ETV Bharat / state

लखनऊ विश्वविद्यालय: संस्कृत प्राकृत भाषा विभाग की दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी हुई संपन्न

author img

By

Published : Jul 17, 2020, 10:19 PM IST

लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत एवं प्राकृत भाषा विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ. संगोष्ठी के अंतिम दिन शुक्रवार को कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गंगाधर पंडा एवं शिल्पकार्न यूनिवर्सिटी बैंकॉक के संस्कृत अध्ययन केंद्र के निर्देशक डॉ. सोम्बत् मांगमीसुखश्री विशिष्ट वक्ता के रूप में सम्मिलित हुए.

lucknow today news
लखनऊ विश्वविद्यालय

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत तथा प्राकृत भाषा विभाग के द्वारा आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी शुक्रवार को संपन्न हुई. संगोष्ठी के अंतिम दिन कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गंगाधर पंडा एवं शिल्पकार्न यूनिवर्सिटी बैंकॉक के संस्कृत अध्ययन केंद्र के निर्देशक डॉ. सोम्बत् मांगमीसुखश्री विशिष्ट वक्ता के रूप में सम्मिलित हुए. संगोष्ठी का संचालन डॉ. अशोक कुमार शतपथी एवं संयोजक डॉ. प्रयाग नारायण मिश्र ने किया.

सभा के प्रारंभ में आयोजक पद्मश्री प्रोफेसर बृजेश कुमार शुक्ला ने ज्योतिर्विज्ञान की वैज्ञानिकता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि ग्रहों की कक्षा में चतुर्थ कक्षा के ग्रह के नाम पर उस दिन का नामकरण किया जाता है. अतः आज शुक्रवार ही क्यों है, इसका वैज्ञानिक कारण कालहोरा के सिद्धांत के रूप में ज्योतिष में बताया गया है. राहु को पृथ्वी की छाया मानने का सिद्धांत भास्कराचार्य ने बताया है. भास्कराचार्य ने लीलावती में पाई के स्थूल तथा सूक्ष्म मान पर प्रकाश डाला है

प्रोफेसर बृजेश कुमार शुक्ला ने बताया कि बृहत्संहिता के भूगर्भ विज्ञान के सूत्र विद्यमान है. अनेक जलशिराओं का वर्णन प्रयोग सिद्ध है. परीक्षण नलिका (टेस्ट ट्यूब) से शिशु उत्पादन की विधि भी संस्कृत वाङ्मय में बताया गया है. वसन्तराज शकुन ग्रंथ में पशु-पक्षियों की चेष्टाओं का वर्णन है. चरक संहिता में वनस्पतियों तथा वृक्षों का स्वरूप लक्षण तथा स्वास्थ्य चिकित्सा में उनका उपयोग वर्णित है. भवन निर्माण, मंदिर निर्माण तथा विमान शास्त्र का वैज्ञानिक निरूपण संस्कृत वाङ्मय में निरूपित है.

विवाह के संस्कारों पर डाला प्रकाश
कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गंगाधर पंडा ने वृक्षों-वनस्पतियों के भेद-प्रभेद पूर्वक उनके विकास के साथ सामुद्रिक शास्त्र में स्त्री-पुरुषों के लक्षण, धर्मशास्त्र संस्कारों की विधि तथा काल की वैज्ञानिक प्रक्रिया के साथ उपनयन, कर्णवेध, विवाह आदि संस्कारों की वैज्ञानिक दृष्टि पर प्रकाश डाला. प्रोफेसर पंडा ने चिकित्सा विज्ञान की दृष्टि से समगोत्र विवाह के निषेध तथा दुष्परिणाम, यज्ञ की वैज्ञानिकता, जठराग्नि की महत्ता, पर्यावरण विज्ञान अवतारों के सिद्धांत से सृष्टि का रहस्य, पंचमहाभूत उनके संरक्षण तथा गॉड पार्टिकल्स के पौराणिक रहस्य के ऊपर वैज्ञानिक दृष्टि से प्रकाश डाला.

श्री जगन्नाथ मंदिर, पुरी में मृण्मय पात्र में भोजन के वैज्ञानिक महत्व तथा हस्त पाद प्रक्षालन के व्यावहारिक विज्ञान सम्मत सिद्ध पर प्रोफेसर पंडा ने वैज्ञानिक दृष्टि से प्रकाश डाला.

आयुर्वेद पर दिया व्याख्यान
थाईलैंड स्थित शिल्पकार्न यूनिवर्सिटी के संस्कृत अध्ययन केंद्र के निर्देशक प्रोफेसर सोंबत् मांगमीसुखश्री ने आयुर्वेद एवं योग विज्ञान के ऊपर अपना वैदुष्यपूर्ण व्याख्यान प्रस्तुत किया. प्रोफेसर ने थाईलैंड में आयुर्वेद का ज्ञान तथा वहां पर उपलब्ध कंबोडिया लिपि में संस्कृत की पांडुलिपियों के बारे में सब को अवगत कराया. प्रोफेसर ने आधुनिक कोविड-19 महामारी के उपचार में भारतीय आयुर्वेद ज्ञान का महत्व के ऊपर प्रकाश डाला.

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत तथा प्राकृत भाषा विभाग के द्वारा आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी शुक्रवार को संपन्न हुई. संगोष्ठी के अंतिम दिन कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गंगाधर पंडा एवं शिल्पकार्न यूनिवर्सिटी बैंकॉक के संस्कृत अध्ययन केंद्र के निर्देशक डॉ. सोम्बत् मांगमीसुखश्री विशिष्ट वक्ता के रूप में सम्मिलित हुए. संगोष्ठी का संचालन डॉ. अशोक कुमार शतपथी एवं संयोजक डॉ. प्रयाग नारायण मिश्र ने किया.

सभा के प्रारंभ में आयोजक पद्मश्री प्रोफेसर बृजेश कुमार शुक्ला ने ज्योतिर्विज्ञान की वैज्ञानिकता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि ग्रहों की कक्षा में चतुर्थ कक्षा के ग्रह के नाम पर उस दिन का नामकरण किया जाता है. अतः आज शुक्रवार ही क्यों है, इसका वैज्ञानिक कारण कालहोरा के सिद्धांत के रूप में ज्योतिष में बताया गया है. राहु को पृथ्वी की छाया मानने का सिद्धांत भास्कराचार्य ने बताया है. भास्कराचार्य ने लीलावती में पाई के स्थूल तथा सूक्ष्म मान पर प्रकाश डाला है

प्रोफेसर बृजेश कुमार शुक्ला ने बताया कि बृहत्संहिता के भूगर्भ विज्ञान के सूत्र विद्यमान है. अनेक जलशिराओं का वर्णन प्रयोग सिद्ध है. परीक्षण नलिका (टेस्ट ट्यूब) से शिशु उत्पादन की विधि भी संस्कृत वाङ्मय में बताया गया है. वसन्तराज शकुन ग्रंथ में पशु-पक्षियों की चेष्टाओं का वर्णन है. चरक संहिता में वनस्पतियों तथा वृक्षों का स्वरूप लक्षण तथा स्वास्थ्य चिकित्सा में उनका उपयोग वर्णित है. भवन निर्माण, मंदिर निर्माण तथा विमान शास्त्र का वैज्ञानिक निरूपण संस्कृत वाङ्मय में निरूपित है.

विवाह के संस्कारों पर डाला प्रकाश
कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गंगाधर पंडा ने वृक्षों-वनस्पतियों के भेद-प्रभेद पूर्वक उनके विकास के साथ सामुद्रिक शास्त्र में स्त्री-पुरुषों के लक्षण, धर्मशास्त्र संस्कारों की विधि तथा काल की वैज्ञानिक प्रक्रिया के साथ उपनयन, कर्णवेध, विवाह आदि संस्कारों की वैज्ञानिक दृष्टि पर प्रकाश डाला. प्रोफेसर पंडा ने चिकित्सा विज्ञान की दृष्टि से समगोत्र विवाह के निषेध तथा दुष्परिणाम, यज्ञ की वैज्ञानिकता, जठराग्नि की महत्ता, पर्यावरण विज्ञान अवतारों के सिद्धांत से सृष्टि का रहस्य, पंचमहाभूत उनके संरक्षण तथा गॉड पार्टिकल्स के पौराणिक रहस्य के ऊपर वैज्ञानिक दृष्टि से प्रकाश डाला.

श्री जगन्नाथ मंदिर, पुरी में मृण्मय पात्र में भोजन के वैज्ञानिक महत्व तथा हस्त पाद प्रक्षालन के व्यावहारिक विज्ञान सम्मत सिद्ध पर प्रोफेसर पंडा ने वैज्ञानिक दृष्टि से प्रकाश डाला.

आयुर्वेद पर दिया व्याख्यान
थाईलैंड स्थित शिल्पकार्न यूनिवर्सिटी के संस्कृत अध्ययन केंद्र के निर्देशक प्रोफेसर सोंबत् मांगमीसुखश्री ने आयुर्वेद एवं योग विज्ञान के ऊपर अपना वैदुष्यपूर्ण व्याख्यान प्रस्तुत किया. प्रोफेसर ने थाईलैंड में आयुर्वेद का ज्ञान तथा वहां पर उपलब्ध कंबोडिया लिपि में संस्कृत की पांडुलिपियों के बारे में सब को अवगत कराया. प्रोफेसर ने आधुनिक कोविड-19 महामारी के उपचार में भारतीय आयुर्वेद ज्ञान का महत्व के ऊपर प्रकाश डाला.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.