लखनऊ: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में वाट्सएप पर पेपर लीक कांड की जांच पूरी हो गई है. लखनऊ कमिश्नर की जांच में तीन डॉक्टरों को दोषी पाया गया. ऐसे में शासन ने केजीएमयू प्रशासन को पत्र जारी कर दोषी डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. केजीएमयू के कलाम सेंटर में 21 जुलाई, 2019 को सीनियर रेजीडेंट भर्ती की परीक्षा हुई थी. दंत संकाय के नौ विभागों में कुल 30 जूनियर डॉक्टरों की भर्ती होनी थी. वहीं, पहली बार लिखित परीक्षा के जरिए शुरू हुई भर्ती प्रक्रिया धांधली की भेंट चढ़ गई.
इसमें ओरल पैथोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी विभाग का पेपर लीक हो गया. इसके विभाग के डॉक्टर ने खुद मामले का पर्दाफाश किया था. साथ ही दंत संकाय के ही वरिष्ठ शिक्षक पर पेपर लीक का आरोप लगाकर सुबूत समेत पीएम, सीएम, राज्यपाल, कुलपति से शिकायत की थी. बता दें कि ईटीवी भारत ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया था.
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राज्यपाल से लेकर पीएम तक हुई थी शिकायत
विभाग के ही डॉक्टर ने दंत संकाय के ही वरिष्ठ शिक्षक पर पेपर लीक का आरोप लगाकर सुबूत समेत पीएम, सीएम, राज्यपाल, कुलपति से शिकायत की. मीडिया में मामला उजागर होने के बाद तत्कालीन कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट ने परीक्षा निरस्त कर दी। वहीं कमेटी बनाकर प्रकरण की जांच के आदेश दिए. उधर, मामला गंभीर देखकर शासन ने मंडलायुक्त को जांच के आदेश दिए थे.
दो साल बाद कैम्पस में बढ़ी हलचल
मामले की जांच तत्कालीन कमिश्नर लखनऊ मुकेश मेश्राम ने की. उन्होंने शासन को रिपोर्ट भेज दी थी। ऐसे में अब रिपोर्ट को संज्ञान लेते हुए शासन ने दोषियों पर सख्त कार्रवाई के लिए केजीएमयू को पत्र लिखा। शासन में तैनात अनुसचिव मुमताज अहमद सिद्दीकी का पत्र कुलसचिव को भेजा गया। इसमें पेपर लीक कांड की जांच रिपोर्ट भी संलग्न हैं. इसको लेकर कैम्पस में हड़कंप है.
रिपोर्ट में केजीएमयू के दंत संकाय के वरिष्ठ डॉक्टर, एक परीक्षा विभाग में रहे वरिष्ठ डॉक्टर और दंत संकाय की एक महिला डॉक्टर को उत्तरदाई ठहराया गया है. संस्थान के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने कहा कि जांच रिपोर्ट संबंधी मुझे अभी जानकारी नहीं है. लेकिन उन्होंने कहा कि इस प्रकरण की जानकारी उच्चाधिकारियों से लेकर जो भी कार्रवाई होगी, उसे अवगत कराया जाएगा.
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