लखनऊ : यूपी सरकार ने नई जनसंख्या नीति जारी कर दी है. इसमें परिवार नियोजन के साथ-साथ मातृ-शिशु मृत्यु दर पर भी फोकस किया गया है. नीति के अनुसार शिशु मृत्यु दर को दस सालों के भीतर 50 फीसद कम करने का लक्ष्य रखा गया है. जनसंख्या नियंत्रण दिवस पर मुख्यमंत्री ने यूपी में नई नीति जारी की है. इसमें 28 दिन के अंदर होने वाली नवजात मृत्यु दर को 32 से घटाकर साल 2026 तक 22 पर लाया जाएगा. वहीं साल 2030 तक इसे 12 पर लाने का लक्ष्य तय किया गया है. इसके साथ ही पांच साल से कम उम्र की मृत्युदर को 47 से घटाकर साल 2026 तक 35 पर लाना है. वहीं साल 2030 तक 25 पर लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे -4 की 2015 -2016 की रिर्पोट के अनुसार प्रदेश में जन्म लेने वाले प्रति हजार बच्चों में शहरी क्षेत्र में 52 की मौत हो जाती है. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र में 67 नवजात दम तोड़ देते हैं. वहीं पांच साल से कम आयु वर्ग के प्रति हजार बच्चों में शहरी क्षेत्र में 62 और ग्रामीण क्षेत्र में 82 बच्चों की मृत्यु हो जाती थी. राष्ट्रीय स्वास्थय मिशन यूपी के महाप्रबंधक वेद प्रकाश के मुताबिक वर्ष 2016 में यूपी की प्रजनन दर 3.3 थी, जबकि राष्ट्रीय औसत 2.6 था. वर्तमान में प्रदेश की प्रजनन दर 2.7 है, जबकि राष्ट्रीय औसत 2.3 है. मातृ मृत्यु दर 2016 में 258 थी, जो कि अब 197 है. वहीं इसका राष्ट्रीय औसत 113 है. आइएमआर की बात करें तो 2015-2016 में यूपी की आईएमआर 52 थी, यह वर्तमान में 43 है. नई नीति के माध्यम से वर्ष 2026 तक सकल प्रजनन दर 2.1 और वर्ष 2030 तक सकल प्रजनन दर 1.9 लाने का लक्ष्य रखा गया है.
इसे भी पढ़ें- जनसंख्या नियंत्रण, समान नागरिक संहिता पर गैर-सरकारी विधेयक पेश करेंगे भाजपा सांसद
कम शिशु मृत्युदर के मामले में देश में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कानपुर नगर का है, जहां शिशु मृत्युदर प्रति हजार में 37 है. वहीं झांसी की स्थिति भी काफी अच्छी है. वार्षिक हेल्थ सर्वे 2011-12 की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में कानपुर नगर पहले और झांसी दूसरे स्थान पर है, जबकि मंडल में सबसे खराब स्थिति ललितपुर की है. प्रदेश सरकार ने आगामी दस सालों में शिशु मृत्युदर को आधा करने का लक्ष्य तय किया. झांसी में शिशु मृत्युदर काफी कम है. यहां पर 42 बाल मृत्यु प्रति हजार जन्में बच्चों में है.