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यूपी में व्यावसायिक वाहन के रूप में दौड़ रहीं हजारों निजी दोपहिया बाइक, जानें क्यों नहीं होता एक्शन

उत्तर प्रदेश में टैक्सी बाइक का प्रचलन काफी बढ़ गया है. उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों की सड़कों पर विभिन्न कंपनियों की टैक्सी बाइक चल रही हैं. यही कारण है कि इसमें गोरखधंधा भी चालू हो गया है. जानिए कैसे हो रही काली कमाई.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 23, 2023, 12:12 PM IST

टैक्सी बाइक के संचालन पर जानकारी देते ओला उबर टैक्सी एसोसिएशन के अध्यक्ष.

लखनऊ : परिवहन विभाग पर चिराग चले अंधेरा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है. लखनऊ में ही परिवहन विभाग का मुख्यालय है और यहीं पर टैक्सी के रूप में हजारों की संख्या में अवैध वाहन दौड़ रहे हैं. यह निजी वाहन हैं, लेकिन कॉमर्शियल वाहन के रूप में चल रहे हैं. इन पर परिवहन विभाग की तरफ से कोई कार्रवाई हो ही नहीं रही है. इन वाहनों के पास किसी तरह का कोई लाइसेंस भी नहीं है, लेकिन अधिकारियों को इसका ख्याल ही नहीं है और इसका फायदा यह वाहन स्वामी उठा रहे हैं.

यूपी में टैक्सी बाइक का कारोबार.
यूपी में टैक्सी बाइक का कारोबार.


सड़कों पर विभिन्न कंपनियों की बाइक टैक्सी : लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों की सड़कों पर विभिन्न कंपनियों की बाइक टैक्सी दौड़ रही हैं. सफर के लिए यात्री एप के माध्यम से इन गाड़ियों की बुकिंग कर सकते हैं. ऑनलाइन ट्रैक भी कर सकते हैं कि उन्होंने जिस स्थान पर गाड़ी बुक करके मंगाई है अभी कहां तक पहुंची है. इससे लोगों को सफर में सहूलियत तो काफी मिलती है, लेकिन कंपनियों का यह धंधा चल अवैध तरीके से रहा है और इस पर परिवहन विभाग पूरी तरह मेहरबान है. ओला, उबर, रैपीडो और इन ड्राइवर कंपनियों की बाइक टैक्सी अप के सहारे संचालित हो रही हैं. शुरुआत में इन कंपनियों ने कुछ गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन आरटीओ कार्यालय में कराया, लेकिन इसके बाद एप के जरिए प्राइवेट लोगों को भी अपने साथ जोड़ लिया. अब प्राइवेट बाइक ही यात्रियों को ढोने का काम कर रही हैं. इससे परिवहन विभाग का नुकसान हो रहा है, क्योंकि व्यवसायिक काम कर रहीं इन निजी गाड़ियों से विभाग को कोई टैक्स मिल ही नहीं रहा है. सिटी में संचालित करने के लिए परमिट की आवश्यकता होती है वह परमिट ही नहीं हैं. इससे परिवहन विभाग को यह भी फीस नहीं मिल रही है.

यूपी में टैक्सी बाइक का काम.
यूपी में टैक्सी बाइक का काम.


नहीं हुआ सीएनजी में कन्वर्जन : कुछ साल पहले लखनऊ में ही 750 परमिट बाइक टैक्सी के लिए जारी किया गए थे. इनमें एक शर्त रखी गई थी कि जो भी बाइक टैक्सी होंगी वे सीएनजी से संचालित होंगी. पहले से ऐसी बाइक जो पेट्रोल से संचालित हो रही थीं उन्हें भी आरटीओ की तरफ से अल्टीमेटम दिया गया था कि वह अपने वाहनों का सीएनजी में कन्वर्जन कराएं. कंपनियों ने इसका आश्वासन भी दिया था कि जल्द ही एआरएआई से अप्रूव कराकर सीएनजी वाहनों का संचालन कराया जाएगा. इसके बाद विभाग भूल गया और इसका फायदा बाइक टैक्सी संचालक उठा रहे हैं.

यूपी में टैक्सी बाइक पर कार्रवाई नहीं.
यूपी में टैक्सी बाइक पर कार्रवाई नहीं.


चालकों का वेरिफिकेशन भी नहीं : खास बात यह भी है कि ऐसे वाहन चालकों का वेरिफिकेशन भी नहीं होता है. कोई व्यक्ति किसी कंपनी की बाइक बुक करता है और उसके पास जिस बाइक नंबर के लिए ओटीपी आता है मौके पर वह बाइक ही नहीं आती है. दूसरी बाइक लेकर दूसरा ही व्यक्ति वहां पहुंच जाता है. ऐसे में बड़ा सवाल यह भी खड़ा होता है कि अगर किसी तरह का अपराध हो जाता है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी. जानकारों का मानना है कि परिवहन विभाग और पुलिस को मिलकर ऐसे बाइक टैक्सी के चालकों का वेरिफिकेशन करना चाहिए. जिन कंपनियों के नाम पर यह बाइक चल रही हैं उन कंपनियों को भी नोटिस जारी कर जवाब तलब करना चाहिए.








यह भी पढ़ें : उत्तराखंड इन्वेस्टर्स समिट में छाए ये स्टार्टअप, किसी ने बनाई कमाल की बाइक, तो किसी ने सेना के लिए तैयार किया रोबोट

पांच बच्चों संग बाइक की सवारी, पुलिस ने रोका तो पिता बोला- पत्नी को बेटा हुआ है, बच्चे अपने भाई को देखने जा रहे हैं

टैक्सी बाइक के संचालन पर जानकारी देते ओला उबर टैक्सी एसोसिएशन के अध्यक्ष.

लखनऊ : परिवहन विभाग पर चिराग चले अंधेरा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है. लखनऊ में ही परिवहन विभाग का मुख्यालय है और यहीं पर टैक्सी के रूप में हजारों की संख्या में अवैध वाहन दौड़ रहे हैं. यह निजी वाहन हैं, लेकिन कॉमर्शियल वाहन के रूप में चल रहे हैं. इन पर परिवहन विभाग की तरफ से कोई कार्रवाई हो ही नहीं रही है. इन वाहनों के पास किसी तरह का कोई लाइसेंस भी नहीं है, लेकिन अधिकारियों को इसका ख्याल ही नहीं है और इसका फायदा यह वाहन स्वामी उठा रहे हैं.

यूपी में टैक्सी बाइक का कारोबार.
यूपी में टैक्सी बाइक का कारोबार.


सड़कों पर विभिन्न कंपनियों की बाइक टैक्सी : लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों की सड़कों पर विभिन्न कंपनियों की बाइक टैक्सी दौड़ रही हैं. सफर के लिए यात्री एप के माध्यम से इन गाड़ियों की बुकिंग कर सकते हैं. ऑनलाइन ट्रैक भी कर सकते हैं कि उन्होंने जिस स्थान पर गाड़ी बुक करके मंगाई है अभी कहां तक पहुंची है. इससे लोगों को सफर में सहूलियत तो काफी मिलती है, लेकिन कंपनियों का यह धंधा चल अवैध तरीके से रहा है और इस पर परिवहन विभाग पूरी तरह मेहरबान है. ओला, उबर, रैपीडो और इन ड्राइवर कंपनियों की बाइक टैक्सी अप के सहारे संचालित हो रही हैं. शुरुआत में इन कंपनियों ने कुछ गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन आरटीओ कार्यालय में कराया, लेकिन इसके बाद एप के जरिए प्राइवेट लोगों को भी अपने साथ जोड़ लिया. अब प्राइवेट बाइक ही यात्रियों को ढोने का काम कर रही हैं. इससे परिवहन विभाग का नुकसान हो रहा है, क्योंकि व्यवसायिक काम कर रहीं इन निजी गाड़ियों से विभाग को कोई टैक्स मिल ही नहीं रहा है. सिटी में संचालित करने के लिए परमिट की आवश्यकता होती है वह परमिट ही नहीं हैं. इससे परिवहन विभाग को यह भी फीस नहीं मिल रही है.

यूपी में टैक्सी बाइक का काम.
यूपी में टैक्सी बाइक का काम.


नहीं हुआ सीएनजी में कन्वर्जन : कुछ साल पहले लखनऊ में ही 750 परमिट बाइक टैक्सी के लिए जारी किया गए थे. इनमें एक शर्त रखी गई थी कि जो भी बाइक टैक्सी होंगी वे सीएनजी से संचालित होंगी. पहले से ऐसी बाइक जो पेट्रोल से संचालित हो रही थीं उन्हें भी आरटीओ की तरफ से अल्टीमेटम दिया गया था कि वह अपने वाहनों का सीएनजी में कन्वर्जन कराएं. कंपनियों ने इसका आश्वासन भी दिया था कि जल्द ही एआरएआई से अप्रूव कराकर सीएनजी वाहनों का संचालन कराया जाएगा. इसके बाद विभाग भूल गया और इसका फायदा बाइक टैक्सी संचालक उठा रहे हैं.

यूपी में टैक्सी बाइक पर कार्रवाई नहीं.
यूपी में टैक्सी बाइक पर कार्रवाई नहीं.


चालकों का वेरिफिकेशन भी नहीं : खास बात यह भी है कि ऐसे वाहन चालकों का वेरिफिकेशन भी नहीं होता है. कोई व्यक्ति किसी कंपनी की बाइक बुक करता है और उसके पास जिस बाइक नंबर के लिए ओटीपी आता है मौके पर वह बाइक ही नहीं आती है. दूसरी बाइक लेकर दूसरा ही व्यक्ति वहां पहुंच जाता है. ऐसे में बड़ा सवाल यह भी खड़ा होता है कि अगर किसी तरह का अपराध हो जाता है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी. जानकारों का मानना है कि परिवहन विभाग और पुलिस को मिलकर ऐसे बाइक टैक्सी के चालकों का वेरिफिकेशन करना चाहिए. जिन कंपनियों के नाम पर यह बाइक चल रही हैं उन कंपनियों को भी नोटिस जारी कर जवाब तलब करना चाहिए.








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