लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में समय से पहले एक अधिकारी का वेतनमान हड़पने जैसे बड़े मामले का खुलासा हुआ है. प्रधान प्रबंधक (संचालन) के पद पर तैनात अफसर ने साल 2006 से ही रोडवेज को गुमराह कर राज्य कर्मियों की तरह छठे वेतनमान का लाभ ले डाला, जबकि निगम में छठे वेतनमान की मंजूरी जनवरी 2010 से मिली. परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक ने इस गंभीर मामले की जांच के आदेश दिए हैं.
एरियर के खिलाफ साल 2006 से लाखों रुपये लेने के मामले में शिकायत होते ही परिवहन निगम मुख्यालय पर खलबली मच गई है. कर्मचारियों और अधिकारियों के बीच इसे लेकर इन दिनों खूब चर्चा हो रही है. भारतीय परिवहन मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमाकांत सचान ने परिवहन निगम के एमडी मासूम अली सरवर से मिलकर पूरे मामले का खुलासा कर एक पत्र भी सौंपा है. पत्र में प्रधान प्रबंधक (संचालन) आशुतोष गौड़ पर अपने पद का दुरुपयोग करने, उच्चधिकारियों को गुमराह करने जैसे अपराध पर विजलेंस जांच कराकर सभी भुगतान रोकने की मांग की गई है.
प्रतिनियुक्ति पर रही सचिवालय में तैनाती : परिवहन निगम के प्रधान प्रबंधक संचालन के पद पर तैनात आशुतोष गौड़ प्रतिनियुक्ति पर सचिवालय में तैनात रहे. इस दौरान राज्य कर्मियों को छठें वेतनमान दिए जाने का आदेश हुआ. यह आदेश परिवहन निगम के किसी कर्मचारी या अधिकारी पर लागू नहीं होता. परिवहन निगम में नियुक्त हुए कर्मचारी हों या अधिकारी सभी को निगम बोर्ड के आदेश ही मान्य होते हैं. ऐसे में रोडवेज के प्रधान प्रबंधक संचालन ने अधिकारियों को गुमराह कर राज्यकर्मियों की तरह छठें वेतनमान का लाभ लेना गलत माना जा रहा है.
यूपीएसआरटीसी के एमडी मासमू अली सरवर का कहना है कि 'छठें वेतनमान का लाभ समय से पहले लिए जाने का मामला संज्ञान में आया है. पत्रावलियां तलब कर जांच के आदेश दिए गए हैं. जांच रिपोर्ट आने के बाद कोई फैसला लिया जाएगा.' वहीं उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रधान प्रबंधक (संचालन) आशुतोष गौड़ का कहना है कि 'मैं जांच के लिए तैयार हूं. इस मामले में शीघ्र जांच पूरी हो जिससे कहां गड़बड़ी हुई है, यह सामने आ सके.'