लखनऊ: यूपी बोर्ड के हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के छात्रों का मूल्यांकन कैसे किया जाए? अंक देने का फार्मूला क्या हो? इस मुद्दे पर मंथन के लिए मंगलवार को शिक्षक विधायकों, प्रधानाचार्य परिषद एवं शिक्षक संगठनों की एक बैठक आयोजित की गई. बैठक की अध्यक्षता अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा अनुराधा शुक्ला ने की. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इसका आयोजन किया गया.
यह सुझाव सामने आए
- विधान परिषद सदस्य डॉ. हरि सिंह ढिल्लो ने हाई स्कूल में प्राप्त अंकों के साथ कक्षा-11 के वार्षिक प्राप्तांक तथा प्री बोर्ड के अंकों को सम्मिलित करते हुए इण्टरमीडिएट का परीक्षाफल तैयार करने का सुझाव रखा. उन्होंने विकल्प भी दिया कि यदि भविष्य में छात्र चाहता है तो उसे सुधार का भी अवसर मिलना चाहिए.
- डॉ. यज्ञ दत्त शर्मा ने कहा कि छात्रों को भविष्य में सुधार का अवसर प्रदान किया जाय.
- विधान परिषद सदस्य उमेश द्विवेदी ने कहा कि विद्यालयों के प्रधानाचार्यों द्वारा दिये गये अंकों को आधार बनाया जाय.
- विधान परिषद सदस्य सुरेश चन्द्र त्रिपाठी ने यह सुझाव दिया गया कि विद्यालय द्वारा प्रदत्त अर्द्धवार्षिक, वार्षिक तथा प्री बोर्ड के अंकों के आधार पर परीक्षाफल तैयार किया जाना चाहिए.
- विधान परिषद सदस्य आकाश अग्रवाल द्वारा ने सुझाव दिया गया कि प्री-बोर्ड के साथ बोर्ड के अंकों को आधार बनाया जाय.
राजकीय शिक्षक संघ के अध्यक्ष सुनील कुमार भडाना ने मासिक, अर्द्धवार्षिक एवं प्री बोर्ड के अंकों के आधार पर परीक्षाफल तैयार किये जाने का सुझाव दिया. वहीं विधान परिषद सदस्य श्रीचंद शर्मा ने सुझाव दिया कि औपचारिक पठन-पाठन प्रभावित होने के कारण छात्रों को उदारता से अंक दिया जाय तथा भविष्य में सुधार हेतु पुनः अवसर प्रदान किया जाय. साथ ही विधान परिषद सदस्य लाल विहारी यादव ने यह सुझाव दिया कि अंको का निर्धारण इस प्रकार किया जाना चाहिए जिससे विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सम्मिलित होने वाले छात्रों का अहित न हो.