लखनऊ : केंद्र और राज्य सरकारें किसानों की आय बढ़ाने के लिए विभिन्न स्तरों और योजनाओं के माध्यम से काम कर रही हैं. यह बात और है कि अभी इस दिशा में और प्रयासों की जरूरत है. इसे ध्यान में रखते हुए केंद्र की भाजपा सरकार ने हाल के बजट में दस हजार नए कृषि उत्पादक संगठन (एफपीओ) गठित करने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए केंद्रीय बजट में 955 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. स्वाभाविक है कि देश का सबसे बड़ा राज्य होने के कारण उत्तर प्रदेश को भी इन दस हजार एफपीओ में बड़ा हिस्सा मिलेगा. मौजूद समय में प्रदेश में तीन हजार से ज्यादा कृषि उत्पादक संगठन सफलता पूर्वक काम कर रहे हैं. इन संगठनों से किसानों को न सिर्फ अपनी आय बढ़ाने में मदद मिल रही है, बल्कि उन्हें तमाम सुविधाओं का लाभ भी सरकार से प्राप्त हो रहा है.
फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन यानी एफपीओ किसानों द्वारा बनाया गया एक तरह का स्वयं सहायता समूह होता है. यह समूह किसान हितों के लिए काम करता है. इस संगठन या कंपनी के माध्यम से किसानों को खाद, बीज, कृषि यंत्र, प्रशिक्षण आदि के लिए तकनीकी और वित्तीय मदद सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाती है. यह कृषि उत्पादक संगठन छोटे और मंझोले किसानों के लिए वरदान साबित हो सकते हैं यदि इनका सही तरीके से क्रियान्वयन हो. निश्चितरूप से सरकार इसे लेकर बहुत गंभीर है. इस संगठन से किसानों को अपनी उपज के लिए सौदेबाजी करने की शक्ति मिलती है. उन्हें उपज के भंडारण और परिवहन के साथ ही ग्रीन हाउस निर्माण, कृषि मशीनरी की खरीद, शीत भंडारण आदि के लिए सरकार से अच्छी-खासी मदद भी मिलती है. राज्य सरकार भी इस योजना को लेकर बहुत गंभीरता से काम कर रही है. आरंभ में एफपीओ गठन के वक्त से तीन साल तक इसके संचालन के लिए सरकार पंद्रह लाख की आर्थिक मदद भी प्रदान करती है. उम्मीद की जा रही है कि प्रदेश सरकार अपने आगामी बजट में इस क्षेत्र में अहम घोषणा कर सकती है.
इस संबंध में एफपीओ सलाहकार केशवानंद त्रिपाठी कहते हैं 'एफपीओ यानी फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन या कृषक आधारित संगठन. यह किसान आधारिक एक संगठन है. इसके माध्यम से किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें संगठित किया जाता है और कंपनी एक्ट के तहत इसका रजिस्ट्रेशन कराया जाता है. इसमें संपूर्ण मालिकाना हक किसानों का होता है. 2022 तक उत्तर प्रदेश में दो हजार सात सौ तीस किसान उत्पादक संगठनों का गठन किया गया था, जो आज बढ़कर तैंतीस सौ हो चुके हैं. इन उत्पादक संगठनों को बनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि लोगों की खेती से संबंधित समस्याओं जैसे समय पर बीज न मिलना, गुणवत्तायुक्त रसायनों का न मिलना या सही दर और समय पर न मिलना आदि का निदान करना है.' केशवानंद त्रिपाठी कहते हैं 'किसान जो भी फसलें उगा रहा है, उनका उचित बाजार मूल्य किसानों को प्राप्त हो सके, इस समस्या के समाधान के लिए इस अवधारणा का जन्म हुआ है.'
एफपीओ सलाहकार केशवानंद त्रिपाठी बताते हैं 'भारत में सबसे पहले इंडिया ऑर्गेनिक नाम का एफपीओ बनाया गया था. आज यह अवधारणा पूरे प्रदेश में विभिन्न सरकारी संस्थाओं द्वारा संचालित है, जिसके तहत बड़ी संख्या में एफपीओ का गठन किया जा रहा है. एफपीओ का एक दूसरा उद्देश्य यह है कि किसानों में उद्यमिता की भावना भी पैदा हो, जिससे किसान एक व्यवसायी की तरह व्यवहार करना सीखें. साथ ही वह अपनी उपज का उचित बाजार मूल्य प्राप्त कर सकें. आज उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न परियोजनाओं के तहत तकनीकी एजेंसियों द्वारा इन उत्पादक संगठनों का निर्माण किया जा रहा है. पिछले वर्ष कृषि विभाग द्वारा ऐसे सौ उत्पादक संगठनों को बीज विधान, गोदाम और कृषि संयंत्र आदि की सुविधा प्रदान की गई है, जिसके अंतर्गत सरकार सौ प्रतिशत अनुदान पर साठ लाख रुपये प्रत्येक उत्पादक संगठन को मुहैया कराती है.'
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