लखनऊ : विभिन्न उद्योगों से काफी मात्रा में निकलने वाला कटिंग फ्लूड यानी सिंथेटिक केमिकल अब पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाएगा. मेटल कटिंग और डिलिंग के दौरान अब जितनी जरूरत होगी उतना ही कटिंग फ्लूड निकलेगा. इसके लिए डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) के इनोवेशन हब के हेड महीप सिंह ने कटिंग फ्लूड ऑप्टिमाइजर डिवाइस बनाई है. यह डिवाइस कटिंग जंक्शन के बढ़ते घटते तापमान को रिकार्ड कर उसी अनुसार कटिंग फ्लूड की सप्लाई देगी. इनोवेशन हब के हेड महीप सिंह के अनुसार डिवाइस को पेटेंट कराने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है.
उद्योगों में कटिंग के लिए प्रति मिनट दस से 60 लीटर केमिकल उपयोग में उद्योगों से भारी मात्रा में खतरनाक केमिकल निकलता है. कई उद्योगों में धातु कटिंग से लेकर ड्रिलिंग तक होती है. इस प्रक्रिया में डिलिंग और कटिंग मशीन का तापमान काफी बढ़ जाता है. जिससे प्रोडक्ट की क्लालिटी तो खराब होती ही है, मशीन पर भी असर पड़ता है. इस समस्या से निजात पाने के लिए उद्योगों में कूलेंट या कटिंग फ्लूड का उपयोग किया जाता है. यह एक सिंथेटिक केमिकल होता है. इस केमिकल को धातु कटिंग या डिलिंग के दौरान उपयोग में लिया जाता है. यह मशीन के तापमान को सामान्य रखता है. इस दौरान प्रति मिनट दस से 60 लीटर केमिकल उपयोग में लिया जाता है. बाद में यह केमिकल नदियों, नालों में बहाया जाता है. जिससे नदियों से लेकर मृदा प्रदूषण बढ़ रहा है.
डिवाइस से कम होगी खपत होगी कम : भारी मात्रा में इस केमिकल की खपत को कम करने के लिए एकेटीयू के इनोवेशन हब हेड महीप सिंह ने डाॅ. अनुज कुमार शर्मा और आईआईअी धनबाद के डाॅ. अमित राय दीक्षित के निर्देशन में कटिंग फ्लूड ऑप्टिमाइजर डिवाइस बनाया है. थर्माेकपल और प्रोसेसर के उपयोग से बनायी गयी यह डिवाइस कटिंग या डिलिंग मशीन के तापमान को रिकार्ड करती है. जितना तापमान होता है उसी अनुसार सिंथेटिक केमिकल की सप्लाई होती है. यानी जब तापमान सामान्य होता है तो कटिंग फ्लूड की सप्लाई बंद होती है. इससे न केवल इस खतरनाक केमिकल की खपत बेहद कम हो जाएगी बल्कि उद्योगों का खर्चा भी नाममात्र रह जाएगा. साथ ही नदियों और जमीन पर गिरने वाला खतरनाक केमिकल पर्यावरण को नुकसान भी नहीं पहुंचाएगा. इस डिवाइस को पेटेंट भी कराया जा रहा है.
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