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यूपी में बिजली कंपनियों की स्थिति खराब, महंगी बिजली से बढ़ सकती है उपभोक्ताओं की परेशानी

यूपी में पावर फाइनेंस कारपोरेशन की तरफ से जारी बिजली कंपनियों की रेटिंग में गिरावट की बात सामने आ रही है. जल्द इस पर कारगर कदम नहीं उठाया गया तो इसका असर उपभोक्ताओं पर पड़ना शुरू हो जाएगा.

यूपी के उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का सामना करना पड़ सकता है.
यूपी के उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का सामना करना पड़ सकता है.
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Published : Apr 18, 2023, 1:12 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में तीन दिन बाद विद्युत नियामक आयोग बिजली बिल में बढ़ोतरी में मामले में सुनवाई करेगा. पावर फाइनेंस कारपोरेशन की तरफ से जारी बिजली कंपनियों की रेटिंग के बाद हंगामा खड़ा हो गया है. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इस गंभीर मामले पर विद्युत नियामक आयोग में एक लोक महत्व का प्रस्ताव दाखिल कर दिया है. माना जा रहा है कि रेटिंग में सुधार के लिए कारगर कदम नहीं उठाए गए तो आगामी समय में बिजली कंपनियों की स्थिति और खराब हो जाएगी. इससे बिजली बिलों में बढ़ोतरी होने का भी अनुमान है.

परिषद ने सवाल उठाया है कि बिजली कंपनियों की वर्ष 2019 में पावर फाइनेंस कारपोरेशन ने जब सातवीं रेटिंग जारी की थी उस समय प्रदेश की बिजली कंपनियां केस्को बी प्लस तक पहुंच गई थी, पश्चिमांचल बी व अन्य तीनों बिजली कंपनियां मध्यांचल, पूर्वांचल और दक्षिणांचल सी प्लस में पहुंच गईं थीं. सभी बिजली कंपनियां चार साल बाद 11वीं रेटिंग में एक सी और 4 कंपनी सी माइनस में पहुंच गईं जिसका सबसे ज्यादा नुकसान उपभोक्ताओं को होगा. ऐसे में तत्काल विद्युत नियामक आयोग इस गंभीर मामले पर हस्तक्षेप करें अन्यथा बिजली कंपनियों की वित्तीय स्थिति खराब हो जाएगी.

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा रेटिंग खराब होने से बिजली कंपनियां जब लोन लेती हैं तो उन्हें ज्यादा ब्याज देना पड़ता है. वर्ष 2021- 22 में जहां बिजली कंपनियों ने लॉन्ग टर्म कुल लोन पर लगभग 8 79 प्रतिशत ब्याज दिया था, उसकी कुल रकम लगभग 1,281 करोड़ थी. वहीं वर्ष 2022 -23 में लॉन्ग टर्म लोन पर लगभग 10.73 प्रतिशत ब्याज की दर थी, कुल रकम लगभग 1,738 करोड़ थी. इसका खामियाजा प्रदेश की जनता ने बिजली दरों में भुगता था.

अब बिजली कंपनियों की जो रेटिंग सामने आई है उससे आने वाले समय में बिजली कंपनियों को 11 प्रतिशत से ऊपर लॉन्ग टर्म लोन पर ब्याज देना पड़ेगा. इसका खामियाजा प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को बिजली दरों में भुगतना पड़ेगा. सबसे बड़ा सवाल यह है बिजली कंपनियों की कुल ओएंडएम कास्ट की बढ़ोतरी हो गई है. बिजली कंपनियां कह रही हैं कि उनके सभी पैरामीटर में बड़ा सुधार हुआ है फिर उनकी रेटिंग क्यों गिरती जा रही है, इसके लिए कौन जिम्मेदार है?.

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों के तहत बिजली कंपनियों को बचाने के लिए विद्युत नियामक आयोग को कठोर से कठोर कदम उठाना होगा, नहीं तो बिजली कंपनियां तबाह हो जाएंगी. उनका वित्तीय पैरामीटर इस स्थिति में आ जाएगा कि प्रदेश की बिजली कंपनियों को कोई लोन तक नहीं देगा. उसके बाद बिजली कंपनियां बिजली दरों में बढ़ोतरी कर उपभोक्ताओं पर भार डालने का प्रयास करेंगी. उपभोक्ताओं पर महंगी बिजली दर का असर न पड़े, इसलिए आयोग कोई कड़ा फैसला ले.

यह भी पढ़ें : संयुक्ता भाटिया की तबीयत बिगड़ी, सुषमा खरकवाल ने मुलाक़ात कर जाना हाल

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में तीन दिन बाद विद्युत नियामक आयोग बिजली बिल में बढ़ोतरी में मामले में सुनवाई करेगा. पावर फाइनेंस कारपोरेशन की तरफ से जारी बिजली कंपनियों की रेटिंग के बाद हंगामा खड़ा हो गया है. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इस गंभीर मामले पर विद्युत नियामक आयोग में एक लोक महत्व का प्रस्ताव दाखिल कर दिया है. माना जा रहा है कि रेटिंग में सुधार के लिए कारगर कदम नहीं उठाए गए तो आगामी समय में बिजली कंपनियों की स्थिति और खराब हो जाएगी. इससे बिजली बिलों में बढ़ोतरी होने का भी अनुमान है.

परिषद ने सवाल उठाया है कि बिजली कंपनियों की वर्ष 2019 में पावर फाइनेंस कारपोरेशन ने जब सातवीं रेटिंग जारी की थी उस समय प्रदेश की बिजली कंपनियां केस्को बी प्लस तक पहुंच गई थी, पश्चिमांचल बी व अन्य तीनों बिजली कंपनियां मध्यांचल, पूर्वांचल और दक्षिणांचल सी प्लस में पहुंच गईं थीं. सभी बिजली कंपनियां चार साल बाद 11वीं रेटिंग में एक सी और 4 कंपनी सी माइनस में पहुंच गईं जिसका सबसे ज्यादा नुकसान उपभोक्ताओं को होगा. ऐसे में तत्काल विद्युत नियामक आयोग इस गंभीर मामले पर हस्तक्षेप करें अन्यथा बिजली कंपनियों की वित्तीय स्थिति खराब हो जाएगी.

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा रेटिंग खराब होने से बिजली कंपनियां जब लोन लेती हैं तो उन्हें ज्यादा ब्याज देना पड़ता है. वर्ष 2021- 22 में जहां बिजली कंपनियों ने लॉन्ग टर्म कुल लोन पर लगभग 8 79 प्रतिशत ब्याज दिया था, उसकी कुल रकम लगभग 1,281 करोड़ थी. वहीं वर्ष 2022 -23 में लॉन्ग टर्म लोन पर लगभग 10.73 प्रतिशत ब्याज की दर थी, कुल रकम लगभग 1,738 करोड़ थी. इसका खामियाजा प्रदेश की जनता ने बिजली दरों में भुगता था.

अब बिजली कंपनियों की जो रेटिंग सामने आई है उससे आने वाले समय में बिजली कंपनियों को 11 प्रतिशत से ऊपर लॉन्ग टर्म लोन पर ब्याज देना पड़ेगा. इसका खामियाजा प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को बिजली दरों में भुगतना पड़ेगा. सबसे बड़ा सवाल यह है बिजली कंपनियों की कुल ओएंडएम कास्ट की बढ़ोतरी हो गई है. बिजली कंपनियां कह रही हैं कि उनके सभी पैरामीटर में बड़ा सुधार हुआ है फिर उनकी रेटिंग क्यों गिरती जा रही है, इसके लिए कौन जिम्मेदार है?.

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 के प्रावधानों के तहत बिजली कंपनियों को बचाने के लिए विद्युत नियामक आयोग को कठोर से कठोर कदम उठाना होगा, नहीं तो बिजली कंपनियां तबाह हो जाएंगी. उनका वित्तीय पैरामीटर इस स्थिति में आ जाएगा कि प्रदेश की बिजली कंपनियों को कोई लोन तक नहीं देगा. उसके बाद बिजली कंपनियां बिजली दरों में बढ़ोतरी कर उपभोक्ताओं पर भार डालने का प्रयास करेंगी. उपभोक्ताओं पर महंगी बिजली दर का असर न पड़े, इसलिए आयोग कोई कड़ा फैसला ले.

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