लखनऊ: राजधानी में करीब 932 नालियां, 536 मझोले नाले और करीब 83 बड़े नाले हैं. इनकी सफाई पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च होता है. मानसून से पहले इस बार भी नाला सफाई को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं. अधिकारियों का दावा है कि सभी छोटे बड़े नालों की सफाई की जा रही है और बारिश में जलभराव की समस्या नहीं होगी. ETV Bharat की टीम बुधवार को नगर निगम प्रशासन और अधिकारियों के इन दावों की हकीकत का जायजा लेने निकली. पड़ताल के दौरान लखनऊ में लोगों से बात की तो सच खुलकर सामने आ गया.
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अकबरी गेट के पास डाल के नीचे सरकटा नाला से राजाजीपुरम से लेकर पुरानी लखनऊ के बड़े इलाके का गंदा पानी बाहर निकलता है. स्थानीय निवासी आदिल ने बताया कुछ दिन पहले इस नाले की सफाई कराई गई थी, लेकिन यह सिर्फ बाहर बाहर की गई. उनका आरोप है कि अंदर काम ही नहीं हुआ. जिसके चलते पिछले सालों की तरह इस बार फिर बारिश में जलभराव की समस्या का सामना करना पड़ेगा.
मोहम्मद इब्राम कहते हैं कि पार्षद की तरफ से भी बार-बार अपने स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन नगर निगम ऊपर ऊपर से काम करके चला जाता है. मोहम्मद इलियास कहते हैं कि नाले के अंदर पूरा पूरा भरा हुआ है. कई बार इसकी शिकायत की गई. शिकायत करने के बाद लोग आते हैं ऊपर ऊपर सफाई करके फोटो खींच कर चले जाते हैं.
लखनऊ ने पिछली बारिश में भारी जलभराव की समस्या का सामना किया था. इस बार नगर निगम में नालों की सफाई को लेकर दिए जाने वाले बजट में भी इजाफा किया है. करीब 3 करोड़ रुपये नगर निगम की तरफ से दिए गए. वहीं, करीब 5 करोड़ रुपये 15वें वित्त से मिलने की बात सामने आई. इसके बाद भी सफाई की स्थिति कई सवाल खड़े कर रही है.
मुख्य अभियंता आरआर विभाग राम नगीना त्रिपाठी ने बताया कि शहर के 83 बड़े नालों के खुले हिस्सों की सफाई आरआर विभाग की तरफ से की जा चुकी है. सफाई का काम लगातार चल भी रहा है. जहां तक ढके हुए हिस्सों की सफाई की बात है तो यह काम सिविल विभाग देखता है. लखनऊ मोंटेसरी स्कूल के सामने हैदर कैनाल को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में राम नगीना त्रिपाठी ने बताया कि इस नाले को दो बार साफ कराया गया है, लेकिन स्थानीय लोग इसमें बार-बार पूरा डाल दे रहे हैं. इसके चलते समस्या सामने आ रही है.
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