लखनऊ: आन्दोलन के पांच चरण के बाद भी शीर्ष ऊर्जा प्रबन्धन की हठधर्मिता से खफा प्रदेश के ऊर्जा निगमों में कार्यरत यांत्रिक संवर्ग के टेक्नीशियन कार्मिकों की मांगों को लेकर विरोध जताया गया. राज्य विद्युत परिषद प्राविधिक कर्मचारी संघ की केंद्रीय कार्यकारिणी के नौ चरणों के प्रांतव्यापी आंदोलन के पांचवें चरण में सोमवार को मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि. के प्रबंध निदेशक कार्यालय पर धरना दिया गया. मध्यांचल परिक्षेत्र के अन्तर्गत सभी जिलों के टेक्नीशियन कार्मिक भी शामिल रहे.
उन्होंने कहा कि ऊर्जा प्रबंधन अपनी नाकामी को छुपाने के लिए संघ के शीर्ष नेतृत्व को डराने, धमकाने के उद्देश्य से नोटिस दे रहा है, जिसकी संघ कड़ी निन्दा करता है. इस बार प्रदेश के टैक्नीशियन कार्मिक निर्णायक व आर-पार की लड़ाई के लामबन्द हो चुके हैं. मध्यांचल परिक्षेत्रीय अध्यक्ष नीरज कुमार तिवारी ने कहा कि आंदोलन के सभी चरणों के दौरान पड़ने वाले साप्ताहिक एवं सार्वजनिक अवकाश के दिनों में टैक्नीशियन कार्मिक अति आवश्यक सेवाओं व उपकेंद्र परिचालन के अतिरिक्त राजस्व वसूली, विद्युत विच्छेदन, कैश काउंटर, कैम्प, मीटर समेत अन्य किसी प्रकार के विभागीय कार्य संपादित नहीं किए जा रहे हैं . हालांकि, आंदोलन कार्यक्रमों के कारण आम जन-मानस को विद्युत आपूर्ति बाधित होने के कारण समस्या का सामना न करना पड़े, इसलिए अति आवश्यक सेवाओं व उपकेंद्र परिचालन में कार्यरत टैक्नीशियन कार्मिकों अग्रिम कार्यक्रमों के लिए मुक्त रखा गया है.
कई चरणों में हो चुका है धरना, जिद पर अड़ा प्रबंधन
संघ के केंद्रीय उपाध्यक्ष दीपक चक्रवर्ती ने बताया कि यांत्रिक संवर्ग के टैक्नीशियन (टी.जी.2) की तमाम समस्याओं के समाधान के लिए बीती पांच फरवरी से प्रदेश के टैक्नीशियन (टी.जी.2) कार्मिक आंदोलनरत हैं. 22 फरवरी को प्रदेश के समस्त वितरण क्षेत्र के मुख्य अभियंता कार्यलयों और 15 फरवरी को प्रदेश के समस्त जिला एवं परियोजना मुख्यालयों पर एक दिवसीय शांतिपूर्ण विरोध/धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया गया था. उससे पूर्व पांच फरवरी को संघ के 39वें मान्यता दिवस के अवसर पर सभा का आयोजन कर संकल्प दिवस के रूप मानते हुए चरणबद्ध आंदोलन का आगाज किया गया था. सात फरवरी से 13 फरवरी तक प्रदेश के समस्त टैक्नीशियन कार्मिक और संघ सदस्य काली पट्टी बांधकर विभागीय दायित्वों का निर्वहन के लिए अपने-अपने कार्यस्थल पर उपस्थित रहे. प्रस्तावित आंदोलन के पांचवें चरण में एक मार्च को प्रदेश के प्रदेश डिस्काम मुख्यालयों (पूर्वांचल, मध्यांचल, पश्चिमांचल, दक्षिणांचल व केस्को) के समक्ष एक दिवसीय शांतिपूर्ण धरना दिया गया.