लखनऊ: संयुक्त संघर्ष संचालन समिति के बैनर तले सैकड़ों शिक्षकों ने गुरुवार को पुरानी पेंशन बहाली समेत कई मांगों को लेकर प्रदर्शन किया. यह प्रदर्शन लखनऊ स्थित बीएन सिंह की प्रतिमा गया. प्रदर्शनकारी शिक्षकों का कहना है कि सरकार ने अपने कोई भी वादे पूरे नहीं किए. सरकार ने न पेंशन बहाली की और न ही भत्ते बहाल किए. उन्होंने आगाह किया कि अगर सरकार समय से उनकी मांगें नहीं मानी जातीं तो प्रदेश भर में एक बड़ा आंदोलन होगा.
गौरतलब है कि प्रदर्शनकारी बीते कई सालों से पुरानी पेंशन बहाली को लेकर आंदोलनरत हैं. पुरानी पेंशन वाली मुख्य मांग समेत उनकी कुल 16 मांगे हैं. इसके चलते उन्होंने सरकार को चेतावनी दी है. आंदोलनकारियों का कहना है कि 5 दिसंबर तक सरकार वार्ता कर उनकी मांगों का निस्तारण करे. अगर सरकार की तरफ से उनकी मांगो की अनदेखी की गई तो 5 दिसंबर को गांधी भवन में आयोजित महासम्मेलन में वो अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा करेंगे.
संघर्ष समिति के महासचिव आरके निगम ने कहा कि सरकार हमेशा वादाखिलाफी करती है. कई मांगें ऐसी हैं जिन पर सहमति हो चुकी है और इन मांगों पर वित्तीय उपासय नाममात्र का होना है. फिर भी सरकार मौन है. कहा कि सरकार को पुरानी पेंशन की बहाली के साथ निजीकरण पर रोक लगाना चाहिए.
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प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील पांडेय ने कहा कि शिक्षा विभाग में कार्यरत सभी शिक्षकों को पढ़ाई के अलावा काम का अतिरिक्त भार है. शिक्षकों को इतने सारे काम दिए जाते हैं जिससे उन पर मानसिक दबाव बढ़ गया है. शिक्षकों को चिकित्सा सुविधा व शिक्षामित्रों को उनकी दीर्घकालीन सेवा को देखते हुए अलग से नियम बनाकर नियमित किया जाए. साथ ही मृतक आश्रितों को कनिष्ठ लिपिक के पद पर प्रमोशन दिया जाए.
उनका कहना है कि देश के प्रधानमंत्री किसानों की मांग पर तीनों कृषि बिल वापस ले सकते हैं तो शिक्षकों की पेंशन उससे कहीं ज्यादा जरूरी है. हम शिक्षक इंतजार कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी टीवी पर आएंगे और पूरे देश के शिक्षकों की पुरानी पेंशन बहाल का ऐलान करेंगे.
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