लखनऊ: वैसे तो कोरोना संक्रमण ने हर वर्ग को प्रभावित किया है, लेकिन ट्रांसपोर्टरों पर कोरोना वायरस का काफी बुरा प्रभाव पड़ा है. हर दिन राजधानी के ट्रांसपोर्टरों को करीब 9 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है. लखनऊ में कुल 400 ट्रांसपोर्टर हैं, जिनका काम कोरोना वायरस के चलते छिन गया है.
इन सभी ट्रांसपोर्टरों के पास कुल मिलाकर छोटे-बड़े 10 हजार के करीब वाहन हैं और इनमें से सिर्फ 40 परसेंट ही कोरोना काल में माल ढोने का काम कर रहे हैं. ऐसे में 60 फीसदी वाहन खड़े होने के कारण ट्रांसपोर्टरों की कमर टूट गई है. ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि अगर ऐसे ही कोरोना का दौर जारी रहा तो आगे आने वाले दिनों में काफी दिक्कत होगी.
'6 हजार से ज्यादा वाहन खड़े'
द ट्रक एंड ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अरुण अवस्थी बताते हैं कि शहर में जितने छोटे-बड़े ट्रांसपोर्ट वाहन हैं, उनमें से वर्तमान में सिर्फ 40 फीसद माल ढोने के काम में लगे हुए हैं. इनमें से ज्यादातर आवश्यक सेवाओं जिनमें दवा और खाद्य वस्तुएं शामिल हैं. सिर्फ 4000 माल ढोने वाले वाहनों का ही संचालन हो पा रहा है. जबकि बड़े ट्रकों समेत 6000 वाहन पिछले 14 दिन से खड़े हैं. जो 4000 वाहन संचालित हो रहे हैं, वह आवश्यक वस्तुएं लेकर पूर्वांचल की तरफ भेजे जा रहे हैं, जबकि कुछ वाहन दिल्ली और मुंबई से माल को लखनऊ में सप्लाई कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि चेन्नई, मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, जालंधर, चंडीगढ़, मंडी कुल्लू, लुधियाना और मनाली से इलेक्ट्रॉनिक, केमिकल, पेंट, कपड़ा, साइकिल, फल, इंजन ऑयल की ढुलाई का काम पूरी तरह ठप है. इसके चलते अन्य वाहनों के पास लोडिंग का काम है ही नहीं.
'नहीं निकल रहे वाहन, बड़ा घाटा'
लखनऊ गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के महामंत्री पंकज शुक्ला के मुताबिक रोजाना ट्रांसपोर्टरों को माल ढोने वाले प्रति वाहन से एवरेज 15000 रुपये के करीब किराया हासिल होता था. इस समय किसी के आधा दर्जन तो किसी के कई दर्जन वाहन खड़े हुए हैं. कई ट्रांसपोर्टरों का तो एक भी वाहन निकल ही नहीं पा रहा है. ऐसे में समस्याएं काफी बढ़ गई हैं.
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प्रभावित हुए ट्रांसपोर्टरों के परिवार
परिवहन ट्रस्ट के अध्यक्ष जगदीश गुप्ता अग्रहरि बताते हैं कि 6000 से ज्यादा माल ढोने वाले वाहन कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते पिछले काफी दिनों से अपनी जगह से हिल नहीं पाए हैं. इन वाहनों के खड़े होने के कारण हजारों परिवार बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं. उन्हें किसी तरह सहायता पहुंचाई जा रही है.