लखनऊ: यूपी सरकार के मुख्यमंत्री समेत मंत्री परिषद के सभी सदस्यों का करीब चार दशक से इनकम टैक्स जनता के पैसे से भरा जा रहा है. उत्तर प्रदेश में बीपी सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल के दौरान 1981 में मंत्रियों के वेतन और अन्य भत्तों में काफी छूट दी गई थी. वहीं तत्कालीन मुख्यमंत्री वीपी सिंह ने सिफारिश की थी कि अधिकांश मंत्री गरीब और कम पैसे वाले पृष्ठभूमि से संबंध रखते हैं इसलिए उनपर टैक्स का भार नहीं आना चाहिए. यूपी विधानसभा में 38 वर्ष पूर्व बने इस कानून को आधार बनाकर सभी मंत्री और राज्य मंत्रियों का आयकर बोझ राज्य कोषागार ढोता आ रहा है. वहीं अगर देखा जाए तो अब आर्थिक तौर पर कमजोर मंत्री न के बराबर हैं. कम से कम वे अपना इनकम टैक्स तो भर ही सकते हैं.
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तत्कालीन सीएम वीपी सिंह ने की थी टैक्स में छूट देने की सिफारिश
उत्तर प्रदेश के मंत्रियों के वेतन भत्तों और अन्य मदों के खर्च से संबंधित कानून 1981 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीपी सिंह ने लागू किया था. तब से लेकर आज तक यूपी में 18 मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इनमें कांग्रेस से एनडी तिवारी, भाजपा से कल्याण सिंह, रामप्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह और अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शामिल हैं. वहीं समाजवादी पार्टी से मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव तो बहुजन समाज पार्टी से मायावती भी मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. इस दौरान करीब एक हजार मंत्री भी रह चुके हैं. करीब चार दशक पुराने इस कानून के मुताबिक राज्य के मुख्यमंत्री और मंत्रियों के टैक्स का बोझ स्टेट ट्रेजरी द्वारा वहन किया जा रहा है.
ट्रेजरी विभाग वहन कर रहा है सीएम और मंत्रियों का टैक्स
इनकम टैक्स को लेकर इस तरह के वेतन के संबंध में टैक्स लागू नहीं होगा. यदि टैक्स बनता है तो उसका वहन राज्य सरकार करेगी.
योगी सरकार के मंत्रियों का भी टैक्स पिछले दो वित्तीय वर्षों से स्टेट ट्रेजरी के खाते से जमा किया जा रहा है. इस वित्त वर्ष में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके मंत्रिपरिषद का कुल इनकम टैक्स बिल 86 लाख रुपये स्टेट ट्रेजरी द्वारा जमा किया गया है.
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हरीश चंद्र श्रीवास्तव ने ईटीवी भारत से कहा
जब यह कानून पास किया गया था, तब मंत्रियों के वेतन और भत्ते बेहद कम थे. आर्थिक रूप से वह कमजोर थे. उन्हें जनता के बीच रहकर उनकी सेवा करनी थी. इस वजह से तत्कालीन सरकार ने यह फैसला लिया. तब से बहुत सारे बदलाव किए जा चुके हैं. आवश्यकता पड़ने पर सरकार ऐसे कानून पर मंथन करती है. जरूरत पड़ने पर बदलाव भी करती है. यह निर्णय सरकार को लेना है.
कांग्रेस प्रवक्ता विशाल राजपूत ने ईटीवी भारत के साथ बातचीत में कहा कि
राजनीति में लोग जमीनी स्तर से उठकर सदन तक पहुंचते हैं. सरकार में शामिल होते हैं. उनके पास आय का कोई मजबूत साधन नहीं होता है. इसलिए अगर सरकार उन्हें कुछ सहयोग कर रही थी तो इसमें कोई हर्ज नहीं है, लेकिन अगर परिस्थितियों को देखते हुए सरकार बदलाव करना चाहती है तो कांग्रेस उसका स्वागत करेगी.