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टेम्पो और बैटरी वाहनों ने छीना रिक्शा चालकों का रोजगार - ई रिक्शा का रिक्शा चालकों पर प्रभाव

राजधानी लखनऊ में ई-रिक्शा और टेम्पो का प्रभाव अब आम रिक्शा चालकों पर दिखने लगा है. रिक्शे पर सवारियां कम ही बैठती हैं, जिससे रिक्शा चालकों का जीवन-यापन करना मुश्किल हो रहा है. रिक्शा चालकों ने सरकार से मदद की मांग की है.

रिक्शा चालकों से बातचीत.
रिक्शा चालकों से बातचीत.
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Published : Apr 4, 2021, 9:38 AM IST

लखनऊ: बैटरी से चलने वाले रिक्शों की संख्या बढ़ने से रिक्शा चालक काफी हद तक प्रभावित हो गए हैं. रिक्शा चालकों को अपना जीवन यापन करने में समस्या हो रही है. कमाई नहीं होने के कारण ये रिक्शा चालक भूखे पेट सोने के लिए मजबूर हैं.

रिक्शा चालकों से बातचीत.

भूखे पेट सोने को मजबूर हैं रिक्शा चालक
राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश के कई जनपदों में टेम्पो और बैटरी से चलने वाले ई-रिक्शों की संख्या बढ़ने लगी है. लखनऊ में भी ई-रिक्शों का संचालन धड़ल्ले से हो रहा है. इसका प्रभाव आम रिक्शा चालकों पर पड़ा है. रिक्शा चालकों का कहना है कि अब उनके रिक्शे पर सवारी नहीं बैठती हैं. लोग ज्यादातर बैटरी वाले रिक्शे में या टेम्पो में बैठना पसंद करते हैं. सवारी नहीं मिलने से उनकी आजीविका पर प्रभाव पड़ रहा है. वे भूखे पेट सोने के लिए मजबूर हैं. अपने परिवार का पालन पोषण करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

यह भी पढ़ेंः दुबई इंटरनेशनल पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप के फाइनल में अबु हुबैदा

70 वर्षीय रिक्शा चालक छत्रपाल का ने बताया कि वह सवारी नहीं मिलने से वह बहुत परेशान हैं. सारा दिन भूखे रहते हैं. आजकल बहुत कम ही सवारी मिलती हैं. उनकी सरकार से मांग है कि रिक्शा चालकों के लिए भी कोई योजना लाई जाए, जिससे उनकी आजीविका चल सके. रिक्शा चालक पन्ने लाल का कहना है कि इन दिनों प्रतिदिन 40 से 60 रुपये की ही कमाई होती है, ऐसे में परिवार का भरण पोषण करने में परेशानी हो रही है.

राजधानी में 8 हजार बैटरी रिक्शे
राजधानी में टेम्पो की संख्या तीन हजार से अधिक है, जबकि बैटरी वाले रिक्शों की संख्या 8 हजार से अधिक है. ऐसे में रिक्शा चलाकर आजीविका चलाने वाले लोगों को सवारियां नहीं मिलती. रिक्शा चालकों ने सरकार से मदद की मांग की है.

लखनऊ: बैटरी से चलने वाले रिक्शों की संख्या बढ़ने से रिक्शा चालक काफी हद तक प्रभावित हो गए हैं. रिक्शा चालकों को अपना जीवन यापन करने में समस्या हो रही है. कमाई नहीं होने के कारण ये रिक्शा चालक भूखे पेट सोने के लिए मजबूर हैं.

रिक्शा चालकों से बातचीत.

भूखे पेट सोने को मजबूर हैं रिक्शा चालक
राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश के कई जनपदों में टेम्पो और बैटरी से चलने वाले ई-रिक्शों की संख्या बढ़ने लगी है. लखनऊ में भी ई-रिक्शों का संचालन धड़ल्ले से हो रहा है. इसका प्रभाव आम रिक्शा चालकों पर पड़ा है. रिक्शा चालकों का कहना है कि अब उनके रिक्शे पर सवारी नहीं बैठती हैं. लोग ज्यादातर बैटरी वाले रिक्शे में या टेम्पो में बैठना पसंद करते हैं. सवारी नहीं मिलने से उनकी आजीविका पर प्रभाव पड़ रहा है. वे भूखे पेट सोने के लिए मजबूर हैं. अपने परिवार का पालन पोषण करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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70 वर्षीय रिक्शा चालक छत्रपाल का ने बताया कि वह सवारी नहीं मिलने से वह बहुत परेशान हैं. सारा दिन भूखे रहते हैं. आजकल बहुत कम ही सवारी मिलती हैं. उनकी सरकार से मांग है कि रिक्शा चालकों के लिए भी कोई योजना लाई जाए, जिससे उनकी आजीविका चल सके. रिक्शा चालक पन्ने लाल का कहना है कि इन दिनों प्रतिदिन 40 से 60 रुपये की ही कमाई होती है, ऐसे में परिवार का भरण पोषण करने में परेशानी हो रही है.

राजधानी में 8 हजार बैटरी रिक्शे
राजधानी में टेम्पो की संख्या तीन हजार से अधिक है, जबकि बैटरी वाले रिक्शों की संख्या 8 हजार से अधिक है. ऐसे में रिक्शा चलाकर आजीविका चलाने वाले लोगों को सवारियां नहीं मिलती. रिक्शा चालकों ने सरकार से मदद की मांग की है.

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