लखनऊ: वर्ष 2019 में आए कोरोना वायरस से देश में अब तक 5 लाख के करीब मरीजों की जान जा चुकी है. वहीं टीबी के कारण हर साल देश में चार लाख लोगों की जान जा रही है. केंद्र सरकार ने बीमारी से हो रही जनहानि को समझते हुए 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है. 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस है. इस दौरान ईटीवी भारत से केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने टीबी और उसके इलाज से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर बात की.
पढ़ेंः कोरोना संक्रमित उम्मीदवारों को UPSC नहीं देगा कोई अतिरिक्त मौकाडॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक गत वर्षों में टीबी की जांच व इलाज की दिशा में काफी सुधार हुआ है. कल्चर और सेंसिटीविटी की जांच में 3 से 4 माह लगता था, वह रिपोर्ट अब कुछ घंटों में ही मिल जाती हैं. मरीजों को समय पर इलाज मिलने से टीबी से होने वाली मौतों में कमी आयी है. डब्ल्यूएचओ ने 2015 से 2020 तक 20 फीसद मौतों में कमी लाने का लक्ष्य तय किया था, इसमें 11 फीसद कम करने में सफलता प्राप्त कर ली गई है. अब एक साल में विश्व में 15 लाख लोग टीबी से जान गंवा रहे हैं. वहीं भारत में 4 लाख मरीजों की हर साल टीबी से जान जा रही है. यूपी में हर साल एक लाख टीबी मरीजों की सांसे थम रही हैं.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप