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UPPCL के चेयरमैन के खिलाफ जारी वारंट पर अस्थाई रोक - श्रम उपायुक्त सीजेएम लखनऊ

उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन के खिलाफ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, लखनऊ द्वारा जारी वारंट पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने दस दिनों के लिए रोक लगा दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी की एकल पीठ ने यूपीपीसीएल के चेयरमैन की याचिका पर पारित किया गया है.

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
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Published : Jun 22, 2021, 10:24 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन के खिलाफ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, लखनऊ द्वारा जारी वारंट पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने दस दिनों के लिए रोक लगा दी है. लेबर कोर्ट द्वारा जारी एक अवार्ड आदेश का अनुपालन न किये जाने के मामले में यह वारंट जारी किया गया है. यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी की एकल पीठ ने यूपीपीसीएल के चेयरमैन की याचिका पर पारित किया गया है.


चेयरमैन की ओर से दलील दी गई कि लेबर कोर्ट, लखनऊ ने एक इंडस्ट्रियल विवाद मामले में अवार्ड आदेश जारी किया था. आदेश का अनुपालन न होने पर वर्ष 1992 में श्रम उपायुक्त ने सीजेएम लखनऊ के समक्ष परिवाद दाखिल किया. अधिवक्ता का कहना था कि इस दौरान अवार्ड आदेश का अनुपालन कर दिया गया. उन्होंने दलील दी कि यूपी इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट की धारा 14ए के तहत वर्तमान मामला संज्ञेय नहीं है. बावजूद इसके सीजेएम ने वारंट जारी किया जो कि उनके क्षेत्राधिकार से बाहर है.

उन्होंने यह भी दलील दी कि उक्त परिवाद यूपी राज्य विद्युत बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन के विरुद्ध दर्ज किया गया था. जबकि अब बोर्ड में तमाम संरचनात्मक बदलाव हो चुके हैं. याची के अधिवक्ता ने कोर्ट से कुछ समय के लिए वारंट से राहत देने की मांग की ताकि अवार्ड आदेश के अनुपालन के सम्बंध में निचली अदालत के समक्ष दस्तावेज पेश किये जा सकें. इस पर कोर्ट ने याची को दस दिनों में निचली अदालत के समक्ष आदेश के अनुपालन सम्बंधी दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा है व इन दस दिनों के लिए वारंट को निष्प्रभावी कर दिया है कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि दस दिनों में यदि अनुपालन सम्बंधी दस्तावेज निचली अदालत के समक्ष नहीं प्रस्तुत किया जाता तो वारंट से राहत स्वतः समाप्त हो जाएगी.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन के खिलाफ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, लखनऊ द्वारा जारी वारंट पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने दस दिनों के लिए रोक लगा दी है. लेबर कोर्ट द्वारा जारी एक अवार्ड आदेश का अनुपालन न किये जाने के मामले में यह वारंट जारी किया गया है. यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी की एकल पीठ ने यूपीपीसीएल के चेयरमैन की याचिका पर पारित किया गया है.


चेयरमैन की ओर से दलील दी गई कि लेबर कोर्ट, लखनऊ ने एक इंडस्ट्रियल विवाद मामले में अवार्ड आदेश जारी किया था. आदेश का अनुपालन न होने पर वर्ष 1992 में श्रम उपायुक्त ने सीजेएम लखनऊ के समक्ष परिवाद दाखिल किया. अधिवक्ता का कहना था कि इस दौरान अवार्ड आदेश का अनुपालन कर दिया गया. उन्होंने दलील दी कि यूपी इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट की धारा 14ए के तहत वर्तमान मामला संज्ञेय नहीं है. बावजूद इसके सीजेएम ने वारंट जारी किया जो कि उनके क्षेत्राधिकार से बाहर है.

उन्होंने यह भी दलील दी कि उक्त परिवाद यूपी राज्य विद्युत बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन के विरुद्ध दर्ज किया गया था. जबकि अब बोर्ड में तमाम संरचनात्मक बदलाव हो चुके हैं. याची के अधिवक्ता ने कोर्ट से कुछ समय के लिए वारंट से राहत देने की मांग की ताकि अवार्ड आदेश के अनुपालन के सम्बंध में निचली अदालत के समक्ष दस्तावेज पेश किये जा सकें. इस पर कोर्ट ने याची को दस दिनों में निचली अदालत के समक्ष आदेश के अनुपालन सम्बंधी दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा है व इन दस दिनों के लिए वारंट को निष्प्रभावी कर दिया है कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि दस दिनों में यदि अनुपालन सम्बंधी दस्तावेज निचली अदालत के समक्ष नहीं प्रस्तुत किया जाता तो वारंट से राहत स्वतः समाप्त हो जाएगी.

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