लखनऊ: उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन वर्तमान में तकरीबन 100 करोड़ रुपए के घाटे में पहुंच चुका है. अब आने वाले दिन पावर कारपोरेशन पर और भी भारी पड़ने वाले हैं. अभी तक बिजली कंपनियों को केंद्र सरकार की तरफ से जिस दर पर लोन मिलता था अब उसमें इजाफा किए जाने की तैयारी हो रही है. बिजली कंपनियों की रेटिंग खराब होने से अब महंगा लोन मिलेगा तो बिजली आपूर्ति और भी चौपट हो सकती है. उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का करंट लग सकता है, क्योंकि जब बिजली विभाग को ज्यादा ब्याज चुकाना होगा तो विभाग इसकी भरपाई उपभोक्ताओं से ही करवाएगा यानी कुल मिलाकर संकट उपभोक्ताओं पर ही आएगा.
बिजली कंपनियों की रेटिंग खराब होने पर जब बिजली कंपनियां लोन लेती हैं तो उन्हें ज्यादा ब्याज देना पडता है. साल 2021- 22 में जहां बिजली कंपनियों ने लॉन्ग टर्म कुल लोन पर लगभग 8 79 प्रतिशत ब्याज दिया था उसकी कुल रकम लगभग 1,281 करोड थी, वहीं वर्ष 2022 -23 में लॉन्ग टर्म लोन पर लगभग 10.73 प्रतिशत ब्याज की दर थी जो कुल रकम लगभग 1,738 करोड थी. अब बिजली कंपनियों की जो माइनस रेटिंग आई है उससे आने वाले समय में बिजली कंपनियों को 11 प्रतिशत से ऊपर लॉन्ग टर्म लोन पर ब्याज देना पडेगा. इससे पावर कारपोरेशन की हालत और भी पतली होगी.
बिजली कंपनियों की वर्ष 2019 में जब पावर फाइनेंस कारपोरेशन ने सातवीं रेटिंग जारी की थी उस समय प्रदेश की बिजली कंपनियों में केस्को बी प्लस तक पहुंच गई थी, पश्चिमांचल का बी ग्रेड आया था व अन्य तीनों बिजली कंपनियां मध्यांचल, पूर्वांचल और दक्षिणांचल सी प्लस में पहुंच गई थीं. सभी बिजली कंपनियां चार साल बाद 2023 ने हुई 11वी रेटिंग में एक सी और चार कंपनियां सी माइनस ग्रेड में पहुंच गईं. इसका कंपनियों को भविष्य में जब लोन लेंगी तो खामियाजा भुगतना पड़ेगा. उन्हें लोन लेने के बाद महंगा ब्याज चुकाना पड़ेगा. इसी को ध्यान में रखकर बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं की बिजली महंगा करने का प्लान बना रही हैं.
18 से 23 फीसदी बिजली महंगी करने का दिया है प्रस्ताव
बिजली कंपनियों की तरफ से विद्युत नियामक आयोग में जो प्रस्ताव सौंपा गया है उसमें उपभोक्ताओं के बिजली 18% से लेकर 23% तक महंगी करने का जिक्र किया गया है. यानी वर्तमान में जो उत्तर प्रदेश की प्रति यूनिट बिजली दर है उससे 18 फीसदी से 23 फीसदी ज्यादा महंगी दर चुकानी पड़ सकती है. हालांकि इस पर अभी नियामक आयोग तैयार नहीं है, लेकिन ऊर्जा विभाग जरूर चाहता है कि इन प्रस्तावित दरों पर मुहर लग जाए जिससे कुछ हद तक पावर कारपोरेशन का घाटा पूरा हो सके. बता दें कि अभी भी देश के सभी राज्यों की तुलना में सबसे महंगी बिजली उत्तर प्रदेश की ही है.
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि अगर रेटिंग खराब आई है उससे बिजली कंपनियों को महंगा लोन मिलता है और उन्हें ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ता है इसका खामियाजा उपभोक्ता क्यूं भुगतें. यह बिल्कुल नहीं होने दिया जाएगा. इसमें उपभोक्ताओं की भला क्या गलती है? उपभोक्ताओं का पहले से ही बिजली विभाग पर सरप्लस निकल रहा है. ऐसे में महंगी बिजली का भार उपभोक्ताओं पर कैसे डाला जा सकता है. जब उपभोक्ताओं का ही अतिरिक्त पैसा विभाग के पास है तो बिजली महंगी करने के बजाय सस्ती करनी चाहिए.
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