लखनऊ : देश में हर वर्ष सड़क दुर्घटनओं में तमाम लोग असमय मौत का शिकार हो जाते हैं. साथ ही हजारों युवा दिव्यांग हो जाते हैं. ऐसे में जनमानस को बेसिक लाइफ सेविंग की ट्रेनिंग देकर कई लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है. इसकी मुहिम शुरू करते हुए अब 'जीवन रक्षकों' की फौज बनाई जा रही है.
इंडियन ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन ने चार अगस्त को बोन एंड ज्वाइंट दिवस मनाया. इसकी थीम 'सेव वन-सेव सेल्फ' रखा गया. इसी सिलसिले में एक अगस्त से सात अगस्त तक देशभर के पदाधिकारियों ने 'बेसिक लाइफ सेविंग स्किल' ट्रेनिंग देने की मुहिम शुरू की है.
सचिव डॉ. अनूप अग्रवाल के मुताबिक चिकित्सकों ने छात्रों, पुलिस कर्मियों, पैरामेडिकल स्टाफ, आम युवकों की ऑनलाइन ट्रेनिंग शुरू की है. इसमें उन्हें दुर्घटना के दौरान कैसे मरीज को बचाना है, इसके टिप्स दिए जा रहे हैं. घायल को स्ट्रेचर या दूसरी जगह उठाकर कैसे शिफ्ट किया जाए ताकि उसकी इंजरी और न बढ़ें, अधिक रक्त स्राव, मल्टीपल फ्रैक्चर के मरीज को मौके पर कैसे फर्स्ट एड दें आदि तमाम पहलूओं पर ट्रेनिंग दी जा रही है.
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एक लाख जीवन रक्षक होंगे तैयार
डॉ. अनूप अग्रवाल के मुताबिक ओवर स्पीड, केयर लेस ड्राइविंग, नशे में ड्राइविंग, मोबाइल पर बात करना, खराब सड़कें या सड़कों की गलत इंजीनियरिंग दुर्घटना के प्रमुख कारक हैं. इस दौरान तमाम लोग तमाशबीन बने रहते हैं जबकि घायल की मदद करने वालों के लिए सरकार ने नियम बना दिया है. उनसे कोई पुलिसिया पूछताछ नहीं होगी.
वहीं, जो मदद करना भी चाहते हैं उनके पास लाइफ सेविंग की ट्रेनिंग नहीं है. लिहाजा, घायल कई बार अस्पताल तक पहुंचते ही दम तोड़ जाते हैं. इसलिए पहले चरण में एक लाख लोगों को ट्रेनिंग देकर उन्हें 'जीवन रक्षक' बनाया जाएगा. देश के विभिन्न राज्यों के निवासियों को यह ट्रेनिंग दी जाएगी.
हर वर्ष डेढ़ लाख लोगों की होती है मौत
डॉ. अनूप अग्रवाल के मुताबिक विश्व के 199 देशों में सड़क दुर्घटना में भारत नंबर एक पर है. यहां हर वर्ष करीब 4.5 लाख सड़क दुर्घटनाएं होतीं हैं. इनमें 1.5 लाख लोगों की असमय मौत हो जाती है. इसमें 70 फीसद युवा हैं.