लखनऊ: राजधानी में रोज कई अस्पतालों में तीमारदार मरीज को लेकर अस्पताल पहुंचते हैं. इस दौरान गाड़ी पार्किंग के लिए उन्हें घंटो लग जाते हैं. कई बार तो गाड़ी खड़ी करने के दौरान नगर निगम या ट्रैफिक पुलिस की टीम पहुंचकर गाड़ी हटाने के लिए अनाउंस करना शुरू कर देते हैं. इस दौरान तीमारदार मरीज को छोड़कर अस्पताल के बाहर भागते हैं. मरीजों के परिजनों को डर रहता है कि कहीं नगर निगम और पुलिसकर्मी उनकी गाड़ी को उठाकर न ले जाए. ऐसे में मरीजों के परिजन अब खुद की गाड़ी से अस्पताल दिखाने नहीं आते हैं. गाड़ी घर पर ही छोड़ कर बाहरी साधन से मरीज को दिखाने आते हैं. राजधानी इस महिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं को दिखाने आए तीमारदारों ने ईटीवी भारत को यह बात बताई.
अस्पताल के बाहर नहीं कोई पार्किंग व्यवस्थाः राजधानी के हजरतगंज वीरांगना झलकारी बाई महिला अस्पताल में पार्किंग की व्यवस्था नहीं होने के कारण मरीजों के तीमारदारों को बड़ी मशक्कत के बाद गाड़ी पार्क करने की जगह मिलती है. यहां अस्पताल के बाहर ही गाड़ी खड़ी कर तीमारदार मरीज का इलाज कराने अस्पताल के अंदर चला जाए तो पुलिस वाले आकर उन पर चिल्लाने लगते हैं. इसके अलावा नगर निगम भी गाड़ी खड़ी पाए जाने पर उसे उठवा लेती है. यहां अस्पताल में गंभीर अवस्था में बहुत सारे मरीजों के केस आते हैं. अस्पताल प्रशासन की ओर से कई बार शासन को लिखित पत्र भी भेजा जा चुका है. लेकिन शासन द्वारा अब तक इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है.
इमरजेंसी में आए मरीजों की गाड़ियां हो जाती हैं गायबः राजधानी के निशातगंज से अपनी बेटी का इलाज कराने पहुंची नीलू कालरा ने बताया कि यहां पर पार्किंग की व्यवस्था ही नहीं है. आवश्यक तौर पर यहां पर गाड़ी पार्क होती है. ऐसे में उनके जैसे अनेकों तीमारदारों को गाड़ी पार्किंग के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. इसके अलावा नगर निगम की ओर से भी कर्मचारी गाड़ियां उठा ले जाते हैं. इन गाड़ियों को पुलिस चौकी पर रख कर पैसे वसूले जाते हैं. पैसा जमा करने के बाद ही गाड़ियां वापस की जाती हैं. इसके अलावा इमरजेंसी में जब गर्भवती महिला को दिखाने लाया जाता है. महिला को अस्पताल में ले जाते समय गाड़ी ही नहीं रहती है. इस वजह से यहां उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि भीड़ भाड़ वाले इलाकों में तो पार्किंग की बहुत दिक्कत है.
अस्पताल के बाहर 200 गाड़ियों की आवाजाहीः महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. निवेदिता कर ने कहा कि 25 साल पहले बना अस्पताल बहुत ही कम जगह में बना हुआ है. मौजूदा समय में अस्पताल में दिखाने के लिए बहुत सी गर्भवती महिलाएं आती हैं. हजरतगंज स्थित यह अस्पताल शहर के बीच सेंटर में है. जिसके कारण हर कोई यहीं पर इलाज कराना रेफर करता है. रोजाना यहां पर करीब 200 महिलाएं इलाज के लिए आती हैं और 40 से 45 गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया जाता है. ऐसे में अस्पताल के बाहर करीब 200 गाड़ियों की आवाजाही होती है. जिस कारण हजरतगंज चौराहे पर भीषण जाम लग जाता है. इसके लिए अस्पताल प्रशासन द्वारा पत्र भेजा गया था. लेकिन स्वास्थ्य निदेशालय की ओर भेजे गए पत्र का कोई जवाब नहीं आया है. इसके साथ ही शासन को भी अवगत कराया गया थाय लेकिन अस्पताल में पार्किंग की व्यवस्था न होने की वजह से लोगों की काफी समस्याएं हो रही हैं.
चिकित्सकों एवं कर्मचारियों के लिए मल्टीनेशनल पार्किंग एरियाः सीएमएस डॉ. निवेदिता ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से अस्पताल के चिकित्सकों एवं कर्मचारियों के लिए हजरतगंज स्थित मल्टीनेशनल पार्किंग एरिया में स्थान दिया गया है. लेकिन यह सिर्फ अस्पताल के डॉक्टर एवं कर्मचारियों के लिए है. लेकिन यहां 200 से 250 गर्भवती महिलाएं प्रतिदिन इलाज के लिए पहुंच रही हैं. उनके तीमारदारों के लिए पार्किंग की व्यवस्था नहीं है. ऐसे में वह अस्पताल के सामने ही गाड़ी को पार्किंग कर देते हैं. यहां अस्पताल के मुख्य द्वार तक गाड़ियों की पार्किंग रहती है. यहां इमरजेंसी में आने वाली एंबुलेंस भी कड़ी मशक्कत के बाद मरीजों को लेकर अस्पताल पहुंचती हैं.
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