लखनऊ : हिंदू रीति रिवाज के अनुसार, आगामी 28 नवंबर से मांगलिक कार्यक्रमों का मुहूर्त (Manglik program in lucknow) शुरू होगा. विवाह व अन्य कार्यक्रमों के लिए अभी से लोगों के घरों में तैयारियां भी शुरू हो गई हैं, लेकिन इस बार आपकी जरा सी गलती भारी पड़ सकती है और कानूनी पेंच में फंस सकते हैं. लखनऊ के होटल लेवाना में हुए अग्निकांड के बाद नियमों को और भी सख्त कर दिया गया है. किसी भी मांगलिक कार्यक्रम के लिए अब पुलिस से परमिशन लेना जरूरी होगा. परमिशन के लिए '8 फेरों के वचन' पूरे करने होंगे. इसके लिए पुलिस कमिश्नरेट की सिंगल विंडो सिस्टम को फॉलो करना होगा.
कोरोना काल के बाद सामूहिक कार्यक्रमों के नियमों में बदलाव हुआ और अब लखनऊ में नियमों को और भी सख्त कर दिया गया है. किसी भी मांगलिक कार्यक्रम या शुभ विवाह के लिए अब पुलिस से परमिशन लेना जरूरी होगा, यदि परमिशन नहीं ली तो कार्यक्रम में विघ्न पड़ना तय है. इसके लिए लखनऊ के जिस जोन में कार्यक्रम करना हो वहां के डीसीपी कार्यालय में आवश्यक दस्तावेज जैसे, आधार कार्ड, शादी का कार्ड व एक प्रार्थना पत्र जिसमें कार्यक्रम की पूरी जानकारी देनी होगी. इन कागजों के साथ एक आवेदन फॉर्म भरना होगा और फिर यह फॉर्म आठ फेरों के बाद आपको मिलेगा.
कैसे शुरू होंगे आवेदन फॉर्म के 8 फेरे
पहला फेरा : शादी कार्यक्रम की परमिशन लेने के लिए सबसे पहले जोन के डीसीपी कार्यालय में आधार कार्ड व शादी कार्ड के साथ एक फॉर्म भरकर देना होता है. इस फॉर्म में आवेदक का नाम, आयोजन स्थल की जानकारी, गेस्ट की संख्या देनी होती है.
दूसरा फेरा : डीसीपी कार्यालय से यह फॉर्म मार्क होकर सबसे पहले उस पुलिस चौकी पर भेजा जाता है, जहां आयोजन किया जाना है. जहां चौकी इंचार्ज उस आवेदन फॉर्म पर अपनी रिपोर्ट लगाता है.
तीसरा फेरा : दो फेरे पूरे होने के बाद चौकी प्रभारी की रिपोर्ट लगा फॉर्म संबंधित थाना प्रभारी के पास पहुंचता है. इस फॉर्म पर थाना प्रभारी अपनी रिपोर्ट लगाता है.
चौथा फेरा : थाना प्रभारी की रिपोर्ट लगाने के बाद फॉर्म पहुंचेगा एसीपी कार्यालय, जहां संबंधित एसीपी अपनी रिपोर्ट लगाकर पांचवें फेरे के लिये उसे आगे बढ़ा देगा.
पांचवा फेरा : चौकी प्रभारी, थाना प्रभारी और एसीपी की रिपोर्ट लगने के बाद आवेदन फॉर्म फ़ायर विभाग पहुंचेगा. जहां मुख्य अग्निशमन अधिकारी कार्यक्रम की जानकारी से संबंधित जांच करवाकर रिपोर्ट लगाते हैं.
छठा फेरा : फ़ायर विभाग की रिपोर्ट लगने के बाद फॉर्म पहुंचता है ट्रैफ़िक पुलिस के पास, जहां विभाग इस आधार पर अपनी रिपोर्ट लगाता है कि उक्त कार्यक्रम के चलते यातायात बाधित न हो सके.
सातवां फेरा : ट्रैफिक पुलिस की रिपोर्ट लगने के बाद फॉर्म जोन के एडीसीपी के पास पहुंचता है, जहां से एडीसीपी अपनी रिपोर्ट लगाकर डीसीपी कार्यालय भेजते हैं.
आठवां फेरा : एडीसीपी कार्यालय से फॉर्म डीसीपी कार्यालय पहुंचता है और फिर आखिर में डीसीपी के हस्ताक्षर के बाद आयोजन की इजाजत मिलती है.
क्या कहते हैं अधिकारी? : लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट की प्रवक्ता व डीसीपी अपर्णा रजत कौशिक कहती हैं कि किसी भी कार्यक्रम के आयोजन के लिए पुलिस कमिश्नरेट से परमिशन लेना आवश्यक है. पब्लिक को परेशानी न हो इसके लिए सिंगल विंडो सिस्टम बनाया गया है. कई बार शादी, मांगलिक कार्यक्रम रोड व गेस्ट हाउस में किए जाते हैं, जिससे पब्लिक को कई तरह की असुविधा का सामना करना पड़ता है. किसी तरह की असुविधा न हो इसके लिए लोगों को परमिशन की कार्रवाई से गुजरना पड़ता है.