लखनऊ: प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों को दी जाने वाली स्कूल ड्रेस की सिलाई स्वयं सहायता समूह की महिलाएं करेंगी. हर ब्लाक में कम से कम दो स्वयं सहायता समूह को चिन्हित किया जाएगा और वहीं महिलाएं स्कूल ड्रेस तैयार करेंगी. प्रदेश सरकार ने एक करोड़ ड्रेस तैयार करने का कार्य ग्रामीण आजीविका मिशन को दिया है.
स्वयं सहायता समूह की महिलाएं सिलेंगी स्कूली बच्चों की ड्रेस. उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक विद्यालयों में डेढ़ करोड़ से अधिक छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. प्रत्येक बच्चे को दो स्कूल ड्रेस दी जाएंगी. इस हिसाब से प्रदेश भर में करीब साढ़े तीन करोड़ ड्रेस की आवश्यकता होगी. योगी सरकार ने ग्रामीण अंचल की महिलाओं को रोजगार देने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया है कि इस बार प्राथमिक विद्यालयों में दी जाने वाली ड्रेस स्वयं सहायता समूह की महिलाएं सिलेंगी. इसके लिए राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ने तैयारी पूरी कर ली है. सभी जिलों के उपायुक्तों ने स्वयं सहायता समूह को चिन्हित कर लिया है.स्वयं सहायता समूह के निदेशक सुजीत कुमार ने बताया कि इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग से वार्ता कर जिलों को लक्ष्य दे दिया गया है. ऐसे समूहों को प्राथमिकता दी गई है जिनके पास ज्यादा मशीनें हैं. बहुत सी जगहों पर ड्रेस की सिलाई का कार्य शुरू भी हो गया है. जिन जिलों में स्वयं सहायता समूह में महिलाओं की संख्या पर्याप्त नहीं हो पा रही है, वहां समूह की महिलाओं को प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है. आवश्यकतानुसार 7 से 15 दिनों का प्रशिक्षण दिलाया जाएगा, ताकि वह भी स्कूल ड्रेस का निर्माण कर सकें.बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा एक ड्रेस पर करीब 300 रुपये दिए जा रहे हैं. इन ड्रेसों की खरीद स्कूल मैनेजमेंट कमेटी द्वारा की जाएगी. स्कूल ड्रेस की सिलाई वहां के चिन्हित स्वयं सहायता समूह से कराई जाएगी. कपड़े की खरीद के लिए 200 से 210 रुपये निर्धारित किये गए हैं. ड्रेस की सिलाई पर 80 से 90 रुपये दिए जाएंगे. इस हिसाब से 100 करोड़ ड्रेस पर 80 से 90 रुपये मिलेंगे. ऐसे में महिलाओं के खाते में 80 से 90 करोड़ रुपये जाएंगे.