैन (प्रोफेसर पैथोलॉजी, एसजीपीजीआईएमएस) का भी महत्वपूर्ण योगदान था. विभाग के जूनियर और सीनियर रेजिडेंट ने भी इस कार्यक्रम के आयोजन में काफी मेहनत की. प्रदेश भर के फैकल्टीज, कंसल्टेंट्स, जूनियर रेजिडेंट्स और सीनियर रेजिडेंट्स ने इस कार्यशाला में भाग लिया और लाभान्वित हुए. डॉ. चंचल राणा ने कहा कि किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, पैथोलॉजी विभाग भविष्य में इसी तरह की और कार्यशाला आयोजित करने की योजना बना रहा है. इससे उन मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में पैथोलॉजिस्ट को प्रशिक्षित करने में मदद मिलेगी, जहां सुपर स्पेशलाइज्ड रिपोर्टिंग का एक्सपोजर उपलब्ध नहीं हैं.

यह भी पढ़ें : भाजपा प्रत्याशी लुबना अली खान ने कर दिया कमाल, मुस्लिम वार्ड में दर्ज की बंपर जीत

लखनऊ : डिजिटल पैथोलॉजी ने थायराइड कैंसर के इलाज को आसान बना दिया. यह जानकारी किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पैथोलॉजी विभाग में 13 और 14 मई को "डायग्नोस्टिक थायराइड पैथोलॉजी" पर दो दिवसीय कार्यशाला में दी गई. यह सम्मेलन प्रो. यूएस सिंह (पैथोलॉजी विभाग के प्रमुख) के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया. पैथोलॉजी विभाग के डॉ. चंचल राणा ने डिजिटल तकनीक की मदद से असामान्य और दिलचस्प तरीके से इस कार्यशाला का आयोजन किया. कार्यशाला का उद्देश्य सलाहकार पैथोलॉजिस्ट और पैथोलॉजी जूनियर व सीनियर रेजिडेंट को थायरॉयड नियोप्लाज्म के निदान के साथ अपडेट करने में मदद करना था.

उन्होंने जानकारी दी कि 'थायराइड नोड्यूल का प्राथमिक निदान एफएनएसी की मदद से किया जाता है, जिसे रिपोर्ट करना मुश्किल हो सकता है. एफएनएसी सुई की मदद से की जाने वाली प्राथमिक जांच है. साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने थायराइड कैंसर के निदान से संबंधित कई अपडेट जोड़े हैं. थायराइड नोड्यूल्स के मामले में, FNAC रिपोर्ट के आधार पर रोगी के सर्जिकल प्रबंधन की योजना बनाई जाती है. अनुचित रिपोर्टिंग से न केवल रोगियों को मनोवैज्ञानिक तनाव हो सकता है, बल्कि कम या अधिक उपचार भी हो सकता है. इसलिए इस कार्यशाला में थायराइड नियोप्लाज्म की सभी महत्वपूर्ण संस्थाओं पर चर्चा की गई और प्रतिभागियों को व्यापक तरीके से दिखाया गया. एफएनएसी के साथ प्रतिभागियों को हिस्टोपैथोलॉजी डायग्नोसिस से भी अवगत कराया गया. विशिष्ट सूक्ष्मदर्शी का उपयोग डिजिटल अटैचमेंट के साथ किया गया था जो प्रतिभागियों को एक साथ देखने और चर्चा करने में मदद करता था. हमारी सर्वोत्तम जानकारी के अनुसार, अब तक इस विधा में कोई कार्यशाला आयोजित नहीं की गई है.'

डॉ. रिद्धि जायसवाल (प्रो पैथोलॉजी) सह आयोजन सचिव रहीं. किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पैथोलॉजी विभाग के पूरे विभाग ने संयुक्त रूप से डॉ. मधु कुमार, डॉ माला सागर, डॉ. मालती कुमारी मौर्य, डॉ. प्रीति अग्रवाल, डॉ. सुमैरा कयूम और डॉ. शालिनी भल्ला सहित इस कार्यक्रम को सफल बनाया. इस आयोजन को आकार देने में डॉ नरेंद्र कृष्णानी (प्रोफेसर पैथोलॉजी, एसजीपीजीआईएमएस) और डॉ मनोज जैन (प्रोफेसर पैथोलॉजी, एसजीपीजीआईएमएस) का भी महत्वपूर्ण योगदान था. विभाग के जूनियर और सीनियर रेजिडेंट ने भी इस कार्यक्रम के आयोजन में काफी मेहनत की. प्रदेश भर के फैकल्टीज, कंसल्टेंट्स, जूनियर रेजिडेंट्स और सीनियर रेजिडेंट्स ने इस कार्यशाला में भाग लिया और लाभान्वित हुए. डॉ. चंचल राणा ने कहा कि किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, पैथोलॉजी विभाग भविष्य में इसी तरह की और कार्यशाला आयोजित करने की योजना बना रहा है. इससे उन मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में पैथोलॉजिस्ट को प्रशिक्षित करने में मदद मिलेगी, जहां सुपर स्पेशलाइज्ड रिपोर्टिंग का एक्सपोजर उपलब्ध नहीं हैं.

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