लखनऊ : ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों की स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने की दिशा में अहम कदम उठाए गए हैं. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) को टेलीमेडिसिन से जोड़ने की कवायद शुरू की गई है. लखनऊ में मलिहाबाद सीएचसी में टेलीमेडिसिन की सुविधा शुरू की गई है. उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक (Deputy Chief Minister Brijesh Pathak) ने प्रदेश की दूसरी community health center (CHC) को टेलीमेडिसिन से जोड़ने के निर्देश दिए हैं.
लखनऊ में नौ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) हैं. इनमें रोजाना तीन से चार हजार मरीज ओपीडी में आते हैं. प्रत्येक सीएचसी में 30 बेड हैं. 24 घंटे इमरजेंसी सेवाएं चल रही हैं. प्रसव की सुविधा उपलब्ध है. जांच से लेकर दवा तक मरीजों को निशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है. प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में तेजी से इजाफा कर रही है. इनमें हेल्थ एटीएम लगाने की कवायद शुरू की गई है. अभी दो सीएचसी में हेल्थ एटीएम लगाए गए हैं. मलिहाबाद सीएचसी के हेल्थ एटीएम को टेलीमेडिसिन से जोड़ा गया है.
हेल्थ एटीएम को टेलीमेडिसिन से ग्रामीण क्षेत्र में ओपीडी मरीजों को विशेषज्ञ डॉक्टरों की सलाह (expert doctors advice) के लिए शहर के अस्पतालों तक दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी. मरीजों को घर के नजदीक सीएचसी में इलाज मिल सकेगा. मलिहाबाद सीएचसी में इसकी शुरूआत हो गई है. इस सुविधा के लिए सबसे पहले मरीज को अस्पताल आकर पंजीकरण कराना होगा. अस्पताल में डॉक्टर या पैरामेडिकल स्टाफ लक्षण के आधार पर हेल्थ एटीएम से जांच करेंगे. जांच रिपोर्ट विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह के लिए ई-संजीवनी पोर्टल पर अपलोड़ की जाएगी. इसके बाद वीडियो कॉल के माध्यम से डॉक्टर मरीज से बात करेंगे. जांच रिपोर्ट और लक्षणों के आधार पर टेलीमेडिसिन के जरिये विशेषज्ञ डॉक्टर मरीजों को उपचार देंगे. डॉक्टर की सलाह से लेकर दवा तक सारी सुविधाएं निशुल्क होंगी.
उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने बताया कि स्वास्थ्य सुविधाओं में इजाफा किया जा रहा है. ताकि मरीजों को आधुनिक इलाज का लाभ मिल सके. मरीजों की दौड़ भाग कम करने के मकसद से टेलीमेडिसिन को बढ़ावा दिया जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्र में टेलीमेडिसिन जैसी सेवाओं की सख्त जरूरत है. इससे मरीजों को समय पर उपचार मिल सकेगा. वहीं शहर के बड़े अस्पतालों से मरीजों का भार कम होगा. मलिहाबाद के बाद प्रदेश के दूसरे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को योजना से जोड़े जाएंगे. इस सुविधा के बाद शहर के बड़े सरकारी अस्पतालों में मरीजों का दबाव कम होगा. घर के नजदीक अस्पतालों में मरीजों को विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह मिलेगी. आने जाने में मरीज का धन के साथ समय की बचत होगी. मरीज को संक्रमण से बचाने में मदद मिलेगी. विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह के लिए मरीजों को निजी अस्पताल नहीं जाना होगा.