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दाह संस्कार के लिए टोकन सिस्टम, प्रशासन के दावे से अधिक पहुंच रहे कोरोना मरीजों के शव - लखनऊ में कोरोना संक्रमित

राजधानी लखनऊ में कोरोना संक्रमण भयावह रुप ले चुका है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राजधानी लखनऊ के घाटों पर डेड बॉडी जलाने के लिए टोकन बांटे जा रहे हैं. लोगों को लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है. इन लोगों की सुध लेने वाला कोई नहीं है.

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भैंसा कुंड
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Published : Apr 8, 2021, 2:29 AM IST

लखनऊ : राजधानी लखनऊ में कोरोना की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि संक्रमित मरीजों की मौत के बाद उनके दाह संस्कार के लिए परिजनों को टोकन दिया जा रहा है. गोमतीनगर स्थित भैंसा कुंड व गुलाल घाट पर डेड बॉडी का अंतिम संस्कार किया जाता है. इन दोनों घाटों पर लोगों को टोकन दिया जा रहा है. इसके लिए कई घंटों की लाइन में खड़ा होना पड़ रहा है.


क्या कहते हैं सीएमओ

इस बारे में लखनऊ के सीएमओ डॉ. संजय भटनागर का कहना है कि अस्पतालों में जो भी मौतें होती हैं, उनके आंकड़े आते हैं और वही पोर्टल पर अपडेट किए जाते हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरह से बड़ी संख्या में मौत हो रही है, इसकी जानकारी अभी उन्हें नहीं है. एक तरफ सीएमओ डॉ. संजय भटनागर प्रतिदिन चार-पांच मौत होने का दावा कर रहे हैं, वहीं विगत 4 दिनों में 80 से 90 कोविड संक्रमित मरीजों की लाशें जलाई गईं. हालांकि इस बारे में जानकारी ना होने की बात कहकर उन्होंने पल्ला झाड़ लिया.


भैंसा कुंड पर एक इलेक्ट्रिक मशीन खराब

राजधानी लखनऊ में अंतिम संस्कार के लिए भैंसा कुंड के साथ-साथ गुलाल घाट पर लोग डेड बॉडी का अंतिम संस्कार के लिए पहुंचते हैं. लेकिन, बिजली से चलने वाला विद्युत शवदाह गृह भैंसा कुंड पर ही है. यहां पर दो मशीनें लगाई गई थीं, जबकि एक मशीन काफी दिनों से खराब है और एक ही मशीन काम कर रही है. यही कारण है कि इस मशीन पर लंबी लाइन लग रही है और इसके टोकन भी बांटे जा रहे हैं. वहीं गुलाल घाट पर जनरेटर नहीं है, जिसके कारण बिजली कट जाने पर यहां भी अंतिम संस्कार का कार्यक्रम रुक जाता है. इसके साथ ही इन घाटों पर अनाउंसमेंट सिस्टम भी नहीं है.


एक-एक गाड़ी पर आ रही हैं दो से तीन डेड बॉडी

कोविड की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इन घाटों पर प्रतिदिन एक गाड़ी पर दो से तीन डेड बॉडी पहुंचती है और उनके परिजन अपनी बारी का इंतजार करते हैं. इसके लिए उन्हें घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ता है.


क्या कहते हैं नगर निगम के अधिकारी


अंतिम संस्कार के लिए लग रही लाइन व विद्युत शवदाह गृह के खराब होने के सवाल पर नगर आयुक्त अजय द्विवेदी का कहना है कि अभी इस बारे में हमें जानकारी नहीं है. जल्द ही दूसरी मशीन को भी सही करा दिया जाएगा, जिससे राजधानी लखनऊ की जनता को किसी तरह की समस्या का सामना ना करना पड़े.


राजधानी लखनऊ में लगातार कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही है और यही कारण है कि अंतिम संस्कार के लिए घाटों पर लाइन लग रही है. जहां स्वास्थ्य विभाग प्रतिदिन चार-पांच मरीजों की मौत का दावा कर रहा है, वहीं घाटों पर 20 से 25 की संख्या में प्रतिदिन डेड बॉडी पहुंच रही है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के दावे और जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है.

लखनऊ : राजधानी लखनऊ में कोरोना की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि संक्रमित मरीजों की मौत के बाद उनके दाह संस्कार के लिए परिजनों को टोकन दिया जा रहा है. गोमतीनगर स्थित भैंसा कुंड व गुलाल घाट पर डेड बॉडी का अंतिम संस्कार किया जाता है. इन दोनों घाटों पर लोगों को टोकन दिया जा रहा है. इसके लिए कई घंटों की लाइन में खड़ा होना पड़ रहा है.


क्या कहते हैं सीएमओ

इस बारे में लखनऊ के सीएमओ डॉ. संजय भटनागर का कहना है कि अस्पतालों में जो भी मौतें होती हैं, उनके आंकड़े आते हैं और वही पोर्टल पर अपडेट किए जाते हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरह से बड़ी संख्या में मौत हो रही है, इसकी जानकारी अभी उन्हें नहीं है. एक तरफ सीएमओ डॉ. संजय भटनागर प्रतिदिन चार-पांच मौत होने का दावा कर रहे हैं, वहीं विगत 4 दिनों में 80 से 90 कोविड संक्रमित मरीजों की लाशें जलाई गईं. हालांकि इस बारे में जानकारी ना होने की बात कहकर उन्होंने पल्ला झाड़ लिया.


भैंसा कुंड पर एक इलेक्ट्रिक मशीन खराब

राजधानी लखनऊ में अंतिम संस्कार के लिए भैंसा कुंड के साथ-साथ गुलाल घाट पर लोग डेड बॉडी का अंतिम संस्कार के लिए पहुंचते हैं. लेकिन, बिजली से चलने वाला विद्युत शवदाह गृह भैंसा कुंड पर ही है. यहां पर दो मशीनें लगाई गई थीं, जबकि एक मशीन काफी दिनों से खराब है और एक ही मशीन काम कर रही है. यही कारण है कि इस मशीन पर लंबी लाइन लग रही है और इसके टोकन भी बांटे जा रहे हैं. वहीं गुलाल घाट पर जनरेटर नहीं है, जिसके कारण बिजली कट जाने पर यहां भी अंतिम संस्कार का कार्यक्रम रुक जाता है. इसके साथ ही इन घाटों पर अनाउंसमेंट सिस्टम भी नहीं है.


एक-एक गाड़ी पर आ रही हैं दो से तीन डेड बॉडी

कोविड की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इन घाटों पर प्रतिदिन एक गाड़ी पर दो से तीन डेड बॉडी पहुंचती है और उनके परिजन अपनी बारी का इंतजार करते हैं. इसके लिए उन्हें घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ता है.


क्या कहते हैं नगर निगम के अधिकारी


अंतिम संस्कार के लिए लग रही लाइन व विद्युत शवदाह गृह के खराब होने के सवाल पर नगर आयुक्त अजय द्विवेदी का कहना है कि अभी इस बारे में हमें जानकारी नहीं है. जल्द ही दूसरी मशीन को भी सही करा दिया जाएगा, जिससे राजधानी लखनऊ की जनता को किसी तरह की समस्या का सामना ना करना पड़े.


राजधानी लखनऊ में लगातार कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही है और यही कारण है कि अंतिम संस्कार के लिए घाटों पर लाइन लग रही है. जहां स्वास्थ्य विभाग प्रतिदिन चार-पांच मरीजों की मौत का दावा कर रहा है, वहीं घाटों पर 20 से 25 की संख्या में प्रतिदिन डेड बॉडी पहुंच रही है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के दावे और जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है.

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